प्रसिद्ध हिंदी रचनाकारों से
कुछ प्रश्न, कुछ उत्तर- यह व्यंग्य-लेख केवल पढ़ने के
शौकीन पाठकों के लिये है बाकी की समझ में आना कठिन हो सकता
है। हमारी सुश्री नम्रताजी ने विकट प्रयास कर के
साहित्यकारों से कतिपय ऐसे सवाल-जवाब जुटाए हैं जिनमें या
तो वे स्वयं मुखर हो उठे हैं या उनकी कृतियाँ 'क्षमा-याचना
सहित' यहाँ प्रस्तुत हैं यह प्रश्नोत्तरी -
शिवानी से ---
प्रश्न - अपनी उस कृति का नाम बताइए जिसे आपने जितना
ज्यादा सँवारा, पाठकों ने उतना ही ज्यादा पसंद किया ।
उत्तर - 'विषकन्या'।
कृष्णा सोबती से ---
प्रश्न - आपके लेखन में बड़ी तीखी कसक है, क्यों?
उत्तर - 'डार से बिछुड़ी' होने के कारण।
अम्रता प्रीतम से ---
प्रश्न - 'रसीदी टिकट' ने आपकी इमेज बनाई है। आजकल आप अपने
आपको क्या मानती हैं?
उत्तर - 'ना राधा ना रुक्मणी'।
राजी सेठ से ---
प्रश्न - हिन्दी कहानी- लेखन में आप कहाँ तक जा निकली हैं?
उत्तर - मैं 'अन्धे मोड़ से आगे' निकल चुकी हूँ, अब मैं
'यात्रा मुक्त' भी हो सकती हूँ।
ऊषा प्रियवन्दा से ---
प्रश्न - मैं आपको महिला कथाकारों-- अम्रता प्रीतम, कृष्णा
सोबती, राजी सेठ, ममता कालिया, चित्रा मुद्गल आदि सबसे
बड़ी कथाकार मानती हूँ । आप मुझसे सहमत हैं न?
उत्तर - मेरी 'शेष यात्रा' के सन्दर्भ में 'कितना बड़ा
झूठ' है यह।
मन्नू भण्डारी से ---
प्रश्न - श्री राजेन्द्र यादव के कथाकार की तुलना में आप
अपने कथाकार का क्या मूल्यांकन करती हैं?
उत्तर - अब 'बिना दीवारों के घर' में, मैं अपने को 'मैं
हार गयी' मान बैठी हूँ।
ममता कालिया से ---
प्रश्न - आप कथा-साहित्य के माध्यम से क्या देना चाहती
हैं?
उत्तर - मैं 'एक अदद औरत' हूँ। मैं जो 'बेघर' लड़कियाँ
हैं, उनको, उनके 'नरक-दर-नरक' से छुटकारा दिलाना चाहती
हूँ।
सावित्री परमार से ---
प्रश्न - आपने वीरभूमि राजस्थान को अपनी विशिष्ट नियामत
क्या दी है ?
उत्तर - मैंने 'घाटी में पिघलता सूरज' देख-देखकर 'कटी
सतरों का इतिहास' लिख डाला है।
महरूम्निसा परवेज़ से ---
प्रश्न - किसकी वजह से आप चर्चित कहानी- लेखिका हो गयीं
हैं?
उत्तर - 'आँखों की देहलीज' और 'गलत पुरुष' की वजह से ।
मृदुला गर्ग से ---
प्रश्न - आप अपनी कहानियों और उपन्यासों में आदमी की क्या
तस्वीर पेश करती हैं?
उत्तर - मुझे 'टुकड़ा-टुकड़ा आदमी' पेश करने में बड़ा मजा
आता है । इसलिए मैं 'उसके हिस्से की धूप' सेंकती रहती हूँ
।
क्षमा-याचना सहित - २
मंजुल भगत से ---
प्रश्न - एक सशक्त कथाकार बनने के लिए आपको क्या कुछ करना
पड़ा ?
उत्तर - 'टूटा हुआ इन्द्रधनुष' जोड़ने के लिए 'तिरछी
बौछारें'
निरुपमा सेवती से ---
प्रश्न - सुना है, पिछले एक-दो सालों में आपके कान बजने
लगे हैं। क्या सुनाई देता है आपको?
उत्तर - 'दहकन के पास', 'पतझड़ की आवाज़ें' बस ।
चित्रा मुद्गल से ---
प्रश्न - भरतनाट्यम में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करके आपने
कहानी और उपन्यास-लेखन के क्षेत्र में अब तक रेखांकित करने
योग्य क्या कार्य किया है ।
उत्तर - 'इस हमाम में', 'दौड़' लगाई है।
सूर्यबाला से ---
प्रश्न - व्यंग्यकार लेखक-लेखिकाओं में आप अपने कहानीकार
को क्या मानती हैं?
उत्तर - 'कछ अदद जाहिलों के नाम' केवल 'थाली भर चांद'।
मृणाल पाण्डेय से ---
प्रश्न - 'मौजूदा हालातों को देखते हुए' आप 'साप्ताहिक
हिन्दुस्तान' का सुप्ठु संपादन कर-करके क्या बनाने पर तुली
हुई हैं?
उत्तर - 'एक स्त्री का विदागीत'।
स्नेहमयी चौधरी से ---
प्रश्न - आज एक कवयित्री के रूप में अपनी काव्य-यात्रा का
क्या मूल्यांकन आँकती हैं?
उत्तर - 'अपने खिलाफ', 'चौतरफा लड़ाई' का 'पूरा गलत पाठ'।
शशिप्रभा शास्त्री से ---
प्रश्न - आजकल आपके कथा-साहित्य के विकास का कौन सा काल चल
रहा है?
उत्तर - (बड़ी मासूमियत के साथ) 'पतझड़'-काल।
अनिल राकेश से ---
प्रश्न - आपने अपने काव्य-संग्रह 'बोधिसत्व सुनो' की 'एक
नहर गन्ध की' शीर्षक कविता में क्या समझाने का प्रयास किया
है?
उत्तर - 'जायसी की सौन्दर्य- चेतना', आप इतनी-सी बात नहीं
समझ पायी !
कुमार कृष्ण से ---
प्रश्न - हिमाचली हिंदी-साहित्य का स्वरूप निर्धारित करने
के लिए आप आजकल क्या कर रहे हैं?
उत्तर - दूसरी बार 'हाँक' चुका हूँ, पर कोई सुनता ही नहीं।
कैलाश भारद्वाज से ---
प्रश्न - हिमाचल सरकार द्वारा पुरस्कृत साहित्यकारों पर आज
टिप्पणी करना चाहेंगे?
उत्तर - 'विंध गये सो मोती'।
सतीश धर से ---
प्रश्न - आपकी कविता का उद्देश्य क्या है?
उत्तर - कुछ नहीं कहा जा सकता, यह तो 'कल की बात' है,
सही-सही तो भविष्य ही बताएगा।
अवतार सिंह ऐनगिल से ---
प्रश्न - हिमाचली कवियों में अपना स्थान बना लेने के लिए
आपको क्या-क्या करना पड़ा है?
उत्तर - मैंने सबको स्पष्ट कर दिया है कि एक-न-एक दिन
'सूर्य से सूर्य तक' की यात्रा करके अवश्य ही यह 'मनखान
आएगा', सब कान खोलकर सुन लो।
तेजराम शर्मा से ---
प्रश्न - डॉ. ओमप्रकाश सारस्वत की कविता की तुलना में आप
अपनी कविता को क्या मानते हैं?
उत्तर - 'धूप की छाया' भर, बस!
गिरिराज किशोर से ---
प्रश्न - कानपुरी कथाकारों को आप अपनी तुलना में क्या
मानते हैं ?
उत्तर - 'परिशिष्ट' और 'पेपरवेट'।
सुरेश सेठ से ---
प्रश्न - आपकी 'सिरहाने मीर के' से क्या दशा हुई है?
उत्तर - मेरा तो 'जीना मरना' हो रहा है, इसलिए 'तीसरी
आजादी का इन्तजार' कर रहा हूँ।
यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र' से ---
प्रश्न - आप 'साहित्य अकादमी', 'राजस्थान साहित्य अकादमी',
' फणीश्वरनाथ रेणु', 'सूर्य्यमल्ल', 'विष्णहरि डालमिया'
आदि ढेरों पुरस्कारों से पुरस्कृत हो चुके हैं। इस
पुरस्कार-योग का रहस्य क्या है?
उत्तर - मैंने 'प्रजाराम' के रूप में,
'जनानी ड्योढी' पर खड़े होकर 'सन्यासी और सुन्दरी' को
'आँचल में दूध और आँखों में पानी' भरते देखने की हिमाकत जो
की है । साथ ही मुझे 'हजार घोड़ों का सवार' होने का अपूर्व
अनुभव भी तो है।
सुदर्शन वशिष्ठ से ---
प्रश्न - आपने ऐसी कौन-सी किताब लिखी है, जिससे जनसाधारण
में यह धारणा बन गई है कि आप कतई सच नहीं बोलते?
उत्तर - 'अर्धरात्रि का सूर्य'
पीयूष गुलेरी से ---
प्रश्न - आजकल आप हिमाचली पहाड़ी-काव्य के खेत (क्षेत्र)
में क्या महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं?
उत्तर - मैं 'मेरियाँ गजलाँ, तेरे गीत' गाने का रियाज कर
रहा हूँ, मुझे डिस्टर्व मत कीजिए।
प्रत्यूष गुलेरी से ---
प्रश्न - सुना है आप पहाड़ी कविता लिखने में अपने भाई श्री
पीयूष गुलेरी से सत्तर-अस्सी कदम आगे निकलते चले जा रहे
हैं?
उत्तर - ऐ ताँ 'वक्ते दी गल्ल' ऐ जी!
मस्तराम कपूर से ---
प्रश्न - हिमाचल प्रदेश की सरकार अभी तक आपके साहित्य को
पुरस्कार के योग्य क्यों नहीं समझ पायी?
उत्तर - कारण, हिमाचल प्रदेश सरकार मुझे साहित्य का नहीं,
'नाक का डॉक्टर' मानती है।
शैलेश मटियानी से ---
प्रश्न - आपको ज्यादा-से-ज्यादा किसने आन्दोलित किया है?
उत्तर - मेरी 'मुठभेड़' के सन्दर्भ में उठाये गये मुद्दों
ने।
इब्बार रब्बी से ---
प्रश्न - आप अपनी पुस्तक 'लोग वाग' के बारे में कुछ कहना
चाहेंगे?
उत्तर - यह काव्य तो मेरे कवि होने का दूसरा 'घोषणा-पत्र'
है।
लोग ध्यान न दें तो मैं क्या कह सकता हूँ । |