साहित्यिक निबंध में
प्रवासी हिंदी साहित्य में
परंपरा, जड़ें और देशभक्ति
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मनोज
श्रीवास्तव
विचारशील लेखक के तौर पर ख्याति, गद्य एवं पद्य पर समान
अधिकार, कविता के संसार से अलग, इनका गद्य विचार जगत की
गहराइयों में जाता है, अपनी परंपरा से निरंतर संवाद करता
आपका लेखन अधुनिकता के प्रचलित मुहावरों से भी जाता है।
प्रकाशित कृतियाँ- कविता संग्रह
– मेरी डायरी से, यादों के सन्दर्भ, पशुपति, स्वरांकन और
कुरान कविताएँ।
शिक्षा के सन्दर्भ और मूल्य, पंचशील वंदेमातरम्, यथाकाल और
पहाड़ी कोरबा पर पुस्तकें प्रकाशित।
सुन्दरकाण्ड के पुनर्पाठ पर छह खण्ड एवं दुर्गा सप्तशती पर
शक्ति प्रसंग पुस्तक प्रकाशित।
सम्प्रति : १९८७ संवर्ग से भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी
संपर्क:
shrivastava_manoj@hotmail.com
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