रोके
रुके न हिंदी
-अविनाश
वाचस्पति
हिन्दी हक
है हिन्दी शक है कहते हैं इसे बक बक है पर इसी की बक
बक ने बकने वालों ऊँटों के मुँह में जीरा इंजेक्ट कर दिया
है इसे तकनीक का तमाचा मारना भी कहा जा रहा है ऐसा मारा है
तमाचा कि समस्त हिंदी विरोधी तिलमिला उठे हैं और वे भी
हिंदी की इस महिमा के गुणगान करने में शामिल हो गए हैं।
आज इंटरनेट जगत के जरिए इसी तमाचे
की गूँज आज विश्वभर के ब्लॉगों में सुनाई दे रही है जो चार बरस पहले महज पाँच सौ
भी नहीं थे, आज तीस हजार हैं और अगले पन्द्रह बरस में तीस करोड़ को भी पार कर
जायें तो क्या आश्चर्य ? प्रति घंटा एक ब्लॉग, जल्दी ही प्रति मिनिट के सफर की
ओर तेजी से बढ़ रहा है भला कोई अब भी कह सकता है कि हिंदी विश्वभाषा नहीं बन सकती।
हिंदी हक होने जा रही है, सबका लक होने जा रही है फिल्मी सितारों से पूछो फिल्मी दीवानों से पूछो सब हिन्दीमय हो चुके हैं जो बचे खुचे हैं, वे भी हो रहे
हैं हिन्दी अब सारे ताले खोलेगी सारे किले फतह करेगी।
हिंदी का हंगामा देख-समझ, जो हिंदी नहीं होंगे उनकी चिंदियां उड़ने ही वाली हैं पर
हिंदी वाले किसी की चिंदी उड़ाना नहीं चाहते, वे सबको साथ लेकर चलते हैं वे कोई
चमत्कार नहीं करना चाहते, वे तो इसे दिलों में बसा रहे हैं जिसकी सच्ची अधिकारिणी
है हिन्दी मन वचन कर्म की वारिणी है।
हिन्दी मीठा फल है, तो हरी सब्जी भी है हिन्दी उपयोगी और स्वादिष्ट वो झूठ
नहीं है जहाँ कहानियों में चीटियां भी हिन्दी में ही वार्तालाप करती हैं शेरों की
दहाड़ हिन्दी में ही सुनाई देती है कभी कहीं किसी ने किसी शेर को कहीं पर भी
अंग्रेजी में दहाड़ते देखा है पशु पक्षी भी हिन्दी जानते हैं, उसी में चहचहाते
हैं सूरज चांद तारों की सितारों की भाषा हिन्दी ही है फिल्मी सितारे भी हिन्दी
से ही परवान चढ़ते हैं वो बात अलग है कि दिखावे में अंग्रेजी ही दिखलाते हैं सज्जा
की भाषा है अंग्रेजी, और मज्जा की भाषा है हिन्दी।
हिन्दी हिन्द की शान है, अब
ब्लॉगों की पहचान है, कंप्यूटर और नई तकनीक की जान है तू मान न मान पर अब नहीं
मेहमान है हिंदी घर की पहचान है हिंदी उजली कहानी है हिंदी सच्ची रवानी है
हिंदी दिलों की कविता है एक मधुर गीत है मन से मन की प्रीत है हिन्दी ही आज
जीत है क्या हुआ, जो दिवस मना रहे हैं ये वो बतला रहे हैं कि जिसका एक दिन इतना
धमाकेदार हंगामेदार है अगर पूरा माह या साल ऐसा ही होगा तो कोई भी भाषा पानी नहीं
मांगेगी बारिश बरसेगी तो उसी में नहा लेगी हिन्दी सम्मान है, हिन्दी सम है,
मान है, प्राणों की पहचान है।
हिन्दी सख्त जान है मुँह का मीठा पान है हर हिन्दी सेवी महान है बलवान है नहीं पहलवान है तो क्या हुआ, शब्दों की ताकत क्या कम होती है कलम की ताकत के
सामने क्या तलवार, क्या सुई क्या बंदूक – सबके मन रंगा है हिन्दी का रंगेनूर गीत गाया हिन्दी ने सबको लुभाया हिन्दी ने संगीत सिखाया हिन्दी ने अपना बनाया
हिंदी ने जो कहते थे तकनीक की भाषा हिंदी नहीं वे अब चुप हैं,मुखर होकर करेंगे भी
क्या, हिन्दी तकनीक की भाषा बनती जा रही है विज्ञापनों में अपनी समग्रता में छा
रही है अपनी व्यावसायिक पहचान भी बना रही है।
शिखर की भाषा हिन्दी है अपनापा
हिन्दी है जगमगाहट है हिन्दी हिन्दी की करते रहो सदा बंदगी हिंदी में है जो बात वो किसी और में कहाँ है
सब मिलाकर ही बना रहे हैं हिन्दी का एक मुकम्मल जहाँ हिन्दी में है, जो उजाला
फिर रात की बरात कहाँ हिन्दी मनों को रोशन करती है, झंकृत करती है असीम प्यार है हिन्दी समुद्र का
मीठा पानी है कूल है हिन्दी में खिल रहा नवोन्मेष का फूल है ताजगी है हिन्दी हिन्दी में कहने दो, हिन्दी में भावों को अपने बहने दो
सच सब हमें, अब कहने दो।
अभिव्यक्ति भी हिन्दी में और
अनुभूति हिन्दी में भाव सारे हिन्दी में, कल्पनाओं के शिखर हिन्दी में सारे
जहाँ से अच्छा इंटरनेट जहाँ हमारा, हम ब्लॉग हैं हिन्दी के, जहाँ जगमगा रहा
सितारा हिन्दी का।
१३
सितंबर २०१० |