डाकटिकटों
और प्रथम दिवस आवरणों में पलाश
—पूर्णिमा
वर्मन
भारतीय साहित्य और संस्कृति में पलाश टेसू या ढाक के पेड़ का
महत्वपूर्ण स्थान है। इसे ध्यान में रखते हुए भारतीय डाकतार
विभाग ने फूलों और पेड़ों पर प्रकाशित अपनी शृंखला में इसको भी
सम्मिलित किया है। १ सितंबर १९८१ को प्रकाशित चार डाकटिकटों
में से एक पर पलाश का चित्र अंकित किया गया है। ३५ पैसे वाले
इस डाकटिक पर ऊपर दाहिनी ओर हिंदी व अँग्रेजी में भारत व
इंडिया लिखा गया जबकि नीचे हिंदी में पलाश और अंग्रेजी में
फ्लेम आफ द फारेस्ट लिखा गया है। इसके साथ ही प्रकाशनवर्ष भी
अंकित किया गया है।
फूलदार वृक्षों की इस शृंखला में पलाश के
साथ प्रकाशित अन्य तीन डाकटिकटों पर जिन पेड़ों के चित्रों को
स्थान मिला है वे हैं वरना,
अमलतास और कचनार। इस शृंखला के
फोटो वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून के वरिष्ठ शोध अधिकारी
के.एम.वैद के थे। इंडिया सिक्यूरिटी प्रेस से इसकी बीस लाख
प्रतियाँ जारी की गई थीं। इसके साथ ही एक प्रथम दिवस आवरण भी जारी किया गया था।
इसके बाद ७ फरवरी २००८ को जब दिल्ली राज्य की डाक-टिकट
प्रदर्शनी डिकयाना में चार नए टिकट जारी किये गए तब उनके साथ
जारी प्रथम दिवस आवरणों में से एक पर पलाश को भी स्थान मिला।
ये दोनो प्रथम दिवस
आवरण यहाँ देखे जा सकते हैं।
केवल भारत ही नहीं कुछ विदेशी डाकटिकटों में भी पलाश को
प्रकाशित किया गया है। कंबोडिया द्वारा २५
अगस्त २००४ को जारी फूलों वालों पाँच डाकटिकटों की एक शृंखला
मे इसे स्थान मिला है। ३० मिमि चौड़े और ४६ मि.मि. लंबे इस
डाकटिकट नीचे की और दाहिनी तरफ इसका मूल्य ७०० कंबोडियाई राइल
और बायीं और फूल का नाम ब्यूटिया मोनोस्पर्मा अंग्रेजी में
अंकित किया गया है। यही जानकारी ऊपर की ओर कंबोडिया की भाषा
कंबुज में अंकित की गई है। बायीं ओर किंगडम आफ कंबोडिया लिखा
है और दाहिनी ओर प्रकाशन का वर्ष अंकित किया गया है।
बाँग्लादेश
द्वारा २९ अप्रैल १९७८ को फूलों वाली एक सुंदर शृंखला जारी की
गई थी। कमल, चंपा, गुलमोहर, अमलतास, और कदंब के साथ, इसमें चार
टाका मूल्य के एक डाकटिकट पर पलाश के खिले हुए पेड़ का सुंदर
चित्र देखा जा सकता है। इस शृंखला के शिल्पी थे नवाज़श अहमद और
एस.एस. बरुआ। इस टिकट के बायीं और बांग्लादेश के नीचे अंग्रेजी
में पलाश और ब्यूटिया मोनोस्पर्मा लिखा गया है।
उत्तराखंड डाक विभाग द्वारा
प्रकाशित एक २ रुपये ५० पैसे मूल्य वाला पोस्टकार्ड भी है जिस
पर अभय मिश्रा द्वारा खींची गई पलाश के फूलों की एक फोटो
प्रकाशित की गई है। इसके प्रकाशन की तिथि का पता नहीं चलता
लेकिन इस पर १ सितंबर १९८१ को प्रकाशित फूलों वाली शृंखला का
पलाश वाला टिकट लगा हुआ है। इस
पोस्टकार्ड को यहाँ देखा जा सकता है।
१९७४
में थाईलैंड द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पत्र लेखन सप्ताह के अवसर
पर जारी चार टिकटों के एक सेट में अमलतास, चमेली तथा सावनी के
फूल के साथ पलाश की एक प्रजाति ब्यूटिया सुपर्बा को प्रदर्शित
किया गया था।
इन टिकटों को वहाँ के सुप्रसिद्ध
कलाकार श्री प्रवत पिपितपियपकोम ने डिज़ाइन किया था। टिकट पर
दाहिनी ओर महीन अक्षरों में अँग्रेज़ी में इंटरनेशनल लेटर
राइटिंग वीक १९७४
लिखा हुआ पढ़ा जा सकता है। इसके ऊपर यही वाक्य थाई भाषा में
लिखा गया है। नीचे दाहिनी ओर पहले थाई और फिर अँग्रेज़ी में
ब्यूटिया सुपर्बा रौक्स्ब लिखा गया है और बाईं ओर टिकट का
मूल्य २.७५ बाट अंकित किया गया है। प्रथम दिवस आवरणों में पलाश
२० जून २०११ |