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हास्य व्यंग्य

 

कैमरा कोण और दृष्टिकोण
- अरुण अर्णव खरे
 


राजनीति में तीन चीजें - कैमरा, कोण और दृष्टिकोण अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। जिस नेता ने इन चीजों को अच्छे से समझ लिया, सफलता उसके कदमों में होती है। बटुक जी ऐसे ही नेता हैं इसलिए सफलता के शिखर पर हैं। उनका दृष्टिकोण साफ है। पार्टी और नीतियाँ एक सीमा तक ही उन्हें बाँधकर रख पाती हैं। अपने जमीर, अपनी अंतरात्मा को उन्होंने इस भार से मुक्त रखा है इसलिए उनके चरण भी भारहीन हो गए हैं, जिस वजह से वह दाएँ-बाएँ कहीं भी आसानी से विचरण कर सकते हैं। कर सकते क्या, करते चले आ रहे हैं। निष्ठा और भावनात्मक लगाव जैसे शब्द उन्होंने राजनीति के शुरुआती दिनों में ही अपने शब्दकोष से बाहर कर दिए थे। नैपोलियन की ही तरह असंभव शब्द भी उन्हें पसन्द नहीं है, इसलिए भी वह किसी भी पार्टी में आसानी से आवागमन कर लेते हैं।

दूरदृष्टि और पक्का इरादा उनका ध्येय वाक्य है। कुर्सी कभी उनकी दृष्टि के दायरे से बाहर नहीं रही। उनकी दृष्टि में पद का हमेशा अहम स्थान पर रहा है। येन, केन प्रकारेण वह पद पाकर ही रहते हैं। यही पक्का इरादा लेकर वह राजनीति में आए थे। उनका मानना है कि पद है तो पैसा है और पैसा है तो प्रतिष्ठा है। परिस्थिति अनुसार यह क्रम बदला भी जा सकता है यानि कि पैसों के साथ पद का ऑफर मिले तो वह चलती हुई सरकार गिराने से भी गुरेज नहीं करते। रही बात प्रतिष्ठा की तो वह दोनों ही स्थितियों में बरकरार रहती है। दृष्टिकोण का यही लचीलापन, यही तरलता उन्हें हाशिए पर नहीं जाने देती, हमेशा मध्य में बनाए रखती है।

राजनीति में कोण के महत्व को भी वह बखूबी जानते हैं। उन्हें पता है कि किसके सामने कितने डिग्री के कोण से झुकना है। दृष्टिकोण की तरह उनका शरीर भी लचीला है। वह आवश्यकतानुसार ४५ डिग्री से लेकर १८० डिग्री के कोण तक झुक लेते हैं। उनका शरीर स्वमेव अपने वरिष्ठों के सामने ६० डिग्री और आलाकमान के सामने १८० डिग्री तक झुक जाता है। छुटभैयों के साथ वे ९० डिग्री का कोण बनाते हुए भाव-विन्यास में पेश आते हैं। इसलिए उनके सारे पाप और कुकर्म गौण रहते हैं। छुटभैये उनका जयकारा लगाते नहीं थकते। वे जिस भी पार्टी में जाते हैं, स्वीकार कर लिए जाते हैं। उन्हें टिकट और पद के संकट का सामना नहीं करना पड़ता। चूँकि वह किसी के प्रति निष्ठाभाव नहीं रखते और सिद्धांतों के पचड़े में नहीं पड़ते अतएव अपनी ही कही बात पर आसानी से यू-टर्न ले सकते हैं।

नेतागिरी को चमकाने में कैमरे के रोल को उन्होंने शुरुआती दिनों में ही समझ लिया था। इसलिए स्वयं को अपरिहार्य बनाए रखने के लिए वह कैमरे का सदुपयोग और दुरुपयोग दोनों पूर्ण सजगता और समझदारी से करते आए हैं। उनके पास स्पाई कैमरे से शूट किए गए सैकड़ों नेताओं के अंतरंग क्षणों के रंगीन दस्तावेज हैं जिनका उपयोग वह हर पार्टी में अपनी हैसियत बनाए रखने के लिए करते आए हैं। इस मामले में वे पूर्ण सतर्कता बरतते हैं। वह वीडियो लीक करने की धमकी भर देते हैं, वीडियो लीक करने के बारे में सोचते नहीं। अधिकतर इतने से ही उनका काम चल जाता है। दरअसल उनको भी तो अंदर ही अंदर डर सताता है कि कहीं किसी प्रतिद्वंद्वी के पास उनका भी कोई ऐसा-वैसा वीडियो न हो। कैमरे के सदुपयोग के मामले में वह बहुत संवेदनशील हैं। सार्वजनिक स्थानों पर धोखे से भी कोई उनके और कैमरे के बीच नहीं आ सकता। कैमरे का पूरा फोकस उन पर रहे, इसके लिए वे पूरी तरह चौकस रहते हैं। उनके साथ चलने वाले बाउंसर्स को भी इस काम के लिए प्रशिक्षित किया गया है। ये बाउंसर्स मौका पड़ने पर किसी की भी बाजू पकड़ कर किनारे पर खींच सकते हैं ताकि कैमरा सभी कोणों से बटुक जी पर ही फोकस करे।

बटुक जी कुछ समय पहले सम्पन्न चुनावों में भी मैदान में थे लेकिन नए दल की ओर से अपने दृष्टिकोण, कैमरे और बहुकोणीय लचीले शरीर के साथ। वे जीत गए लेकिन उनका दल हार गया। अब जीते हैं तो बाहर रहकर फजीहत थोड़े ही कराते। उन्होंने अगले ही दिन दल की सदस्यता और सीट से इस्तीफा दे दिया। फिर दो दिन बाद लोगों ने उन्हें झक्क कलफ लगे कुर्ते-पाजामे में पद और गोपनीयता की शपथ लेते देखा। 

१ अगस्त २०२३

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