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						 बागबानी
 कुछ उपयोगी सुझाव
 
 
						३२- 
						सजावटी पौधों के गमले
 यों तो बिना 
						जमीन के बगीचा नहीं होता लेकिन बिना गमलों के भी बगीचे का 
						पूरा लाभ नहीं उठाया जा सकता। गमले बगीचे का सौंदर्य 
						बढ़ाने में तुरंत सहायक होते हैं। मान लें पुराने मौसम के 
						फूल सूखने लगे हैं तो समय रहते आने वाले मौसम के फूलों 
						वाले गमले पहले से तैयार कर के रख लें। पुराने पौधों के 
						सूखना शुरू होते ही उन्हें पीछे के आँगन में रखकर सामने के 
						बारामदे में नए गमले रखे जा सकते हैं। इस प्रकार गमले 
						सुंदरता को सदा बनाए रखने में सहयोग करते हैं। किसी उत्सव 
						आदि के अवसर पर विशेष सजावट के लिये भी इनका प्रयोग किया 
						जा सकता है। सुंदर पत्तियों वाले फर्न या पाम 
						आवश्यकतानुसार घर के अलग अलग स्थानों की शोभा बढ़ा सकते 
						हैं।
 ६ अगस्त 
						२०१२
 
						३१- 
						एक छोटा तालाब
 बगीचों में 
						पानी की शोभा सौंदर्य का एक नया आयाम देती है। बगीचा छोटा 
						हो तो एक छोटी टंकी या बड़ा टब रखकर तालाब बनाया जा सकता 
						है। टब को मिट्टी में गाड़ दें और उसके किनारों को पत्थरों 
						से छुपा दें। तालाब साफ़ रहे इस बात का ध्यान रखना जरूरी 
						है। तालाब के लिये बगीचे में ऐसी जगह का चुनाव करें जहाँ 
						चार पाँच घंटे अच्छी धूप आती हो। इस पानी में कमल तथा अन्य 
						वनस्पति उगाई जा सकती है।
 ३० जुलाई २०१२
 
						३०- 
						बाड़ का सौंदर्य
 बगीचों के 
						किनारों और गलियों पर बाड़ बनाने से उनका सौदर्य बढ़ जाता 
						है। बाग को दो या अधिक हिस्सों में बाँटना हो तो भी बाड़ 
						का प्रयोग किया जाता है। बाड़ लगाकर किसी कोने की बाहरी 
						रेखा भी बनाई जा सकती है जैसे क्यारियों की, बैठने के 
						स्थान की या फिर खेलने के स्थान की। बाड़ों की नियमित कटाई 
						बहुत आवश्यक है क्यों कि इसके बिना उनका सौंदर्य नष्ट हो 
						जाता है। यदि छँटाई के लिये पर्याप्त समय न हो तो बाड़ के 
						लिये किसी ऐसे पौधे का चुनाव करना चाहिये जो तेजी से नहीं 
						बढ़ता।
 २३ जुलाई २०१२
 
						२९- 
						लॉन के लिये घास का चुनाव 
						बगीचा चाहें कितना भी 
						छोटा हो, घास का मैदान उसकी शान होता है। इसलिये बगीचे में 
						घास से सजा हुआ एक टुकड़ा जरूर बनाएँ और सुबह शाम उसमें 
						बैठने का आनंद लें। घास कौन सी लगानी चाहिये इस बात को सोच 
						समझकर तय करें। जहाँ घास लगनी है वह जगह धूप वाली है छाँह 
						वाली है, ज्यादा पानी में भीगी रहती है या सूखी है आदि 
						बातें बताकर दूकान से अपने लिये उपयुक्त घास खरीदना अच्छा 
						रहता है।१६ जुलाई २०१२
 
						२८- 
						धूल से बचाव 
						पत्तों पर जमी नमी और धूल की 
						पर्ते उनके लिये साँस लेना दूभर कर देती हैं। इसलिये पौधों 
						को पानी से धोकर साफ रखना जरूरी है। छोटे पौधे हैं और घर 
						के अंदर हैं तो उनकी पत्तियों को भीगी रुई से पोंछ दें।९ जुलाई २०१२
 
						२७- 
						सब्जियों का सूप
 जब कभी भी सब्जियाँ 
						उबालें उसके पानी को फेंकें नहीं। उसे ठंडा होने के लिये 
						रख दें और ठंडा हो जाने पर पौधे में डाल दें। इस पानी में 
						नमक नहीं होना चाहिये। जल्दी ही पौधे के रंगरूप को देखकर 
						पता चल जाएगा कि सब्जी के सूप ने उसके रंग रूप को निखार 
						दिया है। इसी प्रकार दाल और चावल को धोने का पानी भी पौधों 
						के लिये बहुत स्वास्थ्य वर्धक होता है।
 २ जुलाई २०१२
 
						२६- 
						पालतू पशुओं से सुरक्षा
 घर में पालतू पशु हैं 
						तो बगीचे की देखभाल के समय ध्यान रखें कि कोई आरी, कैंची 
						या नुकीला औजार क्यारी में पत्तों से छुपा हुआ न छूट जाए। 
						इससे पालतू पशुओं के घायल होने का डर रहता है। बगीचें में 
						कैमिकल का प्रयोग न करें और चूहे मारने की दवा न रखें। 
						छोटे पौधों को जमीन पर न रखें किसी शेल्फ या मेज के ऊपर ही 
						रखें। उससे पालतू पशु इन्हें खराब नहीं कर पाएँगे। कैक्टस 
						आदि काँटों वाले पौधे न लगाएँ इससे पशु घायल हो सकते हैं।
 २५ जून २०१२
 
						२५- 
						गमलों का सौंदर्य
 सुंदर बगीचे के लिये 
						सुंदर गमलों का प्रयोग हमेशा से होता रहा है लेकिन गमला 
						कितना भी सुंदर क्यों न हो लगातार पानी मिट्टी में रहते 
						हुए उसमें सफेदी जम जाती है और थोड़े दिनों बाद वह गंदा 
						दिखाई देने लगता है। इसको साफ करने के लिये सफेद सिरका और 
						पानी बराबर मात्रा में मिलाएँ इसे गमले पर छिड़कें (सप्रे 
						वाली बोतल से या फिर ब्रश से पेंट भी कर सकते हैं) और 
						प्लास्टिक के ब्रश से साफ कर दें। गमले में फिर से नया 
						पौधा लगाने से पहले उसे ठीक से सूख जाने दें। मिट्टी के 
						गमले हों तो उन्हें गेरू से रंगकर नया रूप दिया जा सकता 
						है।
 १८ जून २०१२
 
						२४- बगीचे 
						में पक्षी
 पक्षियों से प्रेम हो 
						तो अपने बगीचे में उनके घोंसले बनाने की सुविधा वाला घर 
						(लकड़ी, मिट्टी या प्लास्टिक का), दाना चुगाने का सामान 
						(बाजार में पक्षियों की पसंद के दाने मिलते हैं) और उनका 
						पानी जरूर रखें। आजकल इन सबके लिये बाजार में मिट्टी लकड़ी 
						और प्लास्टिक के सुविधाजनक और सुंदर बने बनाए सामान मिलते 
						हैं। उसे घर में लाकर बगीचे की शोभा भी बढ़ाई जा सकती है, 
						उनके कलरव का आनंद उठाया जा सकता है और पक्षियों की रक्षा 
						में भी सहायक बना जा सकता है।
 ११ जून २०१२
 
						२३- 
						निराई गुड़ाई 
						खुरपी की सहायता से गमलों 
						में ७ से १० दिन के अंतराल पर गुड़ाई करके खर-पतवार निकाल 
						देना चाहिये। पौधों को हर ३०-६० दिनों में खाद देकर उसे 
						मिट्टी में अच्छी तरह मिला देना चाहिए तथा पौधे की सूखी 
						पत्तियों को साफ कर देना चाहिए। 
						४ जून २०१२
 
						२२- 
						घास के मैदान की देखभाल
 अपने घास के मैदान 
						(लॉन) को हर सप्ताह काटें और कटे हुए टुकड़ों को इकट्ठा कर 
						के फेंकें नहीं। वहीं गिर जाने दें। इससे घास को खाद मिलती 
						है और मैदान नर्म व सुंदर विकसित होता है।
 २८ 
						मई २०१२
 
						२१- 
						खर-पतवार से बचाव 
						खरपतवार से बगीचे की रक्षा 
						के लिये ध्यान पूर्वक उन्हें जैसे ही देखे तुरंत निकाल 
						दें। उनके बड़े होने फूलने और बीज बनकर बिखर जाने की 
						प्रतीक्षा न करें। वर्ना देर हो गई तो काम कई गुना बढ़ 
						जाएगा।२१ मई २०१२
 
						२०- 
						बगीचे के औजारों की सुरक्षा 
						बगीचे के औजारों को 
						हाइड्रोजन पैराक्साइड से साफ कर के जैतून के तेल या कोई 
						अन्य तेल लगाकर रखना चाहिये। इससे न केवल औजार सुरक्षित 
						रहते हैं बल्कि पौधों में रोगों के संक्रमण का खतरा भी कम 
						हो जाता है।१४ मई २०१२
 
						
						१९- कीट रक्षक 
						पौधे
 गेंदे के फूल, लहसुन, चाइव, 
						रोजमेरी, बेसिल, तुलसी और पुदीना ये सभी पौधे देखने में 
						सुंदर होते हैं, आसानी से दुनिया के हर कोने में उगते हैं। 
						ये सभी पौधे अन्य पौधों को कीड़ों से बचाते हैं इसलिये 
						इनमें से कुछ को अपनी सुविधा या रुचि के अनुसार बगीचे में 
						अवश्य लगाएँ।
 ७ मई २०१२
 
						
						१८- लीच और 
						घोंघे
 अगर लीच और घोंघे बगीचे 
						को बरबाद कर रहे हैं तो पौधों से कुछ दूरी पर एक गहरी 
						थालीनुमा बर्तन में बीयर भर के रख दें। लीच और घोंघे इसकी 
						गंध से आकर्षित होंगे और इसमें गिरकर मर जाएँगे। किसी गमले 
						पर अगर ताँबे का तार लपेट दिया जाए तो लीच और घोंघे उसमें 
						नहीं जाते हैं।
 ३० अप्रैल २०१२
 
 १७- स्प्रिंकलर 
						या ड्रिप इरिगेशन
 
 अगर आप अपने बगीचे में 
						स्प्रिंकलर सिस्टम लगवाने जा रहे हैं तो एक बार फिर से 
						विचार कर लें। ड्रिप इरिगेशन स्प्रिंकलर सिस्टम से बेहतर 
						है क्यों कि इसमें पानी और बिजली दोनों की बचत होती है।
 २३ अप्रैल २०१२
 
						
						१६- कीट नाशक 
						दवा
 अक्सर पौधों के पत्तों 
						पर चीटियाँ चलती दिखाई देती हैं। वे यहाँ एफ़िड्स के लिये 
						आती हैं। एफिड्स पत्तियों को खाने वाला एक कीट है। इससे 
						बचाव के लिये दो चम्मच बर्तन धोने का साबुन एक बोतल (एक 
						लीटर) गर्म पानी में मिलाएँ और इसको पत्तियों पर छिड़काव 
						करें। स्प्रे करने के लिये काँच साफ करने वाली खाली बोतल 
						या इसी प्रकार की किसी अन्य बोतल का प्रयोग किया जा सकता 
						है। पानी इतना गर्म हो कि हाथ सह ले, नहीं तो पौधा जल 
						जाएगा।
 १६ अप्रैल २०१२
 
						
						१५- काफी का 
						कमाल
 पिसी हुई काफी या ऐल्युमिनियम 
						पाउडर को हाइड्रेन्जिया जड़ों पर छिड़कने से उसके नीले 
						फूलों की चमक बढ़ जाती है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि 
						नीले रंग के फूलों वाले सभी पौधों पर यह प्रभाव देखा जा 
						सकता है। वे हल्के नीले हों तो गहरे नीले हो जाते हैं। कुछ 
						विशेषज्ञों का मानना है कि पौधे की जड़ों में काफी पाउडर 
						छिड़कने से कीड़ों से बचाव भी होता है।
 ९ अप्रैल २०१२
 
						
						१४- टी बैग 
						प्रयोग के बाद
 प्रयोग किये गए टी बैग पौधों 
						में नमी बनाए रखने का अच्छा साधन हैं। इन्हें एक बार साफ़ 
						पानी से धो लें ताकि दूध के कण निकल जाएँ फिर गमले की 
						मिट्टी के ऊपर इनकी एक परत जमाकर हल्की मिट्टी से ढँक दें। 
						ये पौधे के लिये मिट्टी में नमी रोकने का काम करेंगे। नमी 
						रोकने के लिये मिट्टी में नारियल के रेशों का बुरादा भी 
						मिलाया जा सकता है।
 २ अप्रैल २०१२
 
						
						१३- 
						चाय की पत्ती पौधों की खाद
 चाय की पत्ती पौधों के लिये बहुत अच्छी खाद है। इसे सुखा 
						लें और मिट्टी में मिला दें। अगर टी बैग का प्रयोग करते 
						हैं तो बैग फेंक दें और चाय के चूरे को मिट्टी में मिला 
						दें। अगर फिल्टर काफी पीने का शौक है तो इसका बचा हुआ चूरा 
						भी पौधों के लिये अच्छा है। अधिक नाइट्रोजन की जरूरत वाले 
						पौधे जैसे कैमेलिया, हाइड्रेन्जिया और गुलाब के लिये यह 
						बहुत स्वास्थ्यवर्धक है।
 २६ मार्च २०१२
 
						
						१२- 
						केले के छिलकों के लिये गुलाबों की क्यारी 
 केले के छिलकों 
						में पोटैशियम की प्रचुर मात्रा होती है और गुलाबों को 
						पोटैशियम की कड़ी आवश्यकता, इसलिये केले के छिलकों गुलाब 
						की क्यारी में गाड़ें। गहरा खोदने की आवश्यकता नहीं है, 
						लगभग दो इंच मिट्टी हटाएँ और उसी मिट्टी से छिलके को वहाँ 
						दबा दें।
 १९ मार्च २०१२
 
						
						११- बाग बैठकी 
						
						बाग चाहें कई एकड़ का हो या कुछ गमलों का उसमें बैठने का 
						एक स्थान अवश्य निश्चित करें। दो कुर्सियाँ एक छोटी मेज या 
						ऐसा कुछ जो आपके मन को भाए। जहाँ बैठकर बेटे या बेटी को 
						कहानी सुनाई जा सके या पति-पत्नी एक प्याला चाय पी सकें। 
						किसी भी बगीचे की संपूर्णता बैठकी के बिना अधूरी है। अगर 
						कमरे के बाहर की बालकनी बहुत छोटी है और पौधों को रखने के 
						बाद उसमें बैठने की बिलकुल भी जगह नहीं तो कमरे में बैठने 
						का स्थान बनाएँ और दरवाजे को खुला रखकर कमरे को कुछ पल के 
						लिये बगीचे का हिस्सा बन जाने दे। बैठक तो सबके घर में 
						होती है पर जैसे जैसे लोगों को पौधों का महत्व समझ में आ 
						रहा है, बाग-बैठकी भी लोकप्रिय होने लगी है। १२ मार्च २०१२
 
						
						१०- फूलों के रंग 
						
						अगर घर के बगीचे से पर्याप्त फूल निकलते हैं, जिनमें गुलाब 
						और गेंदे भी हैं तो उनसे इस होली के लिये रंग बनाया जा 
						सकता है। अगर कम फूल निकलते हों तो भी कोई बात नहीं। ढेर 
						से रासायनिक रंगों की अपेक्षा थोड़ा सा प्राकृतिक रंग अधिक 
						अच्छा है। इसके लिये गुलाब और गेंदे के फूल की पंखुड़ियों 
						को छाया में अच्छी तरह सुखा लें। फिर उसको मिक्सी में पीस 
						लें। दोनो फूल मिलाएँ नहीं,
						अलग अलग सुखाएँ और अलग अलग पीसें। गुलाब से 
						खुशबूदार गुलाबी रंग बनता है और गेंदे से पीला। ये रंग 
						सूखे बनते हैं। अभी होली में कुछ दिन बाकी हैं। तो ऊपर 
						लिखे फूलों में से कोई भी फूल घर में हो तो यह प्रयोग कर 
						के देखें। ५ मार्च २०१२
 
						
						९- मिट्टी की जाँच  
						
						पौधे लगाने से पहले मिट्टी जाँच लें। 
						मिट्टी में कंकड पत्थर न मिले हों व पौघे के लिए वह 
						संतुलित मिट्टी हो। गमले में मिट्टी भरते समय उसकी तली पर 
						ऐसे पत्थर रखें जिससे पानी की निकासी में कठिनाई न आए और 
						गमले का अतिरिक्त पानी बाहर निकल जाए। एक साल के बाद सभी 
						पौधों में खाद डालने या मिट्टी बदलने की आवश्यकता होती है। 
						बाजार में गमलों के लिये पौटिंग सायल मिलती है। जिसमें 
						पौधे के लिये सभी आवश्यक तत्वों का मिश्रण होता है। गमलों 
						के लिये इसका प्रयोग कर के देखें। अगर पौधे छाँह में हैं 
						तो इस मिट्ठी को बहुत ही कम पानी की आवश्यकता होती है जैसे 
						सप्ताह में एक बार।२७ फरवरी २०१२
 
						
						८- पानी की आवश्यकता 
						
						हर पौधे को पानी की आवश्यकता होती है लेकिन 
						किसी पौघे को कम पानी चाहिए होता है तो किसी को अधिक। यदि 
						कोई नया पौधा लगाया हैं तो यह जानकारी ले लें कि उस पौधे 
						में कितनी मात्रा में पानी देना है। तेज धूप में पौधों में 
						पानी न डालें। सभी पौधों में सुबह या शाम को ही पानी दें 
						क्योंकि पौधों में पानी लगाने का यह आदर्श समय है। २० फरवरी २०१२
 
 
						
						७- पौधों को खरीदने से 
						पहले  
						
						यह निश्चित कर लेना आवश्यक है कि जो पौधे 
						लेने हैं, घर में उनका स्थान कहाँ रहेगा। ऐसे पौधों का 
						चुनाव करें जो आपके घर के अनुरूप हो। घर के अंदर और घर के 
						बाहर के पौधों के लिए अलग अलग वातावरण की आवश्यकता होती 
						है, इसलिए पौधों को खरीदते समय सावघानी बरतें।१२ फरवरी २०१२
 
						
						६- सलीके से रखा जाय तो कुछ 
						भी बेकार नहीं होता-  
						
						एक पुराना 
						बर्तन, चौकी, तिपाई या गमला जो गंदा लगता हो या उपयोग में नहीं आ 
						रहा हो, फेंकने से पहले एक बार सोचें। उसे नया रंग लगाकर 
						नए पौधों से सजाकर बगीचे का रूप बदला जा सकता है।६ फरवरी २०१२
 
						
						
						५-
						कंपोस्ट का कमाल-  
						
						बगीचे 
						या घास के मैदान को खाद देनी हो तो कम्पोस्ट से बेहतर कोई 
						साधन नहीं। इसे साल में दो तीन बार डालना चाहिये। कंपोस्ट 
						के कुछ विशेष लाभ इस प्रकार हैं- 
							
							
							
							
							सुरक्षित और स्वाभाविक है और इसके बाद बगीचे में कोई 
							और खाद देने की आवश्यकता नहीं रहती।
							
							
							
							कंपोस्ट खाद में नाइट्रोजन, फौसफोरस और पोटैशियम के 
							अतिरिक्त कुछ अन्य सुरक्षित पोषक तत्व भी हैं जो 
							रसायनिक खादों में स्वाभाविक रूप से नहीं मिलते। 
							
							
							
							
							गलती से अगर कभी यह ज्यादा भी पड़ जाए तो घास 
							जलाती नहीं।
							
							
							यह 
							लान की सीढ़ियों और पैदल चलने वाले पक्के रास्ते पर 
							कोई निशान नहीं छोड़ती।
							
							
							
							अगर यह पूरी तरह तैयार हो तो दूसरी तरह के खादों की 
							तरह कोई दुर्गंध नहीं देती।
							
							
							यह 
							अपेक्षाकृत तेजी से काम करती है।३० जनवरी २०१२
 
						
						
						४- फ्लैट 
						में बगीचाअगर फ्लैट में बगीचा लगाने के लिये मिट्टी 
						बिछाने की जगह नहीं तो भी बगीचे के शौकीनों को निराश होने 
						की आवश्यकता नहीं। छोटी सी बालकनी में गमले रखकर भी बाग बनाया जा 
						सकता है। गमलों के लिये विशेष रूप से तैयार की 
						गई मिट्टी वर्मीकम्पोस्ट (पाटिंग सायल) का प्रयोग करें। यह पौधों के लिये 
						स्वास्थ्य वर्धक होती है और वजन में बहुत कम। साथ ही गमले 
						इस प्रकार के चुनें जो आपकी बालकनी के रंग, आकार, 
						साज-सज्जा तथा पौधे की आवश्यकता के अनुरूप हों।
 २३ जनवरी २०१२
 
						
						
						३- पत्तों 
						पर धूल न जमने दें।पत्तियों पर जमी धूल रोमछिद्रों को बंद कर सकती है जो, वृक्ष के स्वास्थ्य के लिये अच्छा नहीं है। इसलिये अगर 
						पत्तियों पर धूल दिखे तो उसे फुहारे से नहला दे। सूखी 
						पत्तियाँ छाँट दें और पौधे को सही आकार दे दें। पौधा खिल 
						उठेगा।
 १६ जनवरी २०१२
 
						
						२- 
						दूसरी खाद का समय 
						
						जनवरी में अधिकतर एशियाई देशों के बगीचे मौसमी फूलों से 
						भरे होते हैं। सितंबर अक्तूबर में जब इन फूलों के बीज बोए 
						गए थे तब मिट्टी तैयार करते समय खाद डाली गई थी। 
						अब जब उनकी आयु का आधा समय बीत चुका है वे बहार पर हैं 
						उनमें दूसरी बार खाद डालने का समय आ गया है ताकि वे अप्रैल 
						के अंत तक स्वस्थ और सुंदर बने रहें। खाद को मिट्टी पर 
						फैलाएँ और खुरपी से धीरे धीरे मिट्टी में मिला दें।९ जनवरी २०१२
 
						
						१- हाथों की सुरक्षा 
						
						बागबानी से न केवल हाथ की त्वचा पर असर पढ़ता है बल्कि उस 
						पर रोगाणुओं के हमले का डर भी रहता है। इसलिये बाग में काम 
						करते समय दस्ताने अवश्य पहनें और दस्ताने उतारने के बाद 
						किसी कीटनाशक साबुन से हाथ अच्छी तरह धो लें।२ जनवरी २९१२
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