डाक टिकटों के संसार
में अमलतास
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पूर्णिमा वर्मन
घाना के टिकट
पर अमलतास
१९७८ में घाना के सुंदर पुष्पों की शृंखला में प्रकाशित अमलतास
के चित्र वाले इस टिकट का मूल्य है ३९ पेंस। घाना दक्षिण अफ्रीका में
बसा देश है। गरम जलवायु होने के कारण अमलतास के वृक्ष यहाँ खूब पाए
जाते हैं। इस टिकट पर नीचे की ओर अमलतास का वानस्पतिक
नाम अंकित किया गया है जब कि ऊपर की ओर टिकट शृंखला का नाम ब्यूटीफ़ुल फ्लावर्स ऑफ घाना लिखा गया है।
इस टिकट को फूलों वाले पोस्टकार्ड के साथ ३ के सेट में प्रकाशित किया
गया था। सेट को देखकर सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि घानावासी
फूलों की सुंदरता से कितने प्रभावित हैं।
१
सितंबर १९८१
को भारत के डाकतार विभाग ने सुंदर फूलों वाले पेड़ों के चित्रों
वाले ४ टिकटों का एक सेट जारी किया। इसमें अमलतास, पलाश, वरना और
कचनार के अत्यंत सुंदर चित्र प्रदर्शित किए गए हैं। ये चित्र
भारत के दो प्रसिद्ध फ़ोटोग्राफ़रों द्वारा खींचे गए हैं। अमलतास
व कचनार के टिकटों पर के एम वैद द्वारा खींचे गए फ़ोटो हैं और
पलाश व वरना के टिकटों पर राजेश बेदी द्वारा खींचे गए।
टिकटों
में बाईं ओर ऊपर मूल्य अंकित किया गया है और दाहिनी ओर दो भाषाओं
में देश का नाम छापा गया है। चित्र के नीचे पेड़ का नाम और टिकट
का प्रकाशन वर्ष अंकित किया गया है। मौसम की
कड़ी मार सहकर भी खुशी से खिलने वाले इन बहुरंगे टिकटों की २०
लाख प्रतियाँ जारी की गई थीं। लगभग ढाई से.मी. चौड़े और ३.५
से.मी. ऊँचे टिकटों के इस सेट के साथ एक प्रथम दिवस कवर
भी
जारी किया गया था जिसे
सुहमिंदर सिंह ने डिज़ाइन किया
था।
लगभग बीस साल बाद
सन २००० में भारतीय डाकटिकट विभाग ने एक बार फिर अमलतास को
टिकटों की दुनिया में स्थान दिया। इस वर्ष २० नवंबर के दिन
अमलतास की तस्वीर वाला एक टिकट जारी किया गया। जिसका मूल्य २०
रुपए था। इस वर्ष भारत ने निश्चित विषय पर जारी किए जाने वाले
टिकटों की शृंखला (Definitive Series)
में शायद सबसे बड़ी ११ टिकटों की एक शृंखला प्राकृतिक विरासत (Natural
Heritage) शीर्षक से जारी की। अमलतास इसी शृंखला का
हिस्सा था।
इस शृंखला के अलग अलग टिकटों को
अलग-अलग तिथियों पर जारी किया गया था। ३० अप्रैल २००० को चीता-बिल्ली
के चित्र वाला ५ रुपए और बाघ के चित्र वाले १० रुपए के टिकट को
पहले चरण में जारी किया गया। २० जुलाई २००० को कृष्णमृग, नीलगिरि
तहर, सारस और ऊदबिलाव के चित्रों वाले
चार टिकट जारी किए गए। २० नवंबर को तितली और अमलतास (बाएँ)
दो और टिकट जारी किए गए। ३० अक्तूबर को शाह-बुलबुल के चित्र वाले
५० रुपए तथा ३० सितंबर २००१ को जांघिल पक्षी के चित्र वाले ४
रुपए मूल्य के टिकट जारी किए गए। इस शृंखला का अंतिम टिकट
१६ अगस्त २००२ को जारी किया गया जिस पर गुलाब बना था। इसका मूल्य
था २ रुपए।
अमलतास
थाईलैंड का राष्ट्रीय पुष्प है। इसे देश के
९ शुभ वृक्षों में से एक समझा जाता है। उनका विश्वास है कि
इस वृक्ष को लगाने से खुशी, सफलता और स्वास्थ्य की वृद्धि
होती है। जन-जीवन में इसके महत्व के कारण डाक-टिकटों में भी
इसे विशेष स्थान मिला हैं। ४५ मि.मि. चौड़े और २७ मि.मि.
ऊँचे इस बड़े से डाकटिकट को अक्तूबर १९७४ में थाईलैंड के
डाक-विभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पत्र लेखन सप्ताह के अवसर
पर चार टिकटों की शृंखला में जारी किया गया था।
अन्य तीन टिकटों पर थाईलैंड के
तीन अन्य लोकप्रिय फूलों के चित्र अंकित किए गए थे। इन टिकटों
को वहाँ के सुप्रसिद्ध कलाकार श्री प्रवत पिपितपियपकोम ने
डिज़ाइन किया था। टिकट पर
दाहिनी ओर महीन अक्षरों में अँग्रेज़ी में इंटरनेशनल लेटर
राइटिंग वीक १९७४ लिखा हुआ पढ़ा जा सकता है। इसके ऊपर यही
वाक्य थाई भाषा में लिखा गया है। नीचे दाहिनी ओर पहले थाई
और फिर अँग्रेज़ी में कैसिया फिस्टुला लिखा गया है और बाईं
ओर टिकट का मूल्य ७५ सतंग अंकित किया गया है।
ऐसे टिकट बहुत ही कम देखने
में आते हैं जिनमें चित्र हूबहू एक हो पर देशों के नाम अलग
अलग। नीचे दिए गए टिकट युगल में से एक पर थाईलैंड का
नाम अंकित है और दूसरे पर कैनेडा का। डाक-टिकटों की
दुनिया में यह एक विशेष उदाहरण है जब कैनेडा और थाईलैंड ने
संयुक्त रूप से एक से डाक टिकटों का प्रकाशन कर दो देशों के
बीच सहयोग के नए दस्तावेज़ पर मोहर लगाई थी।
कैनेडा पोस्ट के अध्यक्ष
आंद्रे ओले ने इन्हें जारी करते हुए कहा था कि ये टिकट न केवल हमारे दोनों महान देशों के बल्कि दोनों देशों
के डाक-विभाग के बीच अद्वितीय सहयोग के भी प्रतीक हैं। वे
हमारे देशों और हमारे देशों की जनता के बीच राजदूत की भूमिका
अदा करेंगे। थाईलैंड पोस्ट कॉरपोरेशन की उपाध्यक्षा सुश्री
सुनन चोकदरा ने भी उस समय अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा था-- ये टिकट दोनों देशों के इतिहास, प्राकृतिक सौंदर्य और
संस्कृतियों की साझा अमानत हैं। कैनेडा पोस्ट द्वारा दोनों
देशों के प्रतीकों और डाक-विभाग के मध्य सहयोग को रेखांकित
किए जाने के इस अवसर पर थाइलैंड भी कैनेडा के साथ गर्व का
अनुभव कर रहा है।
४ अक्तूबर २००३ को कैनेडा
द्वारा जारी ०.४८ कैनेडियन डॉलत मूल्य के इस टिकट को एक
जोड़ी के रूप में जारी किया था। इसमें एक पर थाईलैंड के
राष्ट्रीय पुष्प अमलतास का पीला गुच्छा अंकित था और दूसरे
में कैनेडा के मैपेल पत्तों का लाल सौंदर्य। कैनेडा में
मैपेल बहुतायत से पाया जाता है। सरकारी चिह्नों में इसको
महत्वपूर्ण स्थान मिला हुआ है। कैनेडा के झंडे पर भी यह
उपस्थित रहता है। विदेश यात्रा को निकले हुए कैनेडा
निवासियों को शान से मैपेल के क्लिप
पहने हुए देखा
जा सकता है। सब मिलाकर यह कि कैनेडा में मैपेल और थाईलैंड
में अमलतास अपने अपने देशों का समान रूप से प्रतिनिधित्व
करते है।
कैनेडा के मेपेल वाले टिकट
का डिज़ाइन क्यूबेक में नोयन नगर के कलाकार रेमंड बेलमेयर ने
बनाया था। वे कनाडा पोस्ट के लिए पहले भी पक्षियों और
स्थापत्य से संबंधित बहुत से टिकट डिज़ाइन कर चुके हैं।
अमलतास वाले टिकट का डिज़ाइन थाइलैंड में थाइलैंड पोस्ट
कंपनी लिमिटेड की वीना चंतनतनत ने डिज़ाइन किया था। वे भी
थाइलैंड के फूलों वाले टिकटों को डिज़ाइन करने की विशेषज्ञ
और अनुभवी हैं। इस अवसर पर एक प्रथम दिवस आवरण भी जारी किया
गया था।
डाक टिकटों के संसार
में अमलतास वाले इस लेख का प्रारंभ लाओस के एक टिकट से हुआ था तो
इसका समापन भी लाओस के ही एक सुंदर टिकट से करते हैं। इस टिकट
को १९८८ में हेलसिंकी नगर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय
डाक-टिकट प्रदर्शनी के अवसर पर जारी किया गया था। प्रदर्शनी
का नाम था फ़िलांडा-८८, ध्यान से देखें तो टिकट के बायीं ओर
निचले कोने पर १९८८ का वर्ष अंकित किया गया है। इसके साथ ही
टिकट का मूल्य ३३ किप अंकित है। इसके ऊपर
अमलतास का
वानस्पतिक नाम कैसिया फिस्टुला बारीक
अक्षरों में लिखा है। नाम के ठीक ऊपर हल्के और गहरे नीले रंग
में एक आकृति है। मालूम है यह क्या है?
यह है फ़िलांडा-८८ का लोगो। जिसमें
F८८ अक्षरों को कलात्मक
शैली में लिखा गया है। अमलतास पर मंडराती लाल रंग की एक
तितली भी चित्रित की गई है जो रंगों का संतुलन करती हुई टिकट
को और भी सुंदर बनाती है।
डाक-टिकटों केवल चिट्ठियों की रसीदें
नहीं हैं। इनसे
बहुत से विषयों की अलग अलग प्रकार की जानकारी मिलती है। ये
अनेक देशों और अनेक अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं की साझा धरोहर हैं। डाक
टिकट का ख़रीदना और बेचना एक व्यवसाय भी है। बहुत से पाठक जिन्होंने जीवन में कभी टिकट जमा नहीं किए
शायद यह
लेख पढ़ने के बाद इस शौक में डूबेंगे। |