
वे पुराने धारावाहिक
जिन्हें लोग आज तक
नहीं भूले
४- विक्रम
और वेताल
१३ अक्टूबर १९८५ से दूरदर्शन
पर प्रसारित होने वाला धारावाहिक 'विक्रम और बेताल'
संस्कृत भाषा के महाकवि सोमदेव भट्ट की 'बेताल पच्चीसी' पर
आधारित था बेताल पचीसी, २५ कथाओं का संग्रह है इसमें एक
बेताल (भूत) है जो राजा विक्रमादित्य की पीठ पर बैठ जाता
है वह हर दिन एक नयी कहानी सुनाता है और अन्त में राजा से
ऐसा प्रश्न कर देता है कि राजा को उसका उत्तर देना ही
पड़ता है कहते हैं इस पुस्तक की रचना ४९५ ई.पू. हुई थी
कश्मीर के कवि सोमदेव ने बैताल पचीसी को संस्कृत में लिखा
और नाम दिया कथासरित्सागर समय के साथ इन कथाओं की
प्रसिद्धि अनेक देशों में पहुँची और इन कथाओं का बहुत सी
भाषाओं में अनुवाद हुआ बेताल के द्वारा सुनाई गई ये रोचक
कहानियाँ सिर्फ दिल बहलाने के लिए नहीं हैं, इनमें अनेक
गूढ़ अर्थ छिपे हैं क्या सही है और क्या गलत, इसको यदि हम
ठीक से समझ लें तो सभी प्रशासक राजा विक्रम की तरह न्याय
प्रिय बन सकेंगे और छल व द्वेष छोडकर, कर्म और धर्म की राह
पर चल सकेंगे इस प्रकार ये कहानियाँ न्याय, राजनीति और
विषम परिस्थितियों में सही निर्णय लेने की क्षमता का विकास
करती हैं।
रहस्य रोमांच, बुद्धिमत्ता और शिक्षा से भरी इन कहानियों
ने दूरदर्शन के दर्शकों का मन मोह लिया था इस कार्यक्रम के
२६ एपिसोड आए थे, जिसे बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी पसंद कर
रहे थे इस लोकप्रियता के कारण १९८८ में इसका पुनःप्रसारण
किया गया था इस धारावाहिक के निर्माता थे रामानंदा सागर,
विक्रम की भूमिका में थे अरुण गोविल और वेताल की भूमिका
सज्जन ने निभाई थी एक अन्य प्रमुख कलाकार थीं दीपिका
चिखलिया जिन्होंने हर एपिसोड में अलग अलग भूमिकाओं का
निर्वाह किया था अरुण गोविल और दीपिका चिखलिया का यह पहला
धारावाहिक था अन्य कलाकार थे- विजय अरोरा, रमेश भाटकर,
मूलराज राजदा, रजनी बाला, सुनील लहरी, लिलीपुट, रमा विज और
सतीश कौल आगे चलकर १९८७ में जब रामानंद सागर ने रामायण
नामक धारावाहिक का निर्माण किया तब अरुण गोविल ने राम और
दीपिका चिखलिया ने सीता की अविस्मरणीय भूमिका निभाई इस
धारावाहिक के अनेक अन्य कलाकार भी रामायण में दिखाई दिये
१
अप्रैल २०२२ |