उपहार
में-
नया साल मंगलमय
हो
नया जावा आलेख
नववर्ष की
मंगल कामनाओं के साथ
दो पल में-
अश्विन गाँधी की कलम से
रास्ते में रुकावट
करीब एक साल पहले की बात है, क्रिसमस की
छुटि्टयाँ थीं। दोस्त के परिवार से मिल कर घर आ रहा था कि रास्ते में
रूकावट हो गई घटना सच है, मगर दोस्तों के नाम और स्थान बदले हुए हैं।
क्रिसमस फिर आने को है, सोचा, अपनी रूकावट, क्यों ना अभिजनों से बाँट
लूँ?
यह रही मेरी रूकावट-
शिक्षा स्रोत में
हिंदी सीखें
कीरित शाह से
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पद्य में-
नई हवा
अम्बिका भट्ट
समकालीन कविता में
केसरीनाथ त्रिपाठी
गौरव ग्राम में
मोहन अवस्थी
अंजुमन में
राज जैन
साहित्यिक निबंध में-
रचना प्रसंग में
हिंदी के वर्तमान स्वरूप पर
सुधा अरोड़ा का आलेख
हिंदी कहानी आज
* प्रेरक प्रसंग में-
लघुकथा-
पश्चात्ताप
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कला दीर्घा में-
सखियाँ
ई बाजार में
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कहानियों मे-
सत्यजित राय की बांग्ला कहानी का हिंदी रूपांतर-
सहपाठी
अभी सुबह के सवा नौ बजे हैं।
मोहित सरकार ने गले में टाई का फंदा डाला ही था कि उस की
पत्नी अरुणा कमरे में आई और बोली, 'तुम्हारा फोन।'
'अब अभी कौन फोन कर सकता है भला! '
मोहित का ठीक साढ़े नौ बज़े दफ़्तर जाने का नियम रहा है। अब
घर से दफ़्तर को निकलते वक्त 'तुम्हारा फोन' सुन कर स्वभावत:
मोहित की त्यौरियां चढ़ गई।
कहानियों में-
शिवानी की रचना-
लाल हवेली
ताहिरा ने पास के बर्थ पर सोए
अपने पति को देखा और एक लंबी साँस खींचकर करवट बदल ली। कंबल से ढकी रहमान अली की
ऊँची तोंद गाड़ी के झकोलों से रह-रहकर काँप रही थी। अभी तीन
घंटे और थे। ताहिरा ने अपनी नाजुक कलाई में बँधी हीरे की
जगमगाती घड़ी को कोसा, कमबख़्त कितनी देर में घंटी बजा रही थी।
रात-भर एक आँख भी नहीं लगी थी उसकी। पास के बर्थ में उसका पति
और नीचे के बर्थ में उसकी बेटी सलमा दोनों नींद में बेखबर बेहोश पड़े थे।
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