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			कलम गही नहिं हाथ 
           
            
            
            
          होली इमारात की 
 
          रंग भारत की पहचान हैं। यहाँ के मौसम, 
			प्रकृति, भाषा, परिधान और भोजन सब कुछ रंगों से भरपूर है, फिर रंगों के 
			त्यौहार का क्या कहना? इमारात के हर शहर में 
			भारतीय और स्थानीय लोगों के सहयोग से होली खेलने के जबरदस्त इंतजाम 
			किये जाते हैं। आबूधाबी, दुबई, शारजाह और रसल खैमा इन चार शहरों में 
			बड़े आयोजनों की धूम रहती है। 
 
          इमारात में होली के कार्यक्रम दो तरह के 
			होते हैं। एक में नृत्य, संगीत, भारतीय भोजन, ढोल, डीजे आदि शामिल होते 
			हैं और इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होटलों में किया जाता है। दूसरी 
			तरह के आयोजन समुद्रतट या वाटर पार्कों में होते हैं जहाँ नृत्य, 
			संगीत, भारतीय भोजन, ढोल, डीजे आदि के साथ-साथ होली खेलने की व्यवस्था 
			भी होती है। होली का उत्सव आयोजित करने वाले जिन होटलों में समुद्रतट 
			है उनमें से अनेक होली खेलने की व्यवस्था भी करते हैं। रंगों के कुंड 
			होते हैं, रंग और पानी की बंदूकें, गुलाल, सूखे रंग, तरह तरह के भोजन, 
			चाट और आइसक्रीम व कोल्ड ड्रिक के स्टाल, और बच्चों के मनोरंजन की 
			व्यवस्था की जाती है। देश के जाने माने डीजे, जोश दिलाने वाले प्रसिद्ध 
			नर्तक या नर्तकी के समूह जो स्टेज पर नाचते हुए नीचे खड़ी सैकड़ों की 
			जनता को नचा सके, उन्हें भी वहाँ बुलाया जाता है। रंगों का तूफान खड़ा 
			करने के लिये तरह तरह के कलर बम और रेन नृत्य के भी आयोजन किये जाते 
			हैं। यह दावा भी किया जाता है कि ये रंग प्राकृतिक है, आसानी से छूट 
			जाएँगे और त्वचा को नुक्सान नहीं पहुँचाएँगे। ये दोनो ही तरह के 
			कार्यक्रम सुबह ९-१० बजे से शाम ४-५
			या कभी कभी ७ बजे तक चलते रहते हैं। यहाँ एक मायने में होली 
			मनाना इसलिये फायदे का सौदा रहता है कि सभी लोगों से एक साथ मुलाकात हो 
			जाती है। यानि होली खेलने के साथ-साथ होली मिलन भी हो जाता है। 
 
          इसके अतिरिक्त इमारात में भारत के अनेक 
			स्टार शेफ अपने-अपने रेस्त्रां में होली पर तीन या पाँच स्तरों (कोर्स) 
			वाले पारंपरिक भोजन के विशेष विज्ञापन करते हैं। जिसमें कुणाल कपूर,
			विनीत भाटिया, संजीव कपूर, आशा भोंसले, विकास खन्ना आदि अनेक 
			जाने माने लोगों के प्रसिद्ध रेस्त्रां शामिल हैं। 
 
          होली पर धार्मिक आयोजन भी होते हैं। 
			बर-दुबई के शिव और कृष्ण मंदिर में भी प्रसाद के रूप में अलाव और रंग 
			के छींटे का कार्यक्रम होता है। इसका समय अधिकतर दोपहर १२ से शाम ७ बजे 
			तक था। अनेक योग और ध्यान केंद्र भी अपने यहाँ पूजा या ध्यान के 
			कार्यक्रम अपनी अपनी परंपराओं के अनुसार रखते हैं। 
 
          जो लोग फ्लैट में नहीं रहते और जिनके अपने 
			बँगले हैं उनमें से बहुत से लोग अपने मित्र परिवारों के साथ घर में 
			होली खेलते हैं। और पूरी तरह से भारतीय वातावरण का आनंद उठाते हैं। 
			गाना, बजाना, रंग खेलना, पकाना, खाना सब साथ साथ शाम तक चलता रहता है।
			 
 
          बहुत से भारतीय ऐसे हैं जो बरसों से इमारात 
			में रह रहे हैं। उन्हें अपने परिवार के साथ भारत की तरह होली मनाने का 
			कभी अवसर नहीं मिल पाता, वे चाहते हैं कि बच्चे भारत की सांस्कृतिक 
			विविधता और होली के बारे में गहराई से समझें। रंगों के महत्व और होली 
			के उद्देश्य के बार में जानें। उनके लिये ये तरह तरह के आयोजन बहुत 
			लाभदायक सिद्ध होते हैं। इन्हें ठीक होली के दिन नहीं बल्कि सप्ताहांत 
			में आयोजित किया जाता हैं क्योंकि उसी दिन बड़ों को काम से और बच्चों 
			को स्कूल से छुट्टी मिलती है। इमारात क्योंकि बहुराष्ट्रीय देश है 
			इसलिये जब भारतीय होली मनाने पहुँचते हैं तो उनके विविध देशों के मित्र 
			भी इस उत्सव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते दिखाई देते हैं। 
 
          अरे हाँ इमारात की होली के विषय में मैंने 
			पहले भी दो बार लिखा था उसके लिंक नीचे हैं। शायद कोई पढ़ना चाहे। आपकी 
			टिप्पणियों की प्रतीक्षा रहेगी। होली की हार्दिक शुभ कामनाओं के साथ,
			 
		
		 पूर्णिमा 
		वर्मन १ मार्च २०२२
 
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