पुरालेख तिथि-अनुसार। पुरालेख विषयानुसार हिंदी लिंक हमारे लेखक लेखकों से
SHUSHA HELP // UNICODE HELP / पता-


१७. ५. २०१०

सप्ताह का विचार- मानव जीवन धूल की तरह है, रो-धोकर हम इसे कीचड़ बना देते हैं। -बकुल वैद्य

अनुभूति में-
डॉ. अजय पाठक, जतिन्दर परवाज़, तेजेन्द्र शर्मा, राकेश शरद और राजेन्द्र वर्मा की रचनाएँ।

कलम गहौं नहिं हाथ- कमल का फूल न केवल कोमलता और सौंदर्य का प्रतीक है बल्कि राजनीति से लेकर साहित्य और संस्कृति तक...आगे पढ़ें

रसोईघर से सौंदर्य सुझाव - नारियल के तेल में नीबू का रस मिलाकर सिर में लगाएँ और एक घंटे बाद धो दें। इससे सिर की खुश्की को आराम मिलता है।

पुनर्पाठ में- १ मार्च २००२ को विशिष्ट कहानियों के स्तंभ गौरव गाथा के अंतर्गत प्रकाशित निर्मल वर्मा की कहानी- माया दर्पण

क्या आप जानते हैं? ‘पाई’ का मूल्‍य, विश्व में सबसे पहले, छठवीं शताब्‍दी में, भारतीय गणितज्ञ बुधायन द्वारा ज्ञात किया गया था।

शुक्रवार चौपाल- इस बार चौपाल में थियेटरवाला के वार्षिक उत्सव की तैयारी के विषय में बातचीत हुई। तय यह हुआ है कि अनेक छोटी... आगे पढ़ें

नवगीत की पाठशाला में- कार्यशाला-८ के विषय आतंक का साया पर प्रतिदिन रचनाएँ प्रकशित होने का क्रम  अब भी  जारी है।


हास परिहास
1

1
सप्ताह का कार्टून
कीर्तीश की कूची से

इस सप्ताह
समकालीन कहानियों में भारत से
भारतेन्दु मिश्र  की कहानी बीजगणित

घाट घाट का पानी पीकर श्रीमान '' दिल्ली पधारे। यहाँ किसी साहित्य पीठ के अधीश्वर ने उन्हे नौकरी के लिए बुलाया था। कुछ वैसे ही जैसे फिल्म शोले में गब्बर ने साँभा को काम दिया होगा। फिर साँभा ने कालिया-को। सब तरह योग्य होने पर भी पचास साल की उम्र तक उन्हे नौकरी नही मिली पर अपनी कुंठित मानसिकता से बाप को गरियाते, गुरुजनों को धिक्कारते, सगे संबन्धियों को पुलिस से पिटवाते, भाई की खड़ी फसल में आग लगवाते, परिचितों की कुंडली बाँचते-दोस्तों को धोखा देते -हुए वे प्रगतिशीलता के इस मकाम तक पहुँच आए थे। असल में वो किसी के हो नही पाये अपनी बीबी के भी नही। जो किसी लायक नही बन पाता वह आजकल अपने आप को फ्रीलांसर कहने लगता है। कमरे में कभी नामवर सिंह, कभी बाल ठाकरे, कभी राजेन्द्र यादव की तस्वीर लगाकर छुटभैयों पर धाक जमाते-कहते तीनो महान संपादक रहे हैं। ..  पूरी कहानी पढ़ें।
*

अविनाश वाचस्‍पति का व्यंग्य
आतंकवादी की नाक खतरे में
 
*

अशोक श्रीवास्तव अंजान का आलेख
सुपारियों में खिला हस्तशिल्प
*

पंकज त्रिवेदी का प्रेरक प्रसंग
विश्वास
*

डॉ. विद्या निवास मिश्र का निबंध
हिंदी मानसिकता का निर्माण नई पीढ़ी से

पिछले सप्ताह

मयंक सक्सेना का व्यंग्य
मूर्ख बने रहने का सुख
 
*

डॉ. डी.के. शर्मा का इतिहासवृत्त
१० मई- क्रांति का शंखनाद
*

स्वाद और स्वास्थ्य में जानकारी
भली फली सहजन

*

जगदीश गुप्त को श्रद्धांजलि
कवि वही जो अकथनीय कहे

*

समकालीन कहानियों में भारत से
दीपक शर्मा की कहानी छतगीरी

"वनमाला के दाह-कर्म पर हमारा बहुत पैसा लग गया, मैडम।" अगले दिन जगपाल फिर मेरे दफ्तर आया, "उसकी तनख्वाह का बकाया आज दिलवा दीजिए।" वनमाला मेरे पति वाले सरकारी कालेज में लैब असिस्टेंट रही थी तथा कालेज में अपनी ड्यूटी शुरू करने से पहले मेरे स्कूल में प्रातःकालीन लगे ड्राइंग के अपने चार पीरियड नियमित रूप से लेती थी। सरकारी नौकरी की सेवा-शर्तें कड़ी होने के कारण वनमाला की तनख्वाह हम स्कूल के बैंक अकाउंट में प्रस्तुत न करते थे, लेखापाल के रजिस्टर में स्कूल के विविध व्यय के अन्तर्गत जारी करते थे।
"वेदकांत जी इस समय कहाँ होंगे?" लेखापाल होने के साथ-साथ वेदकांत स्कूल के वरिष्ठ अध्यापक भी हैं।
"वेदकांत जी?" पास बैठी आशा रानी को स्कूल के सभी अध्यापकों...  पूरी कहानी पढ़ें।

अपनी प्रतिक्रिया लिखें / पढ़ें

Click here to send this site to a friend!

अभिव्यक्ति से जुड़ें आकर्षक विजेट के साथ

आज सिरहानेउपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घा कविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग पर्व पंचांग घर–परिवार दो पल नाटक
परिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरण
डाक-टिकट संग्रहअंतरजाल पर लेखन साहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वास्थ्य हास्य व्यंग्यडाउनलोड परिसरहमारी पुस्तकें

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

पत्रिका की नियमित सूचना के लिए अभिव्यक्ति समूह के सदस्य बनें। यह निःशुल्क है।

Google
Search WWW Search www.abhivyakti-hindi.org

hit counter

आँकड़े विस्तार में
२ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ ०