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हास परिहास

२०१०


सड़क के किनारे भीड़ लगी हुई थी, लगता था कोई दुर्घटना हो गई है। कुछ लोग दुर्घटना को देखने के लिये उस तरह बेचैन हो उठते हैं जैसे बच्चे तमाशा देखने को। ऐसा ही एक व्यक्ति भीड़ में घुसने के लिये बेचैन हो गया। भीड़ बड़ी थी और उसमें घुसना आसान नहीं था। जब कोई हटा नहीं तो वह चिल्ल्ता हुआ बोला, जिसका एक्सिडेन्ट हुआ है मैं उस का पिता हूँ।
झट रास्ता मिल गया।
अदंर जाकर देखा तो एक गधा मरा पड़ा था।

२७ दिसंबर २०१०


एक बार एक बार कुछ मित्र ताजमहल देखने दिल्ली से आगरा पहुँचे। उन्हें ताजमहल बहुत पसंद आ गया, इसलिये यह निर्णय लिया गया की ताजमहल को धकेलकर आगरा से दिल्ली ले जाएँगे। सब मिलकर ताजमहल को धक्का लगाने लगे। कुछ देर बाद जब उन्हें थकान कारण पसीना आने लगा, तो सबने अपनी अपनी कमीज उतारकर पीछे रख दी और धक्का देना जारी रखा। एक चोर यह सब देख रहा था और सबके व्यस्त होते ही वह सारी कमीजें समेटकर चलता बना। जब दिन बीता और अँधेरा होने लगा तब उनमें से एक को कमीज़ों की याद आई। लेकिन कमीजें खो जाने के दुख की बजाए वह खुशी से उछलते हुए चिल्लाने लगा- अरे देखो दोस्तों हम ताज को कितना दूर ले आए, यहाँ से तो हमारे कपड़े भी नहीं दिख रहे हैं।

२० दिसंबर २०१०


एक मित्र दूसरे मित्र से-
'मेरे लिये ११ का अंक हमेशा ही शुभ रहा है।
११वें महीने की ११ तारीख को ११ बजे हमारी शादी हुई।
जो मकान रहने को मिला उसका नंबर भी ११ है।
फिर एक दिन मुझे किसी ने बताया कि आज बड़ी रेस होने वाली है। अचानक समय पर निगाह पड़ी तो ११ बजकर ११ मिनिट और ११ सेकण्ड !
मैंने सोचा कि मेरे लिये ११ के नम्बर में जरूर चमत्कार छिपे हुये हैं, मैं गया और ११वें नम्बर की रेस के लिये ११ वें घोड़े पर ११ हजार रूपये लगा दिये।'
दूसरा मित्र : 'और घोड़ा जीत गया?'
पहला मित्र : 'यही तो रोना है! कम्बख्त ११वें नम्बर पर आया!'


१३ दिसंबर २०१०

बल्लेबाज महोदय अपना प्रेम प्रसंग सुना रहे थे- वह तेज गेंद की तरह मेरे जीवन में आई और मुझसे लगभग टकराते हुए निकल गई। मेरा दुर्भाग्य कि मैं उसे रोक नहीं पाया।
आजकल वह कहाँ है? मित्र ने पूछा।
यहीं है। हमारे विकेट कीपर की पत्नी है। जवाब मिला।

६ दिसंबर २०१०


एक व्यक्ति पड़ोसी के सामने अपने कुत्ते की तारीफ़ कर रहा था- "रोज सुबह मेरा कुत्ता मुझे अखबार लाकर देता है।"
"अरे तो इसमें कौन सी बड़ी बात है?"
"ब
ड़ी बात यह है कि वह मेरे पड़ोसी का अखबार लाकर मुझे देता है।"

२९ नवंबर २०१०

एक आदमी नाई की दुकान पर दाढ़ी बनवाने गया और अपने पिचके गालों की ओर इशारा करते हुए बोला– "मेरे गालों के इस गड्ढे के कारण दाढ़ी बढ़िया नहीं बन पाती और कुछ बाल छूट जाते हैं।"
"कोई बात नहीं, नाई बोला– "मेरे पास इसका इलाज है। उसने पास के दराज में से लकड़ी की एक गोली निकाली और उसे देते हुए बोला– "इसे अपने गाल के बीच रख लो।
उस आदमी ने वह गोली मुँह में रख ली जिससे उसका गाल फूल गया और नाई ने उसकी शानदार, बढ़िया दाढ़ी बनाई।
"यदि यह गोली गलती से पेट में चला जाए तो?" उस आदमी ने कठिनाई से बोलते हुए पूछा।
"कोई बात नहीं, नाई बोला – "कल लेते आना। अभी तक तो वे सारे ग्राहक जिनके पेट में यह गई इसे अगले दिन वापस लेते आए हैं।"   

२२ नवंबर २०१०


अस्पताल में सुबह के पहले राउंड के समय नर्स ने एक मानसिक रोगी को बहुत घबराया हुआ पाकर पूछा कि आखिर बात क्या है
मानसिक रोगी नर्स से बोला, "रात में मुझे सपना आया कि मैं एक बड़ा भारी पपीता खा रहा हूँ।"
"परंतु इसमें चिंता की क्या बात है?" नर्स ने पूछा।
"जब मैं सुबह उठा तो देखा कि सिरहाने से तकिया गायब है।" रोगी ने चिंता का कारण स्पष्ट किया।

१५ नवंबर २०१०

एक कंजूस पिता ने अपने बेटे से पूछा,
"आज तुम अपनी मंगेतर के साथ होटल में खाना खाने और पिक्चर देखने गए थे कुल कितने रुपये खर्च हुए।"
"लगभग दो- ढाई सौ रुपये।"
"खैर यह तो बहुत नहीं है कंजूस का पिता ने चैन की साँस ली।"
"हाँ पिताजी, दरअसल इससे अधिक उसके पर्स में थे ही नहीं।" बेटे ने उत्तर दिया।

८ नवंबर २०१०


इस बार दीपावली के अवसर पर एक फिल्मी चुटकुला
अमिताभ बच्चन-  मेरे पास राकेट है,
               शुर्ली है,
               मुर्गा बम है,
               अनार है।
               तुम्हारे पास क्या है?
शशि कपूर-  मेरे पास माचिस है।

नवंबर २०१०


एक कवि ने ढेर सारी कविताएँ लिखीं और एक प्रसिद्ध पत्रिका के संपादक तो निम्नलिखित टिप्पणी के साथ भेजीं- महोदय मैंने ये कविताएँ मात्र भावनाओं के आवेश में आकर लिखी हैं। मैं यह नहीं जानता कि ये कविताएँ किस धारा के अंतर्गत आती हैं, कृपया बताएँ।
उत्तर मिला- आपकी कविताएँ ध्यान से पढ़ने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि ये कविताएँ केवल गंगा की धारा के ही उपयुक्त हैं, इसलिये आप कृपया इन्हें वहीं डाल दें।

२५ अक्तूबर २०१०


एक व्यक्ति बस में यात्रा कर रहा था। समय काटने के लिये उसने पास बैठे एक और यात्री से बातचीत शुरू कर दी।
"आपकी दाढ़ी बहुत अच्छी बनी है।"
"जी धन्यवाद।"
"लगता है आज ही बनाई।"
"जी... जी...।"
"सप्ताह में कितनी बार दाढ़ी बनाते हैं?"
"सप्ताह में? मैं तो दिन में तीस चालीस बार दाढ़ी बनाता हूँ।"
"अरे पागल हो क्या?"
"नहीं मैं नाई हूँ।" ---------------------------------------------------------------
------------------------------ ----१८ अक्तूबर २०१०


विश्वविद्यालय के उस विभाग के बारे में अक्सर यह सुनने मे आता था कि वहाँ परीक्षाफल मे भारी गड़बड़ होती है। फिर भी एक छात्र ने वहाँ प्रवेश लिया और परीक्षा मे बैठा।
एक तो उसे विभाग पर भरोसा था, दूसरे उसके पास कहीं और जाकर पढ़ने की सुविधा भी नहीं थी और तीसरे उसे अफ़वाहों पर विश्वास करना पसंद नहीं था। जल्दी ही उसे अपनी इस नेक नीयत और निष्ठा का फल मिला।
बीमारी के कारण वह अंतिम पेपर नही दे पाया था, लेकिन फिर भी वह पास हो गया। उसने पत्र लिख कर पूछा कि ऐसा कैसा हुआ? वहाँ से छ्पा-छपाया जवाब आया, यह बोर्ड का अंतिम निर्णय है।

११ अक्तूबर २०१०


सिनेमा हॉल में पिक्चर चल रही थी और पति पत्नी लगातार बातें कर रहे थे, जिससे पास बैठे दर्शक परेशान थे। एक दर्शक से जब न रहा गया तो वह बोल उठा, "क्या तोते की तरह टॉय टॉय लगा रखी है, कभी चुप नहीं होते।"
इस पर पति महोदय ने बिगड़कर दर्शक से पूछा, "क्या आप हमारे विषय में बात कर रहे हैं?"
दर्शक ने उत्तर दिया, "नहीं जी, आपसे नहीं फिल्मवालों से कह रहा हूँ। शुरू से बोले ही जा रहे हैं। आप लोगों की बातचीत का एक भी शब्द सुनाई नहीं दे रहा है।"

४ अक्तूबर २०१०


गांधी जयंती के अवसर पर
एक बार पं. मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू बापू से मिलने उनके आश्रम में गए। साँझ की बेला थी। बापू की कुटिया में एक नन्हा सा दीपक जल रहा था। द्वार पर ही बापू की लाठी पड़ी थी। जब दोनो पिता पुत्र वहाँ पहुँचे तो दैव योग से दीपक बुझ गया और जवाहरलाल नेहरू बापू की लाठी से जा टकराए। पैर में हल्की सी चोट लगी तो बापू से बोले, "बापू, आप तो अहिंसा के उपासकक हैं, फिर यह लाठी क्यों?"
"
तुम सरीखे शरारती लड़कों को ठीक करने के लिये।" बापू ने हँसकर उत्तर दिया।


२७ सितंबर २०१०


एक महिला लगातार अपने बेटे की प्रशंसा कर रही थी। जब वह सभी बातें बता चुकी और कोई विशेष बात कहने को न रह गई तो दूसरी ने तुरुप का पत्ता फेंका, "मेरा बेटा तो फूल सा हल्का है बहन, तुम्हारा बेटा तो इतना भारी है कि गोद तक में नहीं उठाया तक नहीं जाता।"
"अरे भारी कैसे नहीं होगा, भिलाई में जो पैदा हुआ है।" पहली महिला ने नहले पर दहला ठोंक दिया।


२० सितंबर २०१०


एक बार एक संपादक की इतनी पिटाई हुई कि उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। अस्पताल में एक मित्र उन्हें देखने आए और पूछा कि उनकी इतनी पिटाई क्यों हुई।
संपादक महोदय ने बताया, "एक विज्ञापन गलत छप गया था। मैंने 'भीमसेन पहलवान छाप अगरबत्ती' की जगह 'अगरबत्ती छाप भीमसेन पहलवान' छाप दिया और पहलवान कार्यालय आ धमका।"

१३ सितंबर २०१०


सुबह सुबह दरवाजे पर भिखारी की पुकार सुनकर घर की मालकिन दनदनाती हुई पहुँची और भड़ककर बोली- "शरम नहीं आती, हट्टे-कट्टे होकर भीख माँगते हो। दो हाथ हैं, दो आँख हैं, पैर हैं, फिर भी सुबह सुबह मुँह उठाकर भीख माँगने निकल पड़े, कोई काम क्यों नहीं करते?"
भिखारी ने शांति से उनकी फटाकार सुनी और बोला- "माताजी, आप भी खूबसूरत, गोरी-चिट्टी हैं, सुंदर देह है और अभी आपकी उम्र ही क्या है? आप मुंबई जाकर हीरोइन क्यों नहीं बन जाती? घर पर बेकार क्यों बैठी हैं?"
"जरा रुको, मैं अभी तुम्हारे लिए हलवा-पूरी लाती हूँ।" घर की मालकिन तेजी से रसोई की ओर दौड़ पड़ी।

६ सितंबर २०१०


परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने पर गैंगस्टर के बेटे ने अपने पिता से क्या कहा?
"वे लोग मुझसे पूरे तीन घंटे तक पूछताछ करते रहे पर मैंने उन्हें कुछ भी नहीं बताया।"

३० अगस्त २०१०


"हमारे गाँव में इतना बड़ा गोभी का फूल उगता है कि उसके नीचे फौज की पूरी बटलियन विश्राम कर लेती है।" एक मित्र ने दूसरे  कहा।
"अरे यह तो कुछ भी नहीं। दूसरे ने कहा, हमारे गाँव में ताँबे की इतनी बढ़ी देगची बनाते हैं कि उस पर एक हज़ार आदमी ठोंकपीट करते हैं, फिर भी एक को दूसरे की आवाज़ सुनाई नहीं देती।"
"हा हा हा बिलकुल झूठ, पहला मित्र खुलकर हँसा, "भला ऐसी देगची कौन खरीदता है?"
"तुम्हारे गाँव के गोभी पकाने वाले।" दूसरे ने चतुराई से उत्तर दिया।

२३ अगस्त २०१०


आयातित वस्तुओं के प्रेमी एक व्यक्ति ने बड़े ही शौक से एक जापानी रेडियो खरीदा और अगले ही दिन बुरी तरह झल्लाते हुए दूकानदार के पास पहुँचा- "धोखा दिया है तुमने मुझे वापस करो यह रेडियो जापानी नहीं है।"

दूकानदार हैरान हो गया, "आपको कोई गलतफ़हमी हो गई है महाशय, देखिये इस पर लिखा हुआ है 'जापान में निर्मित'।" विक्रेता ने ग्राहक का गुस्सा देखते हुए शांति से समझाने की कोशिश की।
मगर वह और भड़क गया-
"लिखा होने से क्या होता है? जैसे ही मैंने इसको चालू किया इसमें से आवाज़ आई, "यह आल इंडिया रेडियो है।"

अगस्त २०१०


घर की सुख शांति से प्रभावित होकर एक मित्र ने दूसरे से पूछा, "आखिर घर की व्यवस्था किस प्रकार चलाई जाती है?"
दूसरे मित्र ने पहले को विस्तार से बताया- "हम घर का संचालन लोकतंत्र प्रणाली के आधार पर करते हैं। उदाहरण के लिये- मेरी पत्‍नी वित्त मंत्री है, सास रक्षा मंत्री है, ससुर विदेश मंत्री है और साली लोक सम्पर्क मंत्री है।"
"अच्छा, अच्छा, फिर तो आप प्रधान मंत्री होगे?" पहले मित्र ने मुस्कुराते हुए पूछा।
"नही, मै बेचारा तो जनता हूँ।" दूसरे ने तटस्थ भाव से उत्तर दिया।

९ अगस्त २०१०


गणित की कक्षा में गुरू जी पढ़ा रहे थे-
"एक नाव में ५०० नेता बैठे थे। बाढ़ में उमगती नदी के कारण नाव उलटी और ३०० पानी में डूब गए। कितने नेता बचे?"
"२०० नेता।" एक छात्र ने उत्तर दिया।
"बचे हुए २०० नेता दूसरी नाव में आगे बढ़े। संयोग से फिर नाव उलट गई और नाव में बैठे सभी नेता डूब गए। अब क्या बचा?"
सभी छात्र जोर से बोले, "देश बच गया।"

अगस्त २०१०


पिता ने पुत्र को आत्मनिर्भरता का उपदेश देने के इरादे से कहा, "बेटा, अमेरिका मे पंद्रह साल के बच्‍चे भी अपने पैरों पर खडे हो जाते हैं।"
"लेकिन पिताजी, भारत मे तो एक साल का बच्‍चे भागने भी लगते है।" पुत्र ने गर्व से उत्तर दिया।

२६ जुलाई २०१०


मैनेजर साहब मेज पर बैठे आराम से अखबार पढ़ रहे थे। उन्होंने अपना प्याला उठाकर आगे किया और कहा,
"मुझे एक प्याला कॉफी और दो।"
"आज कॉफी ही पीते रहोगे, ऑफिस नहीं जाना है?" पत्नी ने पूछा।
"अरे राम, वे हड़बड़ाकर उठ बैठे, "मैं सोच रहा था कि मैं ऑफिस में बैठा हूँ।"

१९ जुलाई २०१०


एक व्यक्ति बाज़ार में एक तोते को नीलम कर रहा था। बोली १०० रुपये तक पहुँचकर छूटी।
खरीददार मुस्कराकर कहने लगा, "खैर, ले लेता हूँ लेकिन इतना बता दें कि यह बोलेगा भी?"
"अजी, यही तो आपके खिलाफ बोली बढ़ा रहा था!" बेचने वाले व्यक्ति ने सौ का नोट झपटते हुए कहा।


१२ जुलाई २०१०


एक व्यक्ति पहली पहली बार फुटबाल मैच देखने पहुँचा। खेल को ठीक से समझने के लिये उसने पास बैठे एक अन्य व्यक्ति से पूछा, "ये दोनो छोरों पर जो जाल से घिरा हुआ है वह क्या है?"
वह गोल है। दूसरे व्यक्ति ने उत्तर दिया।
"कमाल है जी, वह तो साफ चौकोर दिख रहा है। क्या वह आपको गोल दिखता है?" पहले व्यक्ति ने संदेह से पूछा।
"नहीं, वह है तो चौकोर लेकिन जब फुटबाल उसमें जाता है तब गोल हो जाता है।"
"यह तो और भी नयी बात है जी, फुटबाल तो पहले से ही गोल होता है वह उसमें जाकर कैसे गोल होगा?" दूसरे व्यक्ति ने आश्चर्य से पहले व्यक्ति को ओर देखते हुए कहा।

५ जुलाई २०१०


मच्छर का नन्हा बच्चा जब अपनी पहली उड़ान पूरी कर के घर लौटा तो उसके माता पिता ने पूछा, "क्यों बेटा, कैसा लगा पहले दिन उड़कर?"
"बहुत ही अदभुत आनंद था पिताजी... खास बात तो यह थी कि सभी मनुष्य जाति मेरी इस पहली उड़ान का ताली बजाकर स्वागत कर रहे थ, मैं जिधर भी जाता लोग तालियाँ बजा रहे थे।"
मच्छर के बच्चे ने उत्साहपूर्वक बताया।

२८ जून २०१०


चुनाव के दिन थे और दिन भर अलग अलग पार्टियों के प्रचार में लगे कुछ युवक युवती शाम को साथ मिलकर विश्राम चाय की छुट्टी का आनंद ले रहे थे। समय का लाभ उठाते हुए एक युवक ने अपनी मनपसंद युवती को प्रसन्न करने के लिए कमल का फूल उपहार में दिया।
लड़की को यह पसंद न आया और उसने पलट कर एक जोरदार तमाचा युवक के गाल पर जड़ दिया।
युवक ने बात संभालते हुए कहा, "आप तो बेकार ही नाराज़ हो गयीं। मैंने तो सिर्फ अपनी पार्टी भजपा का प्रचार कर रहा था।"
"अरे इसे आप मेरी नाराज़गी न समझें। मैं भी सिर्फ कांग्रेस का प्रचार ही कर रही थी।" लड़की ने उत्तर दिया।

२१ जून २०१०


"वकील साहब उसने मेरा बहुत आपमान किया है। आप मेरी तरफ़ से मानहानि का दावा कर दीजिए।"
"शांति रखें महाशय सारी बातें शुरू से बताएँ।"
"शुरू क्या और आखीर क्या उसने सबके सामने मुझे गालियाँ दी और कहा जहन्नुम में जाओ।"
"फिर आपने क्या किया।"
"मैं क्या करता सीधा आपके पास चला आया।"

१४ जून २०१०


एक दरवाज़े पर घंटी लगी थी, जिस पर लिखा था डॉक्टर के लिए घंटी बजाएँ।
आधी रात को एक शराबी उधर से निकला। उसने घंटी देखी फिर उसके ऊपर लिखी पंक्ति को पढ़ा और फिर घंटी बजाने लगा। थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला और आँखें मलता हुआ एक व्यक्ति बाहर निकला।
"आप डॉक्टर हैं?" शराबी ने पूछा।
"हाँ।"
"यह घंटी आप खुद नहीं बजा सकते?"

७ जून २०१०


पति पत्नी मे पैसे के महत्त्व को लेकर बहस चल रही थी। पति उत्तेजना से बोला, सब कुछ पैसे पर टिका है। यहाँ तक कि यह घर भी।
पत्नी ने शांति से उत्तर दिया, "सिर्फ घर ही क्यों, मै भी।"


३१ मई २०१०


मालिक ने नया नौकर रखते समय पूछा- "इस बात का तुम्हारे पास क्या सबूत है कि तुमने जगन्नाथ बाबू के यहाँ एक साल तक खाना पकाने का काम किया है।"
नौकर ने मालिक को विश्वास दिलाते हुए उत्तर दिया-
"मेरे पास एसे कई बर्तन है हुज़ूर जिन पर उनका नाम खुदा है।"

मई २०१०


मेजबान टीम का कप्तान अम्पायर को समझा रहा था, "आप इस मैच के अम्पायर हैं। वैसे तो मैं आपसे समझदारी की अपेक्षा करता हूँ, पर आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि मैदान के साथ की इमारत अस्पताल है। दूसरी ओर नदी बह रही है जिसमें गिरने के बाद कोई नहीं बचा है और इस मैदान में आज तक मेरी टीम कोई मैच हारी नहीं है।"

१७ मई २०१०


दो व्यापारी आपस में बात कर रहे थे। पहले ने दूसरे से कहा- "टी वी और पत्र पत्रिकाओ में आने वाले विज्ञापनो से पिछले सप्ताह मुझे बहुत नुकसान ऊठाना पड़ा।
"लेकिन तुम तो कभी विज्ञापन नहीं देते।" दूसरे व्यापारी ने अचरज से पूछा
"हाँ मैं तो नहीं देता मगर दूसरे तो देते हैं न, और मेरी पत्नी व बच्चे उन्हें देखते ही हैं।" पहले व्यापारी ने बात को स्पष्ट करते हुए कहा।

१० मई २०१०

"क्या आप जानते हैं कि जेल को हवालात क्यों कहते हैं?"
"क्योंकि वहाँ खाने को केवल हवा और लात ही मिलती है!"

३ मई २०१०


एक पिता और पुत्र आपस में बात कर रहे थे-
"अगर मैं एक केले को बीच में से काट दूँ तो क्या बन जाएगा?"
"दो टुकड़े।"
"बहुत अच्छे! फिर उसके दो टुकड़े कर दूँ तो?"
"चार।"
"शाबाश! उनके भी दो टुकड़े कर दूँ तो?"
"आठ।"
"उनके भी दो कर दूँ तो?"
"सोलह।"
"उनके भी..."
बेटे ने बीच में ही पिता की बोत काट दी- "हे... हे... अब तो चटनी बन जाएगी।"

२६ अप्रैल २०१०


एक मनोवैज्ञानिक कार्यक्रम के लिए चुनाव करते समय रेडियो स्टेशन के कार्यक्रम अधिशासी ने प्रत्याशी से पूछा,
"तुम्हारा मनपसंद विषय क्या है?"
"हास परिहास।" प्रत्याशी ने उत्तर दिया।
"कुछ कर के दिखा सकते हो?" अधिशासी ने पूछा।
प्रत्याशी तत्काल अपने स्थान से उठा और कमरे से बाहर आकर प्रतीक्षा करते अन्य प्रत्याशियों से बोला, "भाइयों, अब आप अपने घर वापस जाएँ, मैं चुन लिया गया हूँ।"

और उसे सचमुच चुन लिया गया।

१९ अप्रैल २०१०


वकील ने एक गवाह से जिरह में पूछा, हाँ तो यह बताओ कि जिन सीढ़ियों पर तुमने चोर को देखा वे सीढ़ियाँ कहाँ जाती हैं।
गवाह की कुछ समझ में न आया और वह सिर खुजाने लगा।
वकील ने प्रश्न दोहराया।
गवाह कुछ सचेत हो बोला, सीढ़ियाँ कहाँ जाएँगी हुजूर। सिर्फ़ चोर ही उन्हें फँलागता हुआ फ़रार हो गया।

१२ अप्रैल २०१०


चिड़ियाघर में घूमने आए एक पर्यटक ने देखा कि एक कर्मचारी कोने में बैठा फफक-फफककर रो रहा है। उसे इस प्रकार रोता देख उसने दूसरे कर्मचारी से पूछा- "यह क्यों रो रहा है भाई?"
"चिड़ियाघर में एक हाथी मर गया है, महोदय।" दूसरे कर्मचारी ने उत्तर दिया।
"ओह, इस कर्मचारी को उस हाथी से बहुत लगाव होगा?" पर्यटक ने बात को समझने की कोशिस करते हुए कहा।
"यह बात नहीं है महोदय, इस कर्मचारी को हाथी दफनाने के लिए गड्ढा खोदने का काम दिया गया है।" दूसरे कर्मचारी ने उत्तर दिया।
 

५ अप्रैल २०१०


मुझे यह कार ख्ररीदे दो साल से अधिक हो चले हैं, लेकिन आपको यह जान कर हैरत होगी कि अभी तक इस की सर्विसिंग और मरम्मत का मैने एक भी पैसा नही दिया है।’
"जी नही, बिलकुल हैरत नही हुई।"
"क्यों?"
क्योकि मुझे सर्विस स्टेश्‍न के मालिक ने पहले ही बता दिया था कि आपने दो साल से उसके बिलों का भुगतान नही किया है।"

२९ मार्च २०१०


"सर, अँग्रेजी के अध्यापक अँग्रेजी में बात करते हैं और हिंदी के हिंदी में फिर आप गणित में बात क्यों नहीं करते?" एक विद्यार्थी ने अध्यापक से पूछा।
"ज्यादा तीन पाँच न कर, फौरन नौ दो ग्यारह हो जा, वरना छठी का दूध याद करा दूँगा।" गणित के अध्यापक ने उत्तर दिया।

२२ मार्च २०१०


"सुना है महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में पारित हो जाने के बाद महिलाओं के संसद में तैंतीस प्रतिशत सीटें मिल जाएँगी।"
"हाँ वह तो है।"
"तो क्या पुरुष अपने लिए किसी आरक्षण की माँग नहीं करेंगे?"
"क्यों नहीं, वे भी माँग कर सकते हैं तैंतीस प्रतिशत सीटों की।"
"यह तो बड़ी अजीब बात हुई!"
"इसमें अजीब क्या है?"
"अच्छा तो मान लो तैंतीस प्रतिशत महिलाओं की सीटें और तैंतीस प्रतिशत पुरुषों की तो कुल मिलाकर छाछठ प्रतिशत सीटें। अब बाकी जो चुनकर आएँगे उन्हें हम क्या कहेंगे?"

१५ मार्च २०१०


पत्नी ने सुबह उठकर पति से कहा, "मैने आज सपनो मे देखा है कि तुम मेरे लिए हीरों का हार लाए हो, इस सपने का क्या अर्थ हो सकता है?"
"आज शाम को बताऊँगा।" पति ने उत्तर दिया।
शाम को पति ने एक पैकेट पत्नी को लाकर दिया। पत्नी ने खुशी-खुशी पैकेट खोला तो उस मे एक किताब निकली। किताब का नाम था- 'सपनों के अर्थ'।

८ मार्च २०१०


होली का दिन था। क्लब में त्योहार मनाने की व्यवस्था थी होली खेलने, नहाने और खाने पीने का सब प्रबंध किया गया था। अच्छा हंगामा जमा और मधुर मधुर टुन्न होने के बाद घर को लौटते समय एक सज्जन ने क्लब से पुलिस को फोन पर घबराई हुई आवाज में रपट लिखवाई,
"मेरी कार का क्लच, एक्सिलेटर, डैशबोर्ड आदि सब चोरी हो गए हैं।"
पुलिस स्टेशन पर तैनात अधिकारी ने रपट लिखकर सब कुछ जल्दी ढूँढ देने का वायदा किया।
फोन रखते ही फिर से घंटी बजी। पुलिस अधिकारी ने फोन उठाया, वही सज्जन बोल रहे थे,
"माफ़ कीजिएगा दरोगा जी, सब कुछ सलामत है। मैं ही गलती से पिछली सीट पर बैठ गया था।"    
     १ मार्च २०१०


किसी भोज में कई देशों के नागरिक सम्मिलित हुए। अचानक एक अमेरिकी नागरिक ने भारतीय नागरिक से कहा, 'देखिए आपकी सफेद पतलून पर कॉफी के दाग लग गए हैं। इन्हें साफ़ कर लीजिए।"
यह सुनकर भारतीय नागरिक ने झल्लाते हुए कहा, "तुम अमेरिकी सदा दूसरों के निजी मामलों में हस्तक्षेप करते हो। तुम्हारी सिगरेट से तुम्हारा कोट पिछले पंद्रह मिनट से जल रहा है, किंतु मैंने तो तुमसे कुछ नहीं कहा।

२२ फरवरी २०१०


एक सज्जन फूलों की दूकान पर गए और एक जोड़ी फूलों के गुच्छों का मूल्य पूछा।
"दोनो के १०० रुपये लगेंगे।" दूकानदार ने कहा।
सज्जन पुनः बोले, "इस एक पुष्पगुच्छ का क्या मूल्य होगा?"
" साठ रुपए होंगे एक के।" दूकानदार ने उत्तर दिया।
"तो फिर यह लो चालीस रुपये और दूसरा पुष्पगुच्छ मुझे दे दो।" सज्जन ने झट से निर्णय लिया।

१५ फरवरी २०१०


घड़ी साज़ काम के बाद शाम को घर लौटा तो देखा पत्नी किसी ज्योतिषी से बात कर रही है। वह चुपचाप साथ में बैठकर उनकी बातें सुनने लगा। ज्योतिषी किसी बुरी घड़ी की बात कर रहा था। फिर उसको सुधारने के कठिन उपाय बताने लगा। घड़ीसाज़ सबकुछ सुनने के बात शांति से बोला,
"घड़ियों के मामले में मुझसे साँठ-गाँठ कर लो। खराब घड़ियों को सुधारना मैं भी जानता हूँ।"

८ फरवरी २०१०


दूकान पर एक ग्राहक बहुत देर से टहल रहा था। कभी कोई चीज उठाता, उसे देखता, फिर उसे रखकर दूसरी चीज उठा लेता। किसी वस्तु के दाम पूछता तो किसी वस्तु के अन्य रंग या आकार हैं या नहीं यह जानना चाहता। इस सबके बावजूद वह खरीद कुछ भी नहीं रहा था। काफी देर तक उसका यही व्यवहार रहा तो दुकानदार ने खीझ कर पूछा - "श्रीमान जी, आखिर आपको चाहिए क्या?
"मौका!" ग्राहक बुदबुदाते हुए कहा।

१ फरवरी २०१०


गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में समारोह के बाद शर्माजी अपने नेता मित्र से बात करते हुए बोले-
यार आजकल मैं अपने बेटे सुकुमार को लेकर बहुत परेशान हूँ। उसका विकास रुक गया है, अच्छा खाने-पीने पर भी यह स्वस्थ नहीं हो रहा है। किसी अच्छे डॉक्टर का नाम बताओ।
नेता जी ने हँसते हुए उत्तर दिया- डॉक्टरो के पास जाने से कुछ नहीं होगा। इसका नाम भ्रष्टाचार रखो। फिर देखना इसका विकास किस रफ्तार से होता है।-----------------------------------
------------------------                     २५ जनवरी २०१०


एक छोटा सा देश था, उसकी समस्याएँ बहुत अधिक थीं। मीटिंग हुई, 'इन्हें कैसे दूर किया जाए?'
पहला व्यक्तिः अमेरिका पर हमला कर दो।
दूसराः उससे क्या फ़ायदा?
पहलाः 'लड़ाई होगी, वह जीत जाएँगें। हमारी सारी समस्याएँ उनकी हो जाएँगी।'
सभी व्यक्तियों ने अपनी सहमति प्रकट कर दी।
जब सब उठने लगे तो एक बोला- 'लेकिन अगर हम जीत गए तो?'
--------------------------------------१८ जनवरी २०१०


कोर्ट में जिरह करते वकील गवाह की हरकतों से परेशान हो गए थे। गवाह सवालों के जवाब देने की बजाय कभी नाक-भौं चढ़ाता, तो कभी उछल-कूद करने लगता।
आखिर परेशान वकील ने उससे कहा- "देखो, यह उछलकूद और नौटंकी बहुत हो गई, अब मुझे हर सवाल का जवाब मुँह से बोलकर चाहिए। साफ़ साफ़ बताओ कि तुम्हारी मुलाकात इस औरत से कैसे हुई?"
"मुँह से बोलकर..!" गवाह ने उत्तर दिया।
----------------------------------------------------------------------११ जनवरी २०१०


बेटे ने पिता से पूछा, "पिताजी, ज्यादा योग्य कौन है मैं या आप?"
पिता ने कहा मैं, "क्यों कि मैं एक तो तुम्हारा पिता हूँ, दूसरे उम्र में तुम से बड़ा हूँ और तीसरे जीवन का मेरा अनुभव भी तुम से ज्यादा है।"
"फिर तो आप जानते ही होगें कि अमेरिका की खोज किस ने की थी?" बेटे ने पूछा।
"बिलकुल जानता हूँ, कोलम्बस ने की थी।" पिता ने उत्तर दिया।
"कोलम्बस के पिता ने क्यों नही की? उसका अनुभव और उम्र तो कोलम्बस से कही ज्यादा होगे?" बेटे ने तपाक से पलट कर प्रश्न किया।

४ जनवरी २०१०


२००८ | २००९ |  २०१०

   
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