जो जो टिकिटार्थी हिंदुस्तान में निराशा को प्राप्त
हो रहे हैं, या निकट भविष्य में होंगे, मेरी उन्हें सलाह है कि वे तत्काल अमेरिका
का टिकट कटाएँ। उतरने के बाद वहाँ टिकट बहुत आसानी से प्राप्त हो जाते हैं। जितना
शोरगुल छीना झपटी, सिर फुटौवल यहाँ करना पड़ता है, उसका सौवाँ भाग भी वहाँ संपन्न
कर दिया तो निश्चिंत हो जाइए, टिकट मिलकर ही रहेगा।
एक भारतीय समाजसेवी अपने किसी संबंधी के पास अमेरिका
पहुँच गए। कुछ दिनों में ही अमेरिका रास आने लगा। सोचा यदि यहाँ भी मैदान में उतरने
का अवसर मिल जाए तो फिर कहना ही क्या। कुछ ही दिनों में उन्होंने चुनाव में खड़े
होने की प्रत्याशा में अपने घर पर दरबार लगाना शुरू कर दिया। जब पास पड़ोस के
शांतिप्रिय लोगों के घरों में, ज़्यादा शोरगुल के परिणामस्वरूप किचकिच होने लगी तो
किसी सिरफिरे ने इनके लिए टिकट की व्यवस्था कर दी। आकर सूचना भी कर दी कि आपको
जल्दी ही टिकट मिलने वाला है।
नेताजी खुश हो गए। अच्छा यहाँ भी हमारे महत्व को
पहचाना जाने लगा। जैसे ही पुलिस ने आकर इन्हें टिकट थमाया, इनकी समझ में उस टिकट का
अर्थ आया। उस टिकट का अर्थ, अर्थदंड होता है।
जो व्यक्ति समाज के नियमों का उल्लंघन करता है
उसका अमेरिका और भारत दोनों जगह टिकट देकर सन्मान दिया जाता है। भारत में टिकट
उपभोक्ता को निहाल करता है, जबकि अमेरिका में उलाल करता है। प्रथम ग्रासे माक्षिका
पातं।
अमेरिका में पहले ही अपराध करने वाले व्यक्ति के
सामने भी पुलिसवाला आकर खड़ा हो जाएगा और नम्रता पूर्वक कहेगा सर आपने अमुक अपराध
किया है अतएव यह दो सौ डॉलर का टिकट। स्पष्ट है अपराधी को बिना किसी ना नुकुर के दो
सौ डालर का जुर्माना भरना पड़ेगा। हिंदुस्तान में जो व्यक्ति कई-कई अपराधों को
सफलता पूर्वक संपन्न कर चुका होता है उसे आसन्न चुनावों में जनता के ह्रदय सम्राट
के रूप में प्रचारित किया जाता है फिर उससे अनुरोध किया जाता है कि वह प्रत्याशी बन
जाने के लिए टिकट स्वीकार करने की कृपा करे। बहुधा इस तरह की चरणस्पर्शीय प्रार्थना
के आगे उसे झुकना ही पड़ता है।
यह पूरब है, वह पश्चिम है। यहाँ टिकट प्राप्त करके
लोग हहराते हैं, और वहाँ टिकट लेने से लोग घबराते हैं। हिंदुस्तान में रेल में, बस
में, विधानसभा या लोक सभा में सीटें कम, उम्मीदवार ज़्यादा इसीलिए धक्का-मुक्की।
टिकट प्राप्त करने के लिए कोई न कोई सिफारिश करानी पड़ती है। और वहाँ कोई तनिक
टेलीफ़ोन कर दे तो आसानी से टिकट मिल जाता है। यहाँ एक अनार सौ बीमार। वहाँ जिनके
अनार उतने बीमार।
हिंदुस्तान में हर समय टिकट की बहुत मारामारी रहती
है, जबकि अमेरिका में तनिक भी मारामारी हो जाए तो उसमें लिप्त रहने वाले व्यक्ति को
टिकट मिल जाता है। भारतवर्ष में चुनाव में, हवाई यात्रा में या रेल में चलने के लिए
टिकट लगता है, जबकि अमेरिका में पुलिस द्वारा सजा के चुनाव में, या जेल में डालने
के लिए टिकट दिया जाता है।
९ नवंबर २००७ |