गाँव के
नवोदित नेता ललिया प्रसाद अपनी जीत के जश्न में सराबोर
कुर्सी का बहुत ही आनंद ले रहे थे। कभी सोचा न था सरकारी
कुर्सी पर ऐसे बैठेंगे। पाँव पर पाँव धरे पचपन इंच सीना
चौड़ा करके (छप्पन इंच कहने की हिम्मत कहाँ?), मुख पर ३२
इंच की जोशीली मुस्कान के साथ नेता जी कुर्सी में ऐसे धँसे
हुए बैठे थे मानो उससे चिपक ही गए हों। साम दाम दंड भेद की
नीति से कुर्सी मिल ही गयी, भगवान् जाने फिर यह मौका मिले
या न मिले, पूरा आनंद ले लो। कुर्सी मिलते ही चमचे बरसाती
पानी जैसे जमा होने लगे। जैसे गुड़ पर मक्खी भिनभिनाती है
वैसे ही हमारे नेताजी के चमचे जमा होकर भन भन कर रहे थे।
तभी
नेताजी का खास चमचा रामखेलावन खबर लेकर आया कि १५ अगस्त पर
उन्हें तहसील के प्रांगण में झंडा वंदन करना है। अब तो जोश
जैसे और दुगना हो गया, नेता जी दिन में जागते हुए स्वप्न
देखने लगे। लोगों के हुजूम, तालियों की गडगडाहट के बीच बड़े
स्वाभिमान से झंडे की डोरी खींचकर झटपट झंडा लहरा दिया।
तभी धडाम की आवाज के साथ नेता जी उछलकर कुर्सी से गिर पड़े।
दिवास्वप्न टूट गया, देखा तो दरवाजे का पर्दा उनके ऊपर पड़ा
था और वे जमीन की धूल चाट रहे थे। यह देख रामखेलावन समेत
सारे चमचे जोर जोर से बत्तीसी दिखाने लगे। नेताजी खिसियानी
बिल्ली की तरह बरामदे का खम्भा नोचने लगे और उनकी खतरनाक
मुख मुद्रा देखकर सारे चमचे ऐसे गायब हुए जैसे गधे के सिर
से सींग।
नेता जी
बड़बड़ाने लगे- हम पर हँसते हो, कभी खुद ई सब किये होते तो
पता चलता रस्सी खेंचना का होवत है। भक भक... अब तुम काहे
दाँत दिखा रहे हो? कछु काम के न काज के, चले आये परेशान
करने... अब झंडावंदन करे का है तो सफ़ेद झक्क कुरता पायजामा
और टोपी ख़रीदे की है, का है कि अब फोटो सोटो भी लिया
जायेगा।
रामखेलावन-वह तो ठीक है प्रभु, स्टैज पर कछु बोलना पड़ेगा।
अब भाषन का देना है। वह भी तो सोचिये...
नेताजी- अर्ररर... जे हम तो भूल ही गए। सारी ख़ुशी ऐसी हवा
हुई कि नेताजी का मुँह एकदम पिचके हुए आम की तरह पोपला हो
गया। चौड़ा सीना ऐसे पिचका जैसे गुब्बारे में छेद हो गया।
पेशानी पर गुजली मुजली सलवटें ऐसे आयीं कि चिंता के मारे
खुद के बाल ही नोचने लगे।
यह सब देख चमचा भी उसी रंग में रँगने लगा। इधर नेताजी की
चहल कदमी बढती जा रही थी । उधर राम खेलावन पीछे पीछे टहलता
हुआ अपनी वफ़ादारी दिखा रहा था।
नेताजी - अब का होगा! हमरी इज्जत का मलीदा बन जायेगा, अब
का भाषण देंगे, कभी सुने ही नहीं। सकूल में भी सिर्फ लड्डू
खाने जाते थे, तीसरी कक्षा के बाद पढ़ने गए ही नहीं। दिन
रात गैया को चारा खिलाते रहे, गौ माता की किरपा से नेता बन
गए। हे ससुरे भाषण वाशन काहे रखत हैं। २ चार लड्डू देई दो
खाना खिलवइ दो... हो गया झण्डावंदन... आगे के शब्द खुद ही
चबा कर नेताजी खा गए।
यह सब
देखकर रामखिलावन समझ गया कि नेताजी की हालत पतली हो रही
है, वह हिम्मत बढ़ाते हुए बोला -इसमें चिंता की कोनो बात
नहीं है भाषण देखकर पढ़ लियो। अभी समय है थोडा प्रक्टिस कर
लो। हमें गाना भी आवत है अभी परोग्राम को समय है, हम सिखा
देंगे।
नेता
जी-हाँ वही वही परोग्राम। तुम कौन से काले कोट वाले हो, जो
हमरे खातिर भासन लिखोगे, जे सब पढ़े लिखे का काम होवत है,
वैसे जे बताओ इसे और का कहत हैं। स्वतंत्र दिवस या गणतंत्र
दिवस या इन दपेंदंस डे... कहते हुए बाल खुजलाने लगे। गाना
वाना तो हमसे होगा नहीं, टीवी पर देखत रहे, सबरे धुरंदर
सलूट मार के खड़े रहत हैं, कोई गाना वाना नहीं गावत है, जे
काम तो सकूली बच्च्वन का है।
चमचा-
हाँ फिर कहे चिंता करत हो, बस भाषण याद कर लो, तैयार हो
जावेगा। हम सिखा देंगे। एक एक गिलास गरम दूध पियो, हलक में
गरमागरम उतरेगी तो ससुरी जबान खुल जावेगी।
नेता जी- पर हमरी तो हालत ख़राब है। इतने लोगन के सामने
भासन... भासन कइसन कहें, पर बोलना तो पड़ेगा ही... नहीं हम
अपना दिमाग लगाते हैं... अब हम याद कर लेंगे... "नमस्कार
गाँव वालों..."
रामखिलावन- हे महाराज ऐसे शोले की तरह नहीं कहते। कहिये
मेरे प्रिय भाइयों और बहनों...
नेताजी -चल बे, वह सबरी तुमरी बहन होगी... आजकल वक्त बदल
गयो है।
रामखेलावन- ओ महाराज भाई बहनों को प्रणाम, नहीं कहे का है,
तो बोलो भाई बंधू...
इधर चमचा
कागज कलम के साथ टुन्न हो गया, उधर नेताजी को भी दूध जलेबी
चढ़ गयी। दिन में सितारे नजर आने लगे। जोश में होश खो बैठे।
स्वप्न में खुद को मंच पर खड़ा हुआ पाया। अपार जन समूह
देखकर मुस्कुराने लगे और जैसे ही लोगों के हुजूम ने
जयजयकार की, तो हाथ हिलाते हुए माइक तक आ गए। मेज को मंच
समझ कर जोश के साथ ऊपर चढ़कर खूब दिमाग लगाया और भाषण शुरू
किया --
भाइयों... भाइयों... और सबकी
लुगइयों... आज हमरा बहुत बड़ा दिन है, हमरा सपना सच हो गयो
है। कबहूँ सोचे न थे नेता बन सकत हैं। हे गाँधी जी कृपा
रही, पहले लोग देश की खातिर जान दिए रहे, देश को गुलामी से
बचाये रहे। गाँधी जी के वचनों पर चले... बुरा मत देखो,
बुरा मत कहो, बुरा मत सुनो। आज स्थिति बदल गयी है, लोग
बुरा ही देखत हैं, बुरा ही करत हैं और बुरा ही सोचते हैं।
पहले हाथ जोड़कर सबके आगे खड़े रहत थे। बात बात पर लात घूँसे
मिलत रहे, पर अब समय बदल गयो है, दो चार लात घूँसे मारो,
थोड़ा गोटी इधर का उधर करो, थोड़ा डराओ धमकाओ, पैसे खिलाओ तो
चुनाव का टिकिट भी मिल जावत है। पहले पढ़े लिखे लोग नेता
बनत रहे, तब भी देश बँटता था, आज कम पढ़े लिखे लोग नेता बने
हैं, तब भी देश छोटे छोटे राज्यों में बँट गवा है। सबरी
पार्टी अपनी सत्ता चाहत है। शांति के सन्देश पहले से देत
रहे सो आज भी देत हैं।
आज हर
किसी को नेता बने का है, कुर्सी है तो सब कुछ है, आज हर
कोई कुर्सी चाहत है। सबहुँ मिलकर घोटाले करो, जितने भी
पैसा आवत है उसे आपस में मिल बाँट कर खाई लो, देश की जनता
बड़ी भोली है। ईमानदार टैक्स देता रहे, किसान मरता रहे। आज
जेहि स्थिति बनी हुई है। एक बार कुर्सी मिल गयी फिर सब
अपनी जेब में रहत हैं। काहे के संत्री - मंत्री, देश को
पहले अंगरेज लूटट रहे, अब देश के लोग ही लूटन मा लगे हैं।
हर तरफ भ्रष्टाचार फैला हुआ है। कुछ भी हो जाये कुर्सी
नहीं छोड़ेंगे, घोटाले करके जेल गए तो पत्नी या बच्चों को
कुर्सी दिलवा देंगे। जे बच्चे वा खातिर ही पैदा किये हैं।
कब काम आवेंगे। प्राण जाए पर कुर्सी ना जाए, पहले देश को
गुलामी से बचाया, अब खुदही देश के तोड़न में लगे हैं। हर
किसी की अपनी पार्टी है, सत्ता के खातिर हर कोई अपनी चाल
चल रिया है, इसको मारो, उसको पीटो, दो चार लात घूसे चलाने
वाले पहलवान साथ में राख लियो, मजाल कोई कुछ करे। सारे साम
दाम दंड भेद अपनाई लो पर अपनी जय जयकार कमतर नहीं होनी
चाहिए।
अब नेता
बन गए तो देश विदेश घूम लो, ऐसन मौका कबहू न मिले। हम भी
अब वही करहियें। अभी बहुत कुछ करे का है। बस फंड चाहिए, जो
काम करे का है सब काम के लिए फंड, फंड में खूब पैसा मिलत
है, थोडा बहुत काम करत है बाकी मिल बाँट कर खाई लेंगे।
आखिर चोर चोर मौसेरे भाई भाई जो हैं ।
तुम सबरे
गॉंव के लोगन ने हमें नेता चुना और हमेशा अइसन ही प्रेम
बनाये रखना। आगे भी ऐसे ही हमें वोट डालना। तुम सब यहाँ
आये हो हमें बहुत अच्छा लगा, लो झंडा वंदन कर दिए हैं ।
बच्चों ने गाना भी गा दिया। आज हम लाडू बहुत बनवाएं है,
खूब जी भर के खाओ। हमें याद रखना। हर बार वोट देना फिर ऐसे
ही गाड़ियों में भर के शहर घुमाने ले जायेंगे और खाना पैसा
भी दिहें...
अभी जोर से बोलो जय
भारत मैया की |