दीपावली विशेषांक

दिया

दिया दिया दिया
मुठ्ठी भर माटी, चुटकी भर स्नेह
जगमग जग किया।

दिया और बाती
स्नेह रंग राँची औ' मन उजास पाती
गई रात बाँची।

चौक-चौक चंदन
स्वस्तिक
और दिया, कलाई में कलावा
हर्ष-हर्ष हिया।

सोने के कंगन
माटी का दिया, द्वारे पर तोरण
चौबारे पिया।

खील और बताशे
घर घर में बाँटे, हर मन दीवाली
हर मुँडेर दिया।

--पूर्णिमा वर्मन

 

साहित्यिक निबंध में-

दीप ज्योति नमस्तुते
दीपों से संबंधित लेख विशेष जानकारी के साथ

1
विजयोत्सव
विजयदशमी से संबंधित विचारपरक लेख


 कलादीर्घा में-



दीपावली- विभिन्न कलाकारों की तूलिका से


पद्य में-

दिवाली पर विशेष काव्य रचना
दीप जले - डॉ उषा चौधरी

नई हवा में
अंशुमान अवस्थी

1
समकालीन कविता में
जगदीशचन्द्र ‘जीत’
1
गौरव ग्राम में
डॉ. जगदीश गुप्त

1अंजुमन में
दुश्यंत कुमार, बशीर बद्र
और
सलीम अहमद बालोदवी  

 

मारीशस से अभिमन्यु अनत शबनम की कहानी जहर और दवा

जब मैंने पिता को यह कहते सुना कि सोफ़िया हमारे यहाँ आकर घर के कामों को संभाल लेगी, उस समय मुझे हैरानी तो तनिक भी नहीं हुई, लेकिन मैं उस बात पर काफी देर तक सोचता ही रह गया था। मेरी माँ को अस्पताल में दाखिल हुए आज तीसरा दिन था। उससे दो दिन पहले से ही मेरी बहन चचेरी बहनों के साथ समुद्र किनारे बंगले पर सर्दी की छुट्टियाँ बिता रही थी। हमारे घर के कामों को संभालने के लिए किसी व्यक्ति की ज़रूरत थी, इस बात को मैं पिता से अधिक समझता था।


 काव्य संगम में-

की तीन पंजाबी कविताएँ
देवनागरी लिपि और हिंदी अनुवाद
के साथ


दीपावली की
हार्दिक शुभकामनाएँ!

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

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