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लेखकों से
१. २. २०२०

इस माह-

अनुभूति में-
विविध विधाओं में रची गयी विभिन्न रचनाकारों की वसंत की हवाओं में डूबी की ढेर-सी रचनाएँ।

-- घर परिवार में

रसोईघर में- वसंत के विशेष अवसर पर हमारी रसोई संपादक शुचि प्रस्तुत कर रही हैं- मीठा ज़ाफ़रानी पुलाव

स्वास्थ्य के अंतर्गत- दिल की आवाज सुनो- बारह उपाय जो रखें आपके दिल की सेहत को दुरुस्त- २-ओमेगा-३ का प्रयोग करें।

बागबानी- आयुर्वेद की दृष्टि से उपयोगी बारह पौधे जो हर घर में उगाए जा सकते हैं। इस अंक में प्रस्तुत है- २- गिलोय का पौधा

बचपन की आहट- शिशु-विकास के अध्ययन में संलग्न इला गौतम की डायरी के पन्नों से- नवजात शिशु- पाँच से आठ सप्ताह तक

- रचना व मनोरंजन में

क्या आप जानते हैं- इस माह (फरवरी) की विभिन्न तिथियों में) कितने गौरवशाली भारतीय नागरिकों ने जन्म लिया? ...विस्तार से

संग्रह और संकलन- में प्रस्तुत है- आचार्य संजीव वर्मा सलिल की कलम से जयप्रकाश श्रीवास्तव के नवगीत संग्रह- शब्द वर्तमान का परिचय। 

वर्ग पहेली- ३२२
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और
रश्मि-आशीष के सहयोग से


हास परिहास
में पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

साहित्य एवं संस्कृति के अंतर्गत- वसंत विशेषांक में

समकालीन कहानियों में भारत से कमल कुमार
की कहानी- वैलेन्टाइन डे

थकी आँखों से उसने मोटे शीशों का चश्मा ऊपर खिसकाया था। कोट उतार कर कुर्सी पर रखा और हाथों के दस्तानें निकाल कर नीचे टोकरी में फेंके थे। वाशबेसिन में हाथ धोए दो बार-तीन बार। आँखों पर ठंडी हथेलियों का स्पर्श सुहाया था। अपना बैग उठाकर बाहर आया था। ड्राइवर ने उसे देखते ही उचक कर उसके हाथों से बैग लिया। गाड़ी का दरवाज़ा खोला। उसका बैग रखा और दरवाज़ा बंद करके अपनी सीट पर बैठ गया। स्टार्ट की थी।
'साब घर चलूँ?'
'हाँ भाई।'
उन्होंने घड़ी देखी, 'दस' बज चुके थे। अब और कहाँ जाएगा?
वैसे भी कहाँ जाता है वह। उसने सोचा था। इतना लंबा दिन, पाँच घंटे का कांप्लीकेटेड ऑपरेशन। उफ! सारा दिन खड़े-खड़े उनकी टाँगें दुख रही थी। सिर और आँखें पथरा-सी गई थीं। जल्दी से घर पहुँच कर सोया जाए। भूख भी अब तो मर चुकी थी। झटके से अचानक गाड़ी रुकी तो उन्होंने आँखें खोली थीं।
आगे...
*

अशोक गौतम का
व्यंग्य- चल वसंत घर आपणे

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दामोदर पांडेय का साहित्यक निबंध
लेकिन मुझको फागुन चाहिये
*

श्याम नारायण वर्मा
का आलेख- मादक छंद वसंत के
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श्रीराम परिहार का ललित निबंध
अभिसार उत्सवा पृथ्वी और फागुन

पुराने अंकों-से---

कलम गही नहिं हाथ में-

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वसंत की शुभकामनाएँ- पूर्णिमा वर्मन

विभिन्न लेखों में-

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ऋतु वसंत फूली सरसों- अवधेश कुमार शुक्ल

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पलाश वन फूले- अर्बुदा ओहरी

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पुकारते हैं साकुरा आओ- रीता पालीवाल

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वसंत-का-संदेशवाहक-कचनार--भुवनेश्वर-प्रसाद-

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ऋतुओं की झाँकी- महेन्द्र सिंह रंधावा

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वसंत का फल काफल- ज्योतिर्मयी पंत

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वसंत पंचमी-साधना का संकल्प लेने का दिन- रमेश चंद

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हवा में वसंत- निर्मल वर्मा

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ललित निबंध में-

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वसंत कहाँ हो तुम- डॉ. महेश परिमल

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वसंत के बिना– धर्मवीर भारती

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वसंत मेरे द्वार- विद्या निवास मिश्र

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वसंतोत्सव- लावण्या शाह

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रंग-गई-पग-पग-धन्य-धरा- डॉ-ऋषभदेव-शर्मा

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आओ व्यक्ति का वसंत खोजें- परिचय दास

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वसंती पत्र पर लिखा- श्रीराम परिहार

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रूप का संकल्प है वसंत ऋतु- बलविंदर बालम

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माधव और माधव- नर्मदा प्रसाद उपाध्याय

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हास्य व्यंग्य में-

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घायल वसंत- हरिशंकर परसाईं

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निरख-सखी-फिर-फागुन... तोताराम-चमोली

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रामबाबू जी का वसंत- ज्ञान चतुर्वेदी

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शहर में वसंत की तलाश- विनोदशंकर शुक्ल

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संस्कृति में-

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एक और रंग रंगोली- गृहलक्ष्मी

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प्राकृतिक रंगों की खोज में- अरुणा घवाना

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सूफी दरगाहों में वसंत...- ओम प्रकाश कश्यप

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लोकगीतों में झाँकता वसंत- सुरेशचंद्र शर्मा

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी
 

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