वैसे तो पेड़ पौधों संबंधी
हमारी जानकारी उतनी ही
है जितनी कि महात्मा गांधी के विषय में मुन्ना भाई को थी। एक समय था जब हमने
अमलतास के ठीक नीचे खड़े हुए, मुन्नाभाई की तरह पूछा था- अमलतास बोले तो? भला हो
अमरूद बेचने वाले पंडितजी का, जिन्होंने हमारा परिचय अमलतास से करवाया। उस समय
अमलतास का अमलतास होना हमारे लिए कोई बड़ी बात नहीं थी, एक बड़े से पीपल के पेड़ के
बगल में खड़ा, पीले पत्तों से लथपथ अमलतास में कोई विशेष आकर्षण ढूँढ पाना, स्कूल
से घर जाने वाले एक छात्र के बस के बाहर की बात थी। बड़ी बात थी स्कूल की छुट्टी के
समय साइकिल के पीछे डलिया लगाए पंडित जी का अमरूद बेचना और आकर्षण था उन अमरूदों को
ख़रीदकर खाना।
खैर, समय बीतता गया बोर्ड की परीक्षा, कंपटीशन, नौकरी के चक्कर, घर
परिवार की चिकचिक में अमलतास से संबंध का लगभग समापन समारोह तक पहुँच रहा था कि
अभिव्यक्ति के अमलतास विशेषांक ने इसे पुनर्जीवित करने की प्रेरणा प्रदान कर दी।
हमने सोचा कि क्यों न पता किया जाए कि अमलतास के संबंध में लोगों के क्या विचार हैं
तथा फिर एक शोधमय विचारोत्तेजक लेख प्रकाशनार्थ भेज दिया जाए। बस अंदर
छिपे पत्रकार ने अंगड़ाइयाँ लीं और हमने सबसे पहले अपने साथ काम करने वाले सैम
उर्फ समीर चन्द्र से पूछा-- भई ज़रा ये बताओ कि क्या तुम अमलतास को पहचानते हो।
प्रश्न सुनने के बाद कुछ देर तो मिस्टर सैमसंग हमें घूर घूर के देखते रहे, जब
उन्हें इस बात का विश्वास हो गया कि हम पूरे होशो हवास में यह प्रश्न पूछ रहे हैं
तो वे बोले,
"अरे साहब, यहाँ अमेरिका में आने के बाद आदमी अपने भाई को नहीं पहचानता, आप अमलतास
को पहचानने की बात कर रहे हैं।"
हमने उनसे कहा, कि
"भाई को न पहचानने हेतु अमेरिका आने की आवश्यकता नहीं है, यह एक वैश्विक प्रक्रिया
है। सफल होने बाद यूँ भी व्यक्ति मात्र चुनिंदा लोगों से जान पहचान रखना चाहता है।
यदि उसके भाई की किस्मत में होगा तो वो अवश्य उन चुनिंदा लोगों में शामिल होगा।
असली बात बताइए कि क्या आप अमलतास को पहचानते हैं।"
वो बोले,
"अरे हाँ इसमें कौन सी बड़ी बात है, कच्ची अमिया के अचार को अमलतास कहते हैं।"
पहले तो हमें लगा कि उनसे कह दें कि यदि कच्ची अमिया का अचार अमलतास है तो आप
अमलतास के फूल हैं, फिर सोचा क्यों व्यर्थ किसी की भावनाओं पर ठेस करें तथा
विचारधारा को ध्वस्त करें अतः उन्हें उनके अमलतास की शीशी के संग छोड़ कर आगे बढ़
लिए।
हमारे एक चिंतक मित्र हैं, हर विषय पर गहन चिंतन करते हैं। उनका मानना है कि संसार
की आधी समस्याएँ तो मात्र उनके द्वारा किए गए चिंतन से ही सुलझ जाएँगी। यह बात अभी
यूनाइटेड नेशन्स को पता नहीं है अतः उनके चिंतन पर अमली जामा नहीं टिकाया जा पा रहा
है। हमने जब उनसे पूछा कि वे अमलतास के विषय में क्या जानते हैं, तो वे बोले,
" आम की गुठली को सुखा के उसका पाऊडर बना लीजिए, फिर उसमें सोंठ, काला नमक, पिसा
हुआ जीरा आदि डाल कर मिला लीजिए। इसे सुबह के नाश्ते में रात के बासी पराठे के साथ
चुपड़ कर खाइए, और अमलतास के गुण गाइए।"
हमने उन्हें समझाया कि
"यह तो आप बुकनू से मिलती जुलती कोई चीज़ बता रहे हैं। अमलतास के तो पीले रंग के
फूल होते हैं।"
वे बोले,
"अच्छा पीले फूल, हम लोग अंग्रेज़ी में उसे सनफ्लावर कहते हैं।"
मैंने कहा,
"हे देव, ग़लती हुई जो मैंने आपसे पूछा, कृपया मुझे कुछ क्षमा का दान करें तथा
प्रस्थान करें।"
मुझे शायद इतने के बाद अपने शोध को विराम दे देना चाहिए था पर मैंने अपने छोटे भाई
आनंद से भी फोन पर पूछ लिया कि भाई अमलतास क्या होता है। अब भाईसाहब हैं तो हमारे
ही भाई, वे बोले,
" एक किसान ने अपने खेत में पाँच चीज़ें बोईं, अ से अमरूद, म से मटर, ल से लौकी,
ता से तोरई और स से सरसों। सब लोग उसी को अमलतास कहते थे। उस दिन से यदि कोई किसान
अपने खेत में पाँच फसलें बोता है तो अमलतास कहलाता है। वैसे इसका प्रयोग
मुहावरों में भी किया जाता है, जैसे कोई आदमी जब बहुत सारे काम एक साथ करने की
कोशिश करता है तो उसे अमलतास होना कहते हैं। जैसे जो लोग आपका लिखा यह लेख पढ़ रहे होंगे, वे घर
में कंप्यूटर से चिपकने के कारण डाँट खा रहे होंगे, कंप्यूटर चला रहे होंगे, माउस
से नीचे ऊपर आ |