1
  पुरालेख तिथि-अनुसार पुरालेख विषयानुसार
           अभिव्यक्ति-समूह : फेसबुक पर

 हमारे लेखक // तुक कोश // शब्दकोश // पता-


१. १२. २०२

इस सप्ताह-

अनुभूति में- 1
सर्दियों के मौसम में कोहरे के विभिन्न आयामों को समर्पित, अनेक रचनाकारों द्वारा रची, ढेर-सी रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- नये साल की तैयारियों के लिये हमारी रसोई संपादक शुचि विशेष रूप से प्रस्तुत कर रही हैं- चॉकलेट चिप कप केक

सौंदर्य सुझाव -- नियमित रूप से भौंहों और बरौनियों पर जैतून का तेल लगाने से वे घनी और चमकदार बन जाती हैं।

संस्कृति की पाठशाला- दिसंबर नाम संस्कृत के दश+अंबर शब्दों से बना है जिसका अर्थ है दसवाँ महीना। दिसंबर भारतीय पंचांग के अनुसार वर्ष का दसवाँ महीना है।

क्या आप जानते हैं? कि आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और मारीशस में दिसंबर गर्मी का महीना है। इसलिये यहाँ क्रिसमस का पर्व ग्रीष्म ऋतु में  मनाया जाता है?

- रचना और मनोरंजन में

गौरवशाली भारतीय- क्या आप जानते हैं कि दिसंबर  के महीने में कितने गौरवशाली भारतीय नागरिकों ने जन्म लिया? ...विस्तार से 

इस-माह-का-विचार- अपने देश की भाषा और संस्कृति के समुचित ज्ञान के बिना देशप्रेम की बातें करने वाले केवल स्वार्थी होते हैं। - मुक्ता

वर्ग पहेली-३४४
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और रश्मि आशीष के सहयोग से

हास परिहास में
पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

साहित्य और संस्कृति-

समकालीन कहानियों में इस सप्ताह प्रस्तुत है प्रियंका ओम की कहानी- जट्टा और चिरैया

वह औचक ही सामने आ गया था। मुझपर नज़र पड़ते ही शर्मिंदगी से उसकी आँखें झुक गई थी। मानो उसका कृत्य क्षण भर पहले का हो। इतने वर्ष बीत गये, वक़्त नये नये पैहरन तैयार करता रहा और पुरानी उतरनें बनती रही। उन्ही उतरनों में से एक आज मेरे समक्ष ऐसे आ गया जैसे काले रंग का वह कुर्ता जिसे पहनने के बाद किसी अप्रिय घटना का घटित होना तय होता और वह दिन हमेशा ही गुरुवार होता।
ताई जी कहती – गुरुवार को काला ना पहना कर और शनिवार को पीला, अपशगुन होता है। दुनिया के शुरू होने से पहले से ही शनिदेव और बृहस्पति देव में निरंतर शीत युद्ध चल रहा है।
आज भी मैंने पीला पहना है और दिन शनिवार है। मैंने उसे अनिच्छा से देखा, अब वह बूढ़ा हो चला है। उसके सफ़ेद हो चुके बालों में बचे काले बाल आसानी से गिने जा सकते थे। उसकी बिल्लौरी आँखें निस्तेज़ हो गई हैं, अब वह पहले की तरह आकर्षक नहीं रहा।
आगे...

***

प्रेरक प्रसंग में
संकलित लघुकथा- सलाह

***

मीना अग्रवाल की कलम से
संस्मरण- मेरे काका

***

प्रकृति और पर्यावरण में जानें
तूफानों के नामकरण की कहानी
***

पुनर्पाठ में अर्बुदा ओहरी के साथ करें
सुबह के नाश्ते को सलाम

***

पिछले माह- दीपावली विशेषांक में-

मधु जैन की लघुकथा
झिलमिलाते नयन

***

नर्मदा प्रसाद उपाध्याय का ललित निबंध
चित्रकूट में बसत हैं रहिमन अवध नरेश
***

पूजा अनिल से पर्व परिचय में
स्पेन में दीपावली का उत्सव
***

डॉ. शोभा निगम से जाने-
रामराज्य और उसकी विशेषताएँ

***

*
कैनेडा से डॉ. हंसादीप के उपन्यास ''केसरिया बालम'' का एक अंश- रंगोली के रंग

जब धानी के जीवन में बाली का प्रवेश हुआ तो एक टीस थी कि सखी बहुत दूर जा रही है पर उसकी चमकती आँखें इस बात का संतोष देतीं कि वह बहुत खुश है इस रिश्ते से। वैसे भी देश-विदेश में कोई दूरी नहीं थी अब।
“देख, यहीं से दिख जाता है अमेरिका”
“कहाँ” धानी आँखें मिचमिचाती पूछती।
“अपने मन की आँखों से देख, वो दिखाई तो दे रहा है!”
और सचमुच धानी देख लेती। पानी के किनारे अट्टालिकाओं का झुरमुट दिख जाता जो सस्नेह आमंत्रित कर रहा होता। राजस्थान की अपनी बेटी को सपने दिखाता। वह पहुँच जाती वहाँ, बगैर किसी ना-नुकुर के। कुँवारी कल्पनाएँ कितनी मासूम थीं! जीवन एक ऐसा सुंदरतम अहसास देता कि हर पल अनूठा हो जाता।  आगे...

आज सिरहानेउपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घा कविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग पर्व पंचांग घर–परिवार दो पल नाटक परिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरण
चुटकुलेडाक-टिकट संग्रहअंतरजाल पर लेखन साहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वास्थ्य हास्य व्यंग्यडाउनलोड परिसरहमारी पुस्तकें

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : रतन मूलचंदानी

Google
Search WWW Search www.abhivyakti-hindi.org