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कहानियाँ

समकालीन हिंदी कहानियों के स्तंभ में इस सप्ताह प्रस्तुत है
भारत से मनमोहन सरल की कहानी— जमी हुई झील


हमारी कैब को चेक पोस्ट पर रोक दिया गया। मैंने तो समझा था कि यह महज औपचारिकता भर होगी। पासपोर्ट, विसा वगैरह जाँच कर जाने दिया जायेगा। सिक्योरिटी पर बेहद लम्बी और बेहद स्मार्ट औरत थी। उसने मेरा पासपोर्ट तो तुरंत लौटा दिया पर कैट का पासपोर्ट अपनी कठोर मुट्ठी में दबा कर उसे कार से उतरने को कहा।

कैट, यानी कैथरीन, के पासपोर्ट में तकनीकी आपत्ति थी। वह डाइवोर्सी थी और पासपोर्ट में अभी तक उसके पूर्व पति का नाम काटा नहीं गया था। पूर्व पति अमेरिकी था पर साथ में मुझे देख कर उस ऑफिसर ने मान लिया था कि मैं कैट का पति हूँ। उस जिद्दी ऑफिसर को यह समझाने में हमें काफी मशक्कत करनी पडी़ कि हम दोनों का रिश्ता क्या है। पर आखीर में वह समझ गई और हम दोनों
पर शरारती मुस्कान फेंक कर बोली, 'ठीक है, एनज्वाय योरसेल्फ!'

वहाँ से चलने के बाद और होटल के रास्ते तक मैं उसके इस वाक्य का प्रयोजन समझने की कोशिश करता रहा। हम दोनों कनाडा की सीमा पार बर्लिंगटन में रात बिता कर लौट रहे थे। कल जब हमने बफैलो के होटल में चेकइन किया था, जैसा कि पहले से तय था, मैंने अपने मित्र मनसा को फोन कर दिया था कि हम बफैलो पहुँच गये हैं।

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