| 
                     
						  
						
						आदमी रिपेयर सेंटर- 
						अनूप शुक्ल
 
 
 
						हमारा मोबाइल महीने भर से रिपेयरिंग के 
						लिये ’मोबाइल अस्पताल’ में भर्ती है। पानी चला जाने के 
						चलते उसकी चार्जिंग होना बन्द हो गया था। अन्धा, गूँगा, 
						बहरा हो गया है मोबाइल। रिपेयरिंग सेंटर वालों ने बताया कि 
						चार्जिंग होने लगी, रोशनी भी आ गयी लेकिन आवाज अभी नदारद 
						है। मदरबोर्ड बदलना पडेगा।
 हमने कहा- बदल दो। बताया गया कि रिपेयरिंग के पहले आधे 
						पैसे जमा करवाने होंगे। हमें लगा कि मोबाइल न हुआ आईसीयू 
						में भर्ती आदमी हो गया। आपरेशन तभी होगा जब एडवांस पैसा 
						जमा करोगे। अस्पताल का डर होता होगा कि आदमी ठीक होकर फ़ूट 
						लिया तो पैसे डूब जायेंगे। लेकिन मोबाइल के तो पैर नहीं 
						है। रिपेयरिंग चार्ज से कई गुने ज्यादा का मोबाइल जमा है 
						लेकिन आधा पैसा एडवांस में चाहिये।
 
 खैर, गये। मोबाइल देखा। कमर में कागज बँधा था, पट्टी की 
						तरह। आन किया तो सब डाटा, फोटो दिखे। लेकिन आवाज गोल। 
						मोबाइल बेचारा न बोल पा रहा था न सुन पा रहा था। लेकिन ऐसा 
						लग रहा था हमें यहाँ से ले चलो। हमने उसको प्यार से सहलाते 
						हुये दिलासा दिया- ’ले चलेंगे बेटा, बस जरा ठीक हो जाओ।’
						ये तो हुई मोबाइल की बात। जो पार्ट खराब हुआ बदल दिया गया। 
						फिर से टनाटन चलने लगेगा। बड़ी बात नहीं कल को आदमी की 
						रिपेयरिंग भी इसी तरह होने लगे। आदमियों के भी रिपेयर 
						सेंटर खुल जायें।
 
 आदमी रिपेयर सेंटर में हर अंग को बदलने की सुविधा होगी। 
						आदमी मोटा हो गया लेकिन टाँगें पतली हैं तो टाँगें बदल 
						जाएँगी। साँस की तकलीफ़ है, फेफड़े नये डाल देंगे। नजर कमजोर 
						है, नई आँख लगवा लो। चेहरे पर दाग हैं, स्किन बदलवा लो।
						कोई महिला अपने बच्चे को ले जायेगी और कहेगी- "भाई साहब 
						बेटे को चीजें जल्दी याद नहीं होती। इसकी मेमोरी चिप बदल 
						दो।"
 
 पिता लोग अपनी बेटियों को जमा कराएँगे- ’ इसके दिमाग से 
						प्यार का भूत इरेज कर दो। खानदान की इज्जत का सवाल है।’
						मुकदमों में फँसे लोग अपने खिलाफ गवाह की मेमोरी चिप में 
						अपने हिसाब से यादें ठेल देंगे। बच जायेंगे।
 कोई आदमी अपनी औरत के चेहरे की स्किन चमकदार करवाने के 
						भर्ती करायेगा और बाद में फोन करके उसकी आवाज भी थोड़ा धीमे 
						कर देना। चिल्लाती बहुत है। पैसे की चिन्ता न करो। मैं दे 
						दूँगा।
 
 कोई औरत अपने आदमी को लेकर आएगी -"इनकी खाँसी ठीक ही नहीं 
						हो रही। फेफड़े बदल दो।" अलग से कहेगी - "भाई साहब इनकी 
						मेमोरी फ़ाइल से इनकी प्रेमिका का नाम डिलीट कर दो। जब देखो 
						तब उसी को पढ़ते रहते हैं।" कोई नेता सैकडों लोगों को लिये आयेगा और कहेगा- " इनके 
						दिमाग में हमारी पार्टी की विचारधारा और हमारे नेता की 
						जयकार फ़ीड कर दो। चुनाव आने वाले हैं।"
						फिर तो स्कीम भी चलेंगी। पुराना आदमी लाओ, नया ले जाओ। आफ़र 
						सीमित। भुगतान किस्तों में।
 
 एक्सीडेंट में बहुत टूट फ़ूट हो गयी तो नया शरीर मिल जायेगा 
						अस्पताल में। आदमियों की कास्टिंग , फ़ोरजिंग मौजूद होंगे 
						अस्पतालों में। आदमी के हिसाब से शरीर की मशीनिंग हो 
						जायेगी। मेमोरी और दीगर चीजें चिप में कापी करके फ़िट कर दी 
						जायेंगी। पता चला रिपेयर होने के बाद आदमी के स्वभाव में 
						कोई बदलाव आया तो परिवार वाले कहेंगे- ’जब से रिपेयर होकर 
						आये हैं तबसे चिड़चिड़े हो गये हैं। पहले शांत रहते थे! या 
						फिर यह कि-’ रिपेयर होने के बाद सुधर गये हैं। सारे 
						खुराफ़ाती वायरस निकल गये!’
 
 कभी-कभी कुछ बवाल भी हो शायद। पता चला कि डाक्टर ने तमाम 
						हिन्दू आदमियों के दिमाग में कुरान डाउनलोड कर दीं। 
						मुसलमान लोगों के दिमाग में गीता के श्लोक जमा हो गए । पता 
						चला कोई मार्क्सवादी आदमी रिपेयर होकर आया तो उसके दिमाग 
						से ’दास कैपिटल’ गायब है और उसकी जगह ’एक के बदले चार 
						फ़्री’ तथा ’आफ़र सीमित जल्दी करें’ की तमाम स्कीमें भरी 
						हैं। मुक्त अर्थव्यवस्था के हिमायती के दिमाग में लाइसेंसी 
						जमाने की योजनाएँ कब्जा किए हैं।
 
 सरकारों को भी सुविधा होगी। नयी सरकार के आने पर राज्यपाल 
						बदलने नहीं पड़ेंगे। केवल पुरानी पार्टी की चिप निकालकर 
						अपनी पार्टी की चिप लगवा देंगे। अफ़सरों के तबादलों की जगह 
						उनकी चिपों के तबादले होंगे। सब लोग नयी सरकार के मसौदे के 
						हिसाब से काम करने लगेंगे। सरकारों को सहूलियत होगी कि वे 
						अपने हिसाब से मीडिया और बुद्धिजीवियों के दिमाग में अपने 
						हिसाब से चिपें फ़िट करवा लेगें। देश चाहे बरबाद हो रहा हो 
						लेकिन वे देश को बताते रहेंगे- " देश का विकास हो रहा है। 
						सबके अच्छे दिन आ रहे हैं।"
 
 हम भी क्या-क्या फ़ालतू सोचने लगे हैं आजकल। लगता है दिमाग 
						खराब हो रहा है। रिपेयरिंग करवानी पड़ेगी।
 |