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टिकट संग्रह                              



बाल दिवस के अवसर पर प्रकाशित
डाक-टिकट
(वर्ष २००३, २००४, २००५)
पूर्णिमा वर्मन
 


भारतीय डाक-टिकट प्रतिवर्ष बाल दिवस के अवसर पर जो डाकटिकट जारी करता है वे बहुत ही आकर्षक होते हैं। १९६६ तक, बाल दिवस के डाक टिकट फोटो या कलाकृतियों के आधार पर बनाए जाते थे, लेकिन १९७१ में, डाक टिकट में तस्वीरों के बजाय, पूरे भारत से चुने गए बच्चों द्वारा बनाए गए चित्र और कलाकृतियों का इस्तेमाल किया जाने लगा। इसके लिये डाकविभाग बच्चों की एक कला प्रतियोगिता का आयोजन करता है और उसमें से डाकटिकट के लिये उपयुक्त चित्र का चुनाव करता है।

हम सभी जानते हैं कि इस अवसर पर स्कूलों, कार्यालयों और अन्य संगठनों द्वारा कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। देश भर में, विभिन्न सांस्कृतिक और सामाजिक संस्थाएँ बच्चों के लिए प्रतियोगिताएँ आयोजित करती हैं। बाल दिवस बच्चों के लिए मौज-मस्ती का दिन माना जाता है। बच्चे उनके लिए आयोजित कई खेलों में भाग लेते हैं।

२००३ में प्रकाशित ऊपर दिये गए पहले चित्र में यही उत्सवधर्मिता दिखाई गयी है। बच्चे खुशी खुशी बाल दिवस मनाने के लिये स्कूल जा रहे हैं। इस टिकट का मूल्य पाँच रुपये टिकट के नीचे बायीं ओर लाल रंग में अकित किया गया है और उसके साथ ही दाहिनी ओर हिंदी में भारत और अंग्रेजी में इंडिया लिखा गया है। अगर बहुत ध्यान से देखें तो चित्र के दाहिनी ओर नीचे इंडिया के ठीक ऊपर तिरछे अंकों में २००३ यह वर्ष अंकित किया गया है। यह चित्र (बच्चों को स्कूल जाते हुए दिखाना) बचपन और शिक्षा के महत्व को भी दर्शाता है।

दाहिनी ओर दिखाई देने वाले डाक-टिकट में एक गाँव का दृश्य है। जिसमें दो लड़कियों को स्कूल जाते हुए दिखाया गया है। पाँच रुपये मूल्य के इस बालदिवस टिकट को २००४ में जारी किया गया था। इस टिकट पर अंकित चित्र को अनामिका दास नाम की एक लड़की ने डाक विभाग द्वारा आयोजित एक प्रतियोगिता में बनाया था। इस चित्र को चुने जाने का मुख्य उद्देश्य बच्चों की शिक्षा के महत्व को उजागर करना था, खासकर ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में। अगर ध्यान से देखें तो बायीं ओर मूल्य थोड़ा ऊपर घास पर २००४ की संख्या को देखा जा सकता है। यह संख्या इसके प्रकाशन वर्ष को इंगित करती है। ऊपर बायीं ओर लाल रंग से हिंदी में बालदिवस और अंग्रेजी में चिल्डरन्स डे लिखा गया है। दायीं ओर काले रंग में ऊपर हिंदी में भारत और अंग्रेजी में इंडिया लिखा गया है। इस कलाकृति का विषय शिक्षा था।

वर्ष २००५ में बालदिवस के अवसर पर जो टिकट जारी किया गया वह बाल चित्र समिति को समर्पित था। यह वर्ष बाल चित्र समिति का स्वर्ण जयंती (50 वर्ष) वर्ष था इसे विशेष रूप से चिह्नित करने के ले और बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण मनोरंजन और सिनेमा के महत्व को बढ़ावा देने के लिये इस चित्र का चयन किया गया था। बाल चित्र समिति (चिल्ड्रेन्स फिल्म सोसायटी आप इंडिया संक्षेप में सी.एफ.एस.आई) भारत सरकार की एक संस्था थी जो बच्चों के लिए फिल्में बनाती और वितरित करती थी। इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों का मनोरंजन, सांस्कृतिक और शैक्षणिक विकास करना था। यह संस्था विभिन्न भाषाओं में बच्चों की फिल्में और टीवी कार्यक्रम बनाती थी। मार्च २०२२ में, इसका राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (नेशनल फिल्म डेवलेप्मेंट कार्पोरेशन एन. एफ. डी सी) में विलय कर दिया गया। अब इसके कार्यों को राष्ट्रीय युवा एवं बाल-फिल्म केन्द्र (नेशनल युवा एंड बाल फिल्म केंद्र एन वाय सी एफ सी) और अन्य निकायों के माध्यम से जारी रखा जा रहा है।

वर्ष १९५७ से २००२ तक के बालदिवस डाक-टिकटों की कहानी रमेश रंजक के लेख में यहाँ देखें।

१ नवंबर २०२५

 
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