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 कोलकाता
                              स्थित संस्था भारतीय भाषा परिषद ने
                              भोजपुरी के युवा कवि मनोज भावुक को
                              उनके भोजपुरी ग़ज़ल संग्रह 'तस्वीर
                              ज़िंदगी के' के लिए भारतीय भाषा परिषद
                              सम्मान से अलंकृत किया है। यह
                              पहली बार है जब किसी भोजपुरी पुस्तक को यह
                              सम्मान मिला है। कोलकाता में हुए युवा
                              महोत्सव के दौरान मनोज भावुक को यह
                              सम्मान ठुमरी साम्राज्ञी गिरिजा देवी और
                              सिने जगत के नामी फ़िल्मकार और गीतकार
                              गुलज़ार द्वारा दिया गया। इस कार्यक्रम में
                              वर्ष 2005 के लिए पुरस्कार पाने वाले युवा
                              साहित्यकारों को भी सम्मानित किया गया। ये
                              हैं-नीलाक्षी सिंह (हिंदी), अजमेर सिद्धू (पंजाबी), थौड़म नेत्रजीत सिंह (मणिपुरी) और
                              हुलगोल नागपति (कन्नड़)। इस
                              वर्ष यानी वर्ष 2006 के लिए मनोज भावुक
                              के अलावा जिन युवा साहित्यकारों को
                              सम्मानित किया गया वे हैं- हिंदी के लिए
                              यतींद्र मिश्र, उर्दू के लिए शाहिद अख्तर और
                              मलयालम के लिए संतोष इच्चिकन्नम। मनोज
                              भावुक की रचनाओं के बारे में टिप्पणी करते
                              हुए भारतीय भाषा परिषद के मंत्री डॉक्टर कुसुम
                              खेमानी ने कहा, "मनोज भावुक सुदूर
                              युगांडा और अब लंदन में रहते हुए भोजपुरी
                              में लिख रहे हैं। उनकी कविताएं पौधे की तरह
                              लोक जीवन की धरती पर पनपीं हैं और अपना
                              जीवन रस वहीं से प्राप्त कर रही हैं। वे
                              सामाजिक सरोकारों को भोजपुरी के ठेठ
                              मुहावरों में मुखरित करते हैं। उन्होंने कहा
                              कि भारतीय भाषा परिषद मनोज भावुक को
                              सम्मानित करते हुए गौरवान्वित है। इस
                              मौके पर मनोज भावुक ने कहा, "दरअसल
                              यह भोजपुरी भाषा और साहित्य का सम्मान
                              है। साथ ही यह उन करोड़ों भोजपुरी
                              भाषियों का भी सम्मान है, जो देश-विदेश
                              में रहते हुए भी भोजपुरी के उज्ज्वल भविष्य
                              की कामना करते हैं।"
            
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 अभिव्यक्ति
                              के लोकप्रिय व्यंग्यकार श्री महेश चंद्र द्विवेदी
                              के व्यंग्यात्मक संस्मरण "प्रिय अप्रिय
                              प्रशासनिक प्रसंग" का लोकार्पण दिनांक 8
                              अक्तूबर 2006 को ज्ञान प्रसार संस्थान के
                              तत्वावधान में राज्य सूचना केंद्र, लखनऊ
                              में संपन्न हुआ। श्री
                              केशरी नाथ त्रिपाठी ने "प्रिय अप्रिय
                              प्रशासनिक प्रसंग" का लोकार्पण करते हुए
                              इसे प्रशासन में व्याप्त अनोखो नियमों,
                              पद्धतियों, मान्यताओं एवं विद्रुपताओं पर
                              आंख खोलने वाला दस्तावेज़ बताया।  श्री
                              के .विक्रम राव ने प्रमुख वक्ता के रूप में इस
                              पुस्तक से अनेक उद्धरण देते हुए गुदगुदी पैदा
                              करने वाली भाषा में साहस के साथ
                              प्रशासनिक सत्य को उजागर करने हेतु
                              आत्ममुग्धता से मुक्त होने एवं प्रस्तुतीकरण के
                              अनूठेपन के कारण हिंदी भाषा की इस प्रकार की
                              प्रथम आत्मकथा बताया। इसी
                              अवसर पर श्री द्विवेदी एवं उनकी पत्नी श्रीमती
                              नीरजा द्विवेदी के रचनात्मक संसार पर श्री
                              जितेंद्र कुमार सिंह 'संजय' द्वारा लिखित पुस्तक
                              "साहित्यकार द्विवेदी दंपति" पर चर्चा का
                              आयोजन भी किया गया। श्री
                              प्रवीन चंद्र शर्मा ने "साहित्यकार द्विवेदी
                              दंपति" को उच्चस्तरीय शोधरचना की
                              संज्ञा देते हुए कहा कि साहित्यिक रचना
                              संसार में पतिपत्नी का संलिप्त होना एक
                              सुखद संयोग होता है और इसके लिए श्री
                              महेश चंद्र द्विवेदी एवं श्रीमती नीरजा द्विवेदी
                              को साधुवाद दिया। 24
                              अक्तूबर 2006
            
                                  
            
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