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					इस सप्ताह-  | 
				 
				
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					 अनुभूति 
					में- 
					1राजेन्द्र 
					पासवान घायल, अश्विन गाँधी, और अनूप भार्गव के साथ मातृ दिवस व 
					रामनवमी के अवसर पर कुछ विशेष रचनाएँ।  | 
				 
				 
 
                      
                
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                  - घर परिवार में  | 
				 
                
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					रसोईघर में- दाल हम रोज खाते हैं, पर कुछ नया हो तो क्या 
					बात? प्रस्तुत है १२ 
					व्यंजनों की स्वादिष्ट शृंखला में- 
					मूँग की दाल- सूखी वाली।  | 
				 
                
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					बचपन की 
					आहट- संयुक्त अरब इमारात में शिशु-विकास के अध्ययन में 
					संलग्न इला गौतम से जानें एक साल का शिशु-
					
					फैलावा और सफाई।
					
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                  बागबानी में- 
					केले के छिलके क्यारी गुलाब की- 
					केले के छिलकों में पोटैशियम की प्रचुर मात्रा होती है और 
					गुलाबों को पोटैशियम की कड़ी आवश्यकता ...   | 
                 
                
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                  वेब की सबसे लोकप्रिय भारत की 
					जानीमानी ज्योतिषाचार्य संगीता पुरी के संगणक से-
					१६ मार्च से ३१ मार्च २०१२ तक का भविष्यफल।
									
									
									
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				- रचना और मनोरंजन में  | 
                 
                
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					नवगीत की पाठशाला में- 
                  कार्यशाला-२१ में हरसिंगार के फूल को 
					आधार बनाकर लिखे गए नवगीतों का प्रकाशन इस सप्ताह प्रारंभ हो 
					जाएगा।-    | 
                 
                
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		साहित्य समाचार में-
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					लोकप्रिय कहानियों के अंतर्गत- 
				प्रस्तुत है- ९ जून २००४ को 
				प्रकाशित, 
					कैनेडा से 
					सुरेश कुमार गोयल की कहानी— 
				गलतफहमी 
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		वर्ग पहेली-०७३ 
				गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल 
		और रश्मि आशीष के सहयोग से 
                  
                  
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                   सप्ताह 
					का कार्टून-             
					 
             
					
					कीर्तीश 
					की कूची से  | 
                 
                
                  | 
                                       
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					साहित्य एवं 
					संस्कृति में- चैत्र नवरात्र व रामनवमी पर  | 
                   
                  
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					1 
					साहित्य संगम में
						प्रेमचंद द्वारा हिंदी में 
					रूपांतरित कहानियों में से एक—
					दो वृद्ध 
                    
					
                    
					  
                    
                    एक 
					गाँव में अर्जुन और मोहन नाम के दो किसान रहते थे। अर्जुन धनी 
					था, मोहन साधारण पुरुष था। उन्होंने चिरकाल से बद्रीनारायण की 
					यात्रा का इरादा कर रखा था। अर्जुन बड़ा सुशील, सहासी और दृ़ढ़ 
					था। दो बार गाँव का चौधरी रहकर उसने बड़ा अच्छा काम किया था। 
					उसके दो लड़के तथा एक पोता था। उसकी साठ वर्ष की अवस्था थी, 
					परन्तु दाढ़ी अभी तक नहीं पकी थी।  
					मोहन प्रसन्न बदन, दयालु और 
					मिलनसार था। उसके दो पुत्र थे, एक घर में था, दूसरा बाहर नौकरी 
					पर गया हुआ था। वह खुद घर में बैठा-बैठा बढ़ई का काम करता था।
					बद्रीनारायण की यात्रा का संकल्प किए उन्हें बहुत दिन हो चुके 
					थे। अर्जुन को छुट्टी ही नहीं मिलती थी। एक काम समाप्त होता था 
					कि दूसरा आकर घेर लेता था। पहले पोते का ब्याह करना था, फिर 
					छोटे लड़के का गौना आ गया, इसके पीछे मकान बनना प्रारम्भ हो 
					गया। एक दिन बाहर लकड़ी पर बैठकर दोनों बूढ़ों में बातें होने लगी। 
					विस्तार 
					से पढ़ें... 
					
					*
      डॉ. संजीव कुमार का दृष्टिकोण 
		
		तुलसी का रामराज 
		और वर्तमान में उसकी प्रासंगिकता 
		
					* 
							
      ज्योतिर्मयी पंत से पर्व परिचय 
		उल्लास और आदर्श का स्मरण पर्व 
		राम नवमी  
		* 
					
      आकाश अग्रवाल से स्वास्थ्य चर्चा  
		बिना खर्च की औषधि है उपवास 
		* 
                    
      पुनर्पाठ में चंद्रकांता का संस्मरण 
		
		
		देखना जानना और होना   | 
                   
                  
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                    पिछले सप्ताह- 
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					1 
					सिमर सदोष की लघुकथा 
		आत्महत्या 
		
					* 
							
      निरंजन महावर से रंगमंच में- 
		छत्तीसगढ़ के लोक नाट्य 
		* 
					
      ऋषभ देव शर्मा से पुस्तक परिचय  
		पारनंदि निर्मला का 'खुला आकाश' 
		* 
                    
      पुनर्पाठ में महेश कटरपंच का आलेख 
		भरतपुर और अजेय दुर्ग 
		लोहागढ़ 
		* 
                    समकालीन कहानियों में भारत 
					से 
					बलराम अग्रवाल की कहानी- 
					अनुगामिनी 
                    
					
                    
					  
                    
                    पिछले दिनों अनायास ही नितिन को 
					जब शारीरिक थकावट महसूस होने लगी, भूख कम और प्यास अधिक लगने 
					लगी तो नीलू चिन्तित हो उठी। इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं। 
					पत्नी अगर ठेठ भारतीय हो तो उसे अपने स्वास्थ्य की कम, पति और 
					बच्चों के स्वास्थ्य की चिन्ता अधिक सताती है। वह तुरन्त किसी 
					डॉक्टर से सलाह लेने के लिए रोज-रोज उसे टोकने लगी। नितिन के 
					कार्यालय का हाल यह है कि एक सुपरवाइजर और चार लिपिक—कुल पाँच 
					कर्मचारियों के सैंक्शन्ड स्टाफ के कामकाज को पिछले चार साल से 
					लिपिक-स्तरीय केवल दो आदमी सम्हाल रहे हैं—एक वह और दूसरे 
					सुरेशजी। उन दोनों में से किसी एक का भी छुट्टी लेना तो दूर, 
					काम में ढील बरतना भी तनाव को न्यौता दे डालने-जैसा होता है। न 
					टाल पाने वाले अवसरों पर ही वे छुट्टी ले पाते हैं, वह भी 
					दोनों में से कोई एक।
					विस्तार 
					से पढ़ें...  | 
		 
		
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