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हास्य व्यंग्य

कोई गारंटी नहीं
शुचिता श्रीवास्तव


आज कल फैशन का जमाना है छोटी छोटी दूकान से लेकर बड़े बड़े हर शोरूम में लिखा मिलेगा फैशन के इस दौर में गारंटी की इच्छा न करें। करना भी नहीं चाहिए, क्यों करें? जो करे वो आधुनिक माने जाने वाली बिरादरी के बाहर समझा जायेगा। इसलिए गारंटी की प्रबल इच्छा होने पर भी लोग उसे उजागर नहीं कर पाते। अब भईया ये जो फैशन है न, हर जगह मोबाइल फोन की तरह अपनी पहुँच बना चुका है कोई नहीं अछूता है इससे शहर कसबे और गावों की गलियों तक में ये फैशन इठला रहा है। कपडे, जूते, चप्पल, गहने, मोबाइल, घड़ी, खाने पीने, आदि दैनिक उपयोग की बड़ी से बड़ी, छोटी से छोटी हर चीज में फैशन बिलकुल वैसे ही विद्यमान है जैसे हमारे देश के हर कोने में भ्रष्टाचार। खैर भ्रष्टाचार या दूसरी चीजों से फिलहाल हमें कोई मतलब नहीं। यहाँ हम आज पूरे मूड में बिलकुल फैशनेबल अंदाज में बात करने बैठे हैं रिश्तों में फैशन की।

अरे जनाब आप ऐसे मत चौंकिये हम जो कहते हैं सही कहते हैं। देखिये गीता तो घर में है नहीं, तो हम वो आक्सफोर्ड वाली डिक्शनरी (जो मेरे ड्राइंग रूम में सजावट और मेहमानों पर रोब डालने के लिए रखी है) पर हाथ रख कर कसम खाकर कहते हैं कि हम जो भी कह रहे हैं एकदम सच कह रहे हैं, एकदम शुद्ध वो भी बिना किसी मिलावट का सच जैसे हर चीज में फैशन घुसा हुआ है वैसे ही रिश्तों में फैशन घुस गया है।

देखिये भाई और बहन जी, अब रिश्ते तो कई होते हैं दादी-नाती, माँ-बेटी, बाप-बेटा, दामाद-ससुर और कहाँ तक गिनवाएँ ना जाने कितने रिश्ते होते हैं एकदम थोक के भाव खरीदे गये थे लगता है किसी समय में, वो भी बहुत सस्ते में, वरना आज कल की महँगाई में किसके वश की बात थी इतने रिश्ते को जुटाना। हाँ तो ये सब रिश्ते जरा ओल्ड फैशन के हो चुके हैं हम जरा नए ताजे रिश्ते की बात करेंगे पुरानी चीजों पर कौन दिमाग लगाए जब सामने नया ताजा लुभावना सा हो कुछ। हाँ तो हम जिस रिश्ते की बात करने बैठे हैं वो है अग्रेजी के "शी" और "हर" वाला।...अरे नहीं समझे "शी" मतलब लड़की और हर मतलब लड़का भाई। अरे अब भी नहीं समझ में आया हो तो जरा चाइनीज वाली चाभी से अपने दिमाग का ताला खोल डालिए फिर उसमें मेड इन चाइना वाली ही बत्ती जलाइये (चाइनीज चाभी और बत्ती दोनों सस्ती पड़ेगी आपको) ये लड़की और लड़का कोई साधारण वाले लड़के लड़की नहीं हैं भाई ये ''मेड फॉर ईच अदर'' वाले हैं मतलब ये केवल एक दूसरे के लिए ही बने हैं। समझे। अब देखो ये एक दूसरे के लिए कितने दिन के लिए बने हैं इसकी कोई ना तो गारंटी है ना वारंटी। ये कुछ साल, कुछ महीने, कुछ सप्ताह, कुछ दिन, कुछ घंटे या कुछ मिनट के लिए भी हो सकते हैं। यार समझने की कोशिश करो ये फैशन वाले रिश्ते हैं फिर फैशन के इस दौर में गारंटी की इच्छा पर पूरी तरह प्रतिबन्ध है न। वैसे इस रिश्ते को एक नाम भी दिया गया है पूरी तरह फैशनेबल नाम है इनका गर्ल फ्रैंड और ब्वाय फैंड। अब कृपया इन्हें लैला-मजनू , शीरी-फरहाद, देवदास-पारो, हीर-राँझा समझने की भूल मत कर बैठिएगा। उन बेवकूफों ने तो जुदाई में रो रो कर तड़प तड़प कर जान दे दी, आज कल के ये गर्ल फ्रैंड और ब्वाय फ्रैंड वालों के दिमाग का एक परसेंट दिमाग भी होता तो वो सब अपने अपने प्रेमी प्रेमियों से बिछड़ कर रो रो कर जान देने की बजाय ना जाने कितने ब्वाय फ्रैंड गर्ल फ्रैंड बना कर मौज काटते और फिर अपने घर वालों की मर्जी से शादी करके चैन से जीवन बिताते। खैर अब न तो उनमें इतनी अकल थी और न तब उनके भीतर फैशन घुस पाया था। अब पुरानी बातों को क्या कोसना, जो हो गया हो गया, उनकी अक्ल को लानत।

हाँ तो इन रिश्तों की उपज स्कूल, कालेज, गली-मुहल्लों, आफिस, ट्रेन, बस, मेट्रो, रेलवे या बस स्टेशन, आफिस या सड़क पर राह चलते कहीं भी किसी भी समय हो सकती है। वैसे इस रिश्ते की उपज के लिए सबसे उपजाऊ भूमि सोशल नेटवर्किंग के साईट हैं। फेसबुक, स्काईप, वहाट्स अप, मैसेंजर आदि आदि हैं। जहाँ हर मौसम में बिना बरसात, बिना खाद पानी के ये रिश्ते फलते फूलते हैं। हाँ इसमें मोबाइल और इंटरनेट की सुविधा देने वाली कंपनियों के योगदान को कत्तई नकारा नहीं जा सकता। तरह तरह के आफर देकर वो इन रिश्तों में जान डाल देती हैं। जिससे ये दिन दूनी रात चौगुनी खूब पल्लवित पुष्पित होते हैं। अब भईया दिल्ली में तो आप सरकार मुफ्त वाई फाई की सुविधा प्रदान करने का वादा करके इन रिश्तों के लिए तो एकदम यमदूत ओह माफ़ कीजिये देवदूत बन गयी है।

देखिये अब बात चली है तो एक दिन की बात याद आ गयी। अभी सप्ताह भर पहले एक रेस्टोरेंट में बैठे हम अपने आर्डर की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे थे। तभी बगल वाली टेबल पर दो तीन लडकियाँ चहचहाते हुए आकर बैठीं। सबके हाथ में खूब बड़े बड़े किताब की मानिंद मोबाइल फोन थे। सबने काले चश्मे लगा रखे थे। खैर, वेश-भूषा से हमें क्या लेना देना। हम तो बस उनके बीच हो रही बातों को सुनने में मशगूल से हो गए।

''यार, कीर्ति आज तो तू विवेक के साथ वाटरपार्क जाने वाली थी न?'' वेटर को पता नहीं क्या क्या आर्डर देने के बाद एक लड़की ने दूसरी लड़की जिसका नाम कीर्ति था से पूछा।
''हाँ वाटरपार्क जाने तो वाली थी पर विवेक के साथ जाने वाली हूँ, ऐसा तुमसे किसने कहा अनु? कीर्ति ने अपने चश्मे को सर पे टिकाते हुए कहा।
''अरे वो तेरा ब्वायफ्रैंड है तो उसी के साथ तो जायेगी ना।'' अनु ने हँस कर कहा।
''मैडम अनु, विवेक अब मेरा ब्वायफ्रैंड नहीं उससे तो ब्रेकअप हो गया एक हफ्ते पहले। राजीव मेरा नया ब्वायफ्रैंड है समझी।'' कीर्ति ने कहा।
''लेकिन तुम तो कहती थी तुम विवेक से बहुत प्यार करती हो और वो ही तुम्हारा सब कुछ है फिर क्या हो गया? अनु ने सवाली नज़रों से कीर्ति को देखा।
''अरे यार जब कहती थी तब की बात और थी। वैसे भी विवेक के पापा का ट्रांसफर हो रहा है ६ महीने बाद, पूरी फैमली नागपुर शिफ्ट हो जायेगी उनकी तो विवेक भी चला जाएगा तो क्या फायदा उससे रिश्ता रखने से। कीर्ति ने इस अंदाज में कहा मानो केवल फायदे के कारण विवेक से रिश्ता रखे थी।
''चलो अब विवेक नागपुर में अपनी नई गर्लफ्रैंड बनाएगा।'' अनु ने हँसते हुए कहा।
''अब वो कुछ भी करे मुझे इससे क्या राजीव बहुत प्यारा है और वो ही मेरे लिए सब कुछ है आज वो बिजी हो गया सो हमारा वाटर पार्क जाने का प्रोग्राम कैंसिल हो गया अब हम कल जा रहे हैं।'' कीर्ति ने माथे पर गिर आई लटों को झटकते हुए कहा।

''यार कीर्ति, तू बड़ी होशियार है तेरा एक्स ब्वायफ्रैंड विवेक भी अमीर था और अब ये नया राजीव भी'' काफी देर से खामोश बैठी एक लड़की ने कहा।
''गर्ल्स, ब्याव्फ्रैंड अच्छे खाते पीते घर का हो तभी ठीक है।'' कीर्ति ने पानी का गिलास अदा से उठाते हुए कहा।
''निधि, तेरा ब्वायफ्रैंड मिहिर भी तो बड़े घर का है न।'' कीर्ति ने कहा।
''हाँ बस वो है भर बड़े घर का, पर दिल का बहुत छोटा। कंजूस एक नंबर का। कभी शापिंग या मूवी दिखाने को बोलती हूँ तो तुरंत कोई ना कोई बहाना कर देगा हुंह, ऐसा ब्वायफ्रैंड होने से क्या फायदा। निधि मुँह बनाते हुए बोली।
''अच्छा तो इतना मक्खीचूस है तेरा वो।'' कीर्ति ने कहा और सभी लड़कियाँ ठठा कर हँस पड़ीं।
''हँसो मत गर्ल्स, देखो बहुत जल्द मैं इस कंजूस मिहिर के बच्चे से रिलेशन ख़त्म कर ब्रेकअप लेके सागर को पटाने वाली हूँ वो बहुत अच्छा लड़का है दिखने में स्मार्ट, पढ़ाई में भी तेज और खूब दिल खोल के खर्च करता है। सुना है अपनी एक्स गर्लफ्रैंड को खूब ऐश करवाता था। यहाँ तक कि उसके मोबाइल का रिचार्ज भी वही करवाता था और हमेशा महँगे-महँगे गिफ्ट भी देता था। निधि ने कहा।

''अच्छा यार फिर तो तेरी मौज हो गयी पर, उसे पटाएगी कैसे?'' उस लड़की ने पूछा जो अब तक खामोश बैठी थी।
''शिप्रा, अब इतनी बेवक़ूफ़ तो मैं नहीं हूँ कि जिसे चाहूँ उसे इम्प्रेस कर लूँ।'' निधि ने शेखी बघारते हुए कहा।
''हाँ यार ये तो है मानना पड़ेगा तुझे।" सबने एक साथ खिलखिलाते हुए कहा। वो सब साथ साथ खाते पीते भी जा रही थी।
''अच्छा यार सुनो, मुझे अपने ब्वायफ्रैंड विनीत के साथ नई रिलीज हुई मूवी देखने जाना है। मैंने घर पे कह दिया है मम्मी से की आज मेरी एक्स्ट्रा क्लास है मैं लेट आऊँगी ध्यान रखना तुम सब अगर मम्मी तुम में से किसी को फोन करें तो यही बताना समझी, क्योकि मैं हाल में फोन का स्विच आफ रखूँगी।'' एक ने कहा।
''ओके तुम फ़िक्र मत करो हम बोल देंगे आंटी से लेकिन ये बताओ विनीत कैसा लड़का है?'' निधि ने पूछा।
''अभी तो काफी दिन नहीं हुए उसके साथ जुड़े हुए देखती हूँ कुछ दिन साथ रहके अगर ठीक हुआ तो आगे रिलेशन में रहेंगे नहीं तो ब्रेकअप के बाद कोई और तलाशेंगे।" उसने खिलखिलाते हुए जवाब दिया और पेप्सी का गिलास उठा लिया।

उफ़ इनकी बातें सुनने में हम इतने मशगूल हो गए की हमारी हाट काफी कोल्ड काफी में बदल गयी। चलो इसमें हमारा ही फायदा हुआ कोल्ड काफी हाट काफी से महँगी थी यानी कम पैसे में जादा महँगा वाला स्वाद। इन कुड़ियों की बातें सुन इनकी पर्सनल बातें तो जान गयी मैं ही नहीं आस पास के टेबल पर बैठे और लोग भी पर ये नहीं जान सके हम कि ये लोग किसी कालेज या यूनिवर्सिटी की हैं या पढ़ाई के बाद किसी प्रोफेशन में हैं। या क्या पढ़ रही हैं। खैर, जानकर भी हमें क्या फर्क पड़ता। तो भईया हम भी जल्दी से अपनी कोल्ड काफी ख़त्म कर उठ लिए वहाँ से।

और एक दिन शाम को हमारी लाईट चली गयी तो हम अपने कालोनी से कुछ दूर बने एक पार्क में चले गये। टहलते टहलते थक गये तो एक गुलाब की झाडी के बगल में बैठ गये सोचा अच्छी सुगंध मुफ्त में उपलब्ध है तो जरा हम भी उसका फायदा उठा ले । लाईट जाने की वजह से जादातर लोग पार्क में आ गये थे और सारी बेंच फुल हो चुकी थीं अब मजबूरी में हम भी अपने स्टेट्स को कुछ देर के लिए भूल घास पर बैठ गये। उसी गुलाब की झाडी के बगल में जरा दूर कुछ लड़के भी बैठे थे और आपस में गपिया नहीं सीरियसली बतिया रहे थे।

''राहुल तू गया नहीं तुझे तो आज अपनी गर्लफ्रैंड के साथ पिक्चर जाना था ना शाम के शो में? एक लड़के ने राहुल से पूछा।
''हाँ यार जाना तो था, पर मैडम ने सारा मूड ही चौपट कर दिया। वो बोली तभी चलूँगी जब तुम लेने आओगे और आज बाइक पापा लेकर चले गए। उनकी कार सर्विसिंग से नहीं आ पायी। मैंने कहा तुम ऑटो से आ जाओ मैं भी आ जाता हूँ, पर उनका नखरा तो उफ़। ..अब क्या कहूँ नितिन तुमसे।'' राहुल ने मुँह बनाते हुए कहा।
''इन लड़कियों का ना बस हाल मत पूछो मेरी गर्लफ्रैंड इस बात से कल नाराज हो गयी कि मैंने उसे ३००० की नई ड्रेस नहीं दिलवाई जो उन्हें माल में घूमते हुए एक नजर में पसंद आ गयी थी। यार एक महीने की सारी पाकेट मनी केवल ४ दिन में खर्च करवा दी उसने अब कहाँ से लाऊँ इतने पैसे?'' नितिन ने अपना दुखड़ा रोया।
''ओह नितिन तो तुम पर भी वही बीत रही है जो मुझ पर मेरी गर्लफ्रैंड ने भी आज सुबह मुझसे लड़ाई कर ली क्यों कि मैंने उसकी सहेली को नोट्स दे दिए थे।'' एक अन्य लड़के ने कहा।
''क्या। ..? क्या बात कर रहे हो? प्रिया तो इतनी अच्छी लड़की है और समझदार भी लगती है।'' राहुल बोला।
''उसकी समझदारी केवल मुझे उल्लू बनाने तक ही है बस मैं तंग आ गया हूँ यार कोचिंग में एक नई लड़की आई है पारुल नाम है वो मुझसे दोस्ती करना चाहती है सोचता हूँ प्रिया से ब्रेकअप कर उसी को अपनी गर्ल फ्रैंड बनाऊँ।'' नितिन ने कहा।
''हाँ यार मैं भी अब अवनी को नहीं बर्दाश्त कर पाऊँगा देखो कोई दूसरी अच्छी लड़की मिले तो जरा मुझे भी बताओ अवनी के साथ कोई रिश्ता नहीं रखूँगा फिर।''
''अनुराग वैसे वो फेसबुक वाली तेरी दोस्त क्या नाम है उसका हाँ अंकिता वो सुन्दर दिखती है। मुझसे दोस्ती करवा ना यार। इस बार वो लड़का बोला जो अब तक बड़े धैर्य से सबकी बात सुन रहा था।
''अरे यार मनीष मैं अभी उसका लिंक देता हूँ तुझे उसे रिश्ता बना ले तू, तेरे लायक है वैसे तेरी गरिमा तो बहुत अच्छी थी क्या हुआ तुम दोनों के बीच?''
''हाँ यार अच्छी तो थी पर, उसी ने मुझे पता नहीं क्यों छोड़ दिया। ''मनीष ने दुखी स्वर में कहा।
''अरे यार तू दुखी ना हो अंकिता से मिलवा भी दूँगा यार तू भी क्या याद करेगा दोस्त।'' अनुराग ने उसकी पीठ पे मुक्का मारते हुए कहा।
''यारों, मेरे और शिवांगी के बीच इतना अच्छा रिश्ता था, पर जाने कैसे उसके पापा को पता चल गया उन्होंने मुझे धमकी दी है की अब शिवांगी से कोई मतलब न रखूँ नहीं तो वो पुलिस में शिकायत कर देंगे। क्या करूँ यार कुछ समझ नहीं आ रहा।'' तभी बहुत देर से चुप बैठे एक लड़के ने अपना दुःख रोया।
''दोस्त हमारी सलाह मान बेवजह खतरा मत मोल ले अब कोई कान्टेक्ट मत कर अपनी गर्ल फ्रैंड से कोई दूसरी ढूँढ ले। ''एक ने उसे सलाह दी।
''हाँ यही करूँगा अब।'' दुखी आत्मा ने राहत की साँस ली।

तभी लाईट आ गयी और लोग अपने अपने घरों में जाने के लिए लोग उठ खड़े हुए। ये कमबख्त लाईट भी न जब सोचो कि जल्दी आये तब नहीं आती और आज इतनी जल्दी आ गयी जाने कैसे, काश थोड़ी देर और ना आती तो इनकी गर्लफ्रैंड लोगों से इनके रिश्ते और रामायण सुनने को मिलती। पर बिजली का आना तो उफ़! मजबूरी में हमने भी घर की राह ली इतनी जल्दी बिजली ठीक कर देने वालों को मन ही मन कोसते हुए। हम शरीफ थे सो केवल कोस कर रह गये हमारी जगह कोई और होता तो खूब गाली भी देता।

उस दिन ऑटो के इन्तजार में सड़क पर काफी देर तक खड़े खड़े पैर दुखने लगा लेकिन त्योहार की वजह से इतनी भीड़ थी की कोई ऑटो खाली आ ही नहीं रहा था। तभी बस आ गयी तो दौड कर हम भी उसमें चढ़ लिये। अब यह किस्मत ही थी कि इतनी भीड़ के बावजूद हमें बैठने की जगह मिल गयी। हमारी ही सीट पर एक लड़की पहले से बैठी थी इत्तिफाक से उसकी एक सहेली भी बस में चढ़ी।

''हाय रितु जगह है। मेरी बगल में बैठी लड़की ने अपनी सहेली को बुलाया?''
''मैं ठीक हूँ नीलू तुम आज कल कहाँ बिजी हो?'' उसकी सहेली कंधे से बैग उतार बैठते हुए बोली।
"यार भईया की शादी तय हो गयी है । इसी महीने ३० को है सो शापिंग में काफी टाइम चला जाता है कार्ड छप के आते ही तुझे दूँगी वैसे डेट याद कर ले कोई बहाना मत बनाना खूब मस्ती करेंगे हम समझी।" रितु बोली।
''गुड यार तो कविता को भाभी बना ही लिया तूने, वैसे तेरे भईया और कविता के बीच काफी दिन से रिश्ता था ना।'' नीलू ने कहा।
''मेरी भाभी कविता नहीं यार वो तो केवल गर्लफ्रैंड थी भईया की। शादी तो भईया पापा मम्मी की मर्जी से कर रहे हैं।''
''अच्छा अच्छा।" रितु ने जवाब दिया।

हमारा स्टाप आने वाला था सो भईया हम तो उठ कर गेट की तरफ बढ़ लिए। वैसे आज ये ज्ञान भी प्राप्त कर ही लिया था की गर्लफ्रैंड से शादी नहीं की जाती वो केवल फैशन के लिए हैं।

अब इतनी सच्ची घटनाओं से अवगत होने के बाद आप सब को ये यकीन हो ही गया होगा कि फैशन वाले इस रिश्ते की ना कोई गारंटी है न वारंटी। कपडे जूते, सैंडिल, हेयर स्टाइल की तरह जब जी में आये बदल दो, उतार फेकों या बाकायदा ब्रेकअप ले लो। सो कोई भी फैशन के इस दौर में गारंटी की इच्छा ना करे जड़ और चेतन किसी भी बस्तु व्यक्ति या रिश्ते में, जो करता है उसे इस पृथ्वी पर रहने का कोई अधिकार नहीं कृपया अपने लिए वो कोई और ग्रह की तलाश कर ले।  

८ जून २०१५

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