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घर-परिवार जीवन शैली


१५ सुझाव जो जीवन को
 स्वस्थ, सुखद, संतुष्ट बना सकते हैं
(संकलित)


१५. तुलना करना छोड़ दें-
तुलनात्मक अध्ययन केवल किताबों में अच्छा लगता है, या फिर पाठ्यक्रम में। सामाजिक जीवन में तुलना करना सबको दुख देता है। यदि हम दूसरों के सामने दो लोगों की तुलना करेंगे तो एक न एक दिन बात उन तक पहुँचेगी और धीरे धीरे झगड़े और मनमुटाव तक। यदि हम मन ही मन अपनी तुलना दूसरों से करेंगे तो दो परिणाम हो सकते हैं। यदि तुलना का पात्र हमसे बेहतर है तो हमें निराशा होगी और यदि तुलना का पात्र हमसे कमतर है तो अभिमान उपजेगा। दोनो ही स्थितियों में यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिये ठीक नहीं है। दुनिया रंग रंगीले लोगों का मेला है, कोई भी दो व्यक्ति एक से नहीं हैं। जिसके साथ हमें ज्यादा अच्छा लगता है उसके साथ हम ज्यादा समय बिताएँ और जिसके साथ हमें कम अच्छा लगता है उसके साथ कम। ईश्वर की बनाई हुई हर चीज का आनंद उठाएँ, कहीं न कहीं संतुलन बनाना होता है, धीरे धीरे अभ्यास करें। सुख और आनंद की दुनिया में कोई कमी नहीं रहेगी।

५ जनवरी २०१५

(अगले अंक में एक और लेखमाला)                पृष्ठ- . . . . . ६. . . ९. १०. ११. १२. १३. १४. १५.

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