दिन
में वो भी दोपहर के समय, साथ में खिली हुई धूप और छितरे से
बादलों के साथ हवाई जहाज मे खिड़की पर बैठने मिलना, किसी
प्रतियोगिता में एक मैडल जीतने जैसा लगा मुझे कल।
घुमाव
लिए हुए समुद्र के किनारे के साथ नीले रंग पर सफेद-सी
धारियाँ जो लहरों की होनी चाहिए निगहों को बाँध रही थी। मै जो जहाज में बैठते ही सो जाता हूँ
कोई पौन घंटे तक जगा रहा, नीचे के दृश्यों को देखते हुए।
एक झील का वहाँ होना, वह भी समुद्र से सटे हुए, हवा में
लटके सफेद कपासी बादल, और जमीन का अलग सा रंग, आसमान में
उड़ते हुए जहाज से नीचे का नजारा पहली बार इतना स्पष्ट व
मोहक देखा। कल न्यूकासल से मेलबर्न आते आते बस मजा आ गया।
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रतन
मूलचंदानी
१ जनवरी २०२३ |