व्यक़्ति चंचल और अस्थिर
प्राणी है। वह किसी एक स्थान पर ज़्यादा देर टिका नहीं पा
सकता है। वह अपने कामकाज के लिए स्थान बदलता रहता है।
दूरसंचार के आधुनिक तकनीक की उत्क्रांती से मोबाइल धारकों
की संख्या बढ़ रही है। लैंडलाईन टेलिफ़ोन की तुलना में
मोबाइल फ़ोन में अनेक सुविधाएँ प्रदान की गई हैं। लैंडलाईन
टेलिफ़ोन सेवा के अंतर्गत आप डायल करके बात कर सकते हैं।
लैंडलाईन उपकरण का उपयोग सिर्फ़ बात करने के लिए हो रहा
था। लेकिन मोबाइल एक सुविधा संपन्न संचार उपकरण है। मोबाइल
फ़ोन द्वारा संक्षिप्त संदेश सेवा(एस.एम.एस.) का प्रचलन
बढ़ गया है। आधुनिक विंडो आधारित मोबाइल उपकरणों में वर्ड,
एक्सेल, पॉवर पॉइंट आदि सुविधाएँ प्रदान की गई है।
संचार माध्यमों में भाषा का
प्रवाह गतिमान रहता है। कोई भी नई तकनीक युरोप से बाज़ार
में उतारी जाती है। इसलिए मोबाइल हैंडसेट में भी प्रथमतः
अंग्रेज़ी भाषा का एकाधिकार रहा। लेकिन भारतीय परिवेश में
भारतीय भाषाओं की सुविधा प्रदान करना अनेक देशी-विदेशी
कंपनियों को व्यापारनीति के लिए बाध्य रहा। भारतीय बाज़ार
में मोबाइल क्रांति लाने के लिए भारतीय भाषाओं की सहायता
ली गई। आखिर हम कब तक अपने परिवार सदस्यों को किसी विशेष
प्रसंग पर अंग्रेज़ी में एस.एम.एस. करते रहते?
आज कल मोबाइल हैंडसेट पर
हिंदी-मराठी में एस.एम.एस. तथा शब्द संसाधनों को प्रचलन
बढ़ गया है। मोबाइल धारकों में संवाद के लिए बातचीत के
अलावा एस.एम.एस. का प्रयोग बढ़ रहा है। सेल्युलर ऑपरेटर्स
एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के आँकड़ों के अनुसार मोबाइल धारकों
की संख्या वर्ष 2007 के मई माह में 13,06,07955 है जो अब
काफ़ी आगे निकल जाएगी। इसमें भेजे गए एस.एम.एस. की संख्या
2003 में 11 दशलक्ष्य रही।
मोबाइल उपकरणों का बाज़ार
तेज़ी से बढ़ रहा है। भारतीय ग्राहकों को आकर्षित करने के
लिए नोकिया कंपनी ने अपने मोबाइल उपकरणों (मॉडेल 1100,
1160, 6030) में देवनागरी लिपि का प्रयोग एस.एम.एस. के लिए
उपलब्ध किया है। मोबाइल उपकरणों में हैंड-हेल्ड, वायरलेस,
पॉकेट पी.सी, पामटॉप, पामसाईज़, आई-फ़ोन उपकरणों की नयी
शृंखला बाज़ार में उतारी गई है। इनकी ऑपरेटिंग सिस्टम भी
अलग-अलग है। फ़ोटो पाम, ओ.एस., पॉकेट पी.सी. विंडो,
सिंबीएन (Symbian), इसमें भारतीय भाषाओं का स्थानीयीकरण
करना एक जटील प्रक्रिया है। सिबिएन नोकिया में एस.डी. के
तीन विभिन्न सिरीज़ जैसे सिरीज-60, सिरीज-80, तथा सिरीज-90
मोबाइल उपकरण में अनेक एप्लीकेशन का डिज़ाईन करने के लिए
विजूअल स्टूडिओ, विजूअल स्टुडिओ नेट, नेट, जे-बिल्डर,
डेल्फि, सी++ तथा कोड वारीअर के टूल्स का प्रयोग किया जाता
है। मोबाइल एप्लिकेशन के विभिन्न प्लेटफ़ार्म्स जैसे
विंडो- विन-32 तथा डॉट नेट, जावा तथा नेट एम-ई, सिंबिएन के
लिए नोकिया ने अनेक थर्ड पार्टी टूल्स जैसे क्रास फ़ायर
का प्रयोग किया गया है।
ग्राफ़िक्स युजर
इंटरफेस(GUI) मोबाइल स्क्रीन के अनुरूप डिज़ाईन करना, भाषा
प्रदर्शित करने के लिए समास चिन्हों के नियमों का विकास,
अलग-अलग स्क्रीन, की-बोर्ड अथवा स्टाइलस द्वारा शब्द टाईप
करने की प्रक्रिया, ऑपरेटींग सिस्टम में यूनिकोड की
सहायता, अनुवाद शैली, स्क्रीन लै-आउट, आयकॉन का प्रयोग आदि
बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है ताकि मोबाइल हैंडसेट
में भाषा का प्रयोग किया जा सके।
भाषा को मोबाइल में
स्थापित करने में कुछ समस्याएँ सामने आ रही हैं। भाषा के
विशेष प्रतीक चिन्हों का प्रयोग, अनुवाद में संक्षिप्त
अक्षरों की रचना आदि समस्याओं का निराकरण किया जाता है।
मोबाइल में भारतीय भाषाओं को पूर्णतः विकसित करने के लिए
कुछ बातों की ओर विशेष ध्यान देना होगा। मोबाइल उपकरण के
लिए, भारतीय भाषाओं के अनेक फाँट विकसित करने होंगे।
भारतीय भाषाओं को सुव्यवस्थित चलाने के लिए ब्राउज़र को
विकसित करना होगा। भारतीय भाषाओं की वेबसाईट का
स्थानियीकरण हेतु मार्गदर्शक तत्वों का विकास करना होगा।
मोबाइल पर भारतीय भाषाओं के शब्दकोष विकसित करने होंगे।
मोबाइल उपकरण से भारतीय भाषाओं की वेबसाईट देखने की सुविधा
उपलब्ध होनी चाहिए। भारतीय भाषाओं का डेटाबेस खोजने के लिए
अनुक्रमणिका(indexing) विकसित करनी होगी।
कनाडा की जी-कॉर्पोरेशन (Zi
Corporation) कंपनी ने भविष्यसूचक पाठ (predictiive text)
संक्षिप्त संदेश सेवा में हिंदी को विकसित किया। इस कंपनी
ने हिंदी तथा देवनागरी लिपि की व्यवस्था मोबाइल उपकरण में
विकसित की है। ezi text हिंदी के माध्यम से नूतन की-बोर्ड
लेआऊट की सहायता से टंकन का काम आसान हो गया है। मोबाइल पर
टंकलेखन के लिए अब अनेक की टैप करने की ज़रूरत नहीं है। इस
प्रणाली में प्रयोग में लाए गए शब्दों का
शब्दकोष (Used word dictionary) की सहायता से
मोबाइल धारकों की सुविधा के लिए भविष्य सूचक पाठ तथा
शब्दों को तुरंत प्रदर्शित किया जाता है। जिसके कारण
टंकलेखन आसान तथा जल्द हो जाता है।
मोबाइल उपकरणों में
बहुभाषिक सुविधा उपलब्ध होने के कारण नोकिया कंपनी ने अपने
हैंडसेट नंबर - 1100, 1110, 1112, 1600, 1800, 2310, 6030,
6070 आदि हैंडसेट में हिंदी भाषा को शामिल किया गया है। यह
हैंडसेट हिंदी में संदेश भेजने और पाने में सक्षम है। यह
एक नेटवर्क आधारित सुविधा है। अपने नेटवर्क ऑपरेटर से इस
सुविधा की उपलब्धता की जानकारी मोबाइल धारक को होनी चाहिए।
हिंदी भाषा में 42 व्यंजन और 11 स्वर होते है। इन अक्षरों
को टाइपरायटर तथा कंप्यूटर पर टाइप करने के लिए विस्तृत
की-बोर्ड उपलब्ध रहता है लेकिन मोबाइल हैंडसेट में सीमित
की-बोर्ड उपलब्ध होता है। इसलिए सीमित की-बोर्ड की सहायता
से व्यंजनों के मिश्रण, किसी व्यंजन के बाद स्वतंत्र स्वर
तथा विशिष्ट अक्षरों का सूचिपत्र खोल के पाठ का टंकन किया
जाता है। हिंदी पाठ्यलेखन की विधि नोकिया कंपनी ने
प्रयोक्ता मार्गदर्शिका में हिंदी भाषा में प्रस्तुत की
है। हैंडसेट के कुल 12 कुंजी दबाने पर हिंदी पाठ टंकित
किया जाता है। इसके लिए हिंदी कुंजीपटल की संरचना ध्यान से
पढ़नी चाहिए। नोकिया कंपनी ने लेखन भाषा सेटिंग, हिंदी
कुंजीपटल, अक्षर-लेखन, अक्षर हटाना साधारण शब्द, व्यंजनों
का मिश्रण, व्यंजन के बाद स्वतंत्र स्वर लगाना, विशिष्ट
अक्षरों के सूचिपत्र को खोलना, रेफा अक्षर लिखना, हलंत
अक्षर लिखना, रकार अक्षर लिखना, टी-9 शब्दकोश का प्रयोग,
हिंदी पाठ्यलेखन को अन्य फीचरों के साथ इस्तेमाल करना आदि
संबंधित विस्तृत मार्गदर्शन नोकिया 2310 प्रयोक्ता
मार्गदर्शिका में दिया है।
हिंदी भाषा के साथ-साथ
अंग्रेज़ी भाषा के वाक्यों का मिश्रण एस.एम.एस. में किया
जा सकता है। क्षेत्रीय भाषाओं का पाठ हैंडसेट द्वारा टाईप
करने की सुविधा प्रदान की जाती है। हैंडसेट उत्पाद करते
समय क्षेत्रीय भाषाओं को स्थापित करना चाहिए। मोबाइल के
आधुनिक उपकरणों में भाषा के बंधन टूटने चाहिए। भारतीय
बाज़ार में स्थापित नोकिया, मोटोरोला, सोनी एरिक्सन आदि
मोबाइल हैंडसेट निर्माताओं ने चेन्नई, दिल्ली में फैक्टरी
खोल दी है। विदेशी कंपनियाँ भारतीय बाज़ार की माँग ध्यान
में रखते हुए मोबाइल हैंडसेट में भारतीय लिपि का प्रयोग
बढ़ाने के लिए तैयार है। ज़रूरत इस बात की है कि हम आधुनिक
उपकरण तथा उसके भारतीय भाषाओं में प्रयोग में लाने के लिए
कितने सतर्क है।
AOL की कंपनी हेजीक
कम्युनिकेशन ने मोबाइल हैंडसेट में टाईपिंग सुविधा हेतु T9
सिंगल टैब तकनीक का विकास किया है। मोबाइल फ़ोन हैंडसेट पर
T9 ने अब तक चालीस भाषाओं को विकसित किया है। नोकिया ने
Made For India Model 1100 में देवनागरी लिपि का प्रयोग
किया है। मोटोरोला कंपनी ने अपनी व्यवस्था के अनुसार iTAP
की सुविधा प्रदान की है।
C-DAC पुणे ने लीला
प्रबोध कोर्स अब मोबाइल हैंडसेट पर उपलब्ध किया है।
कृत्रिम बुद्धि तकनीक पर आधारित लीला सॉफ्टवेअर अब
कंप्यूटर के साथ मोबाइल पर उपलब्ध हो गया है। ध्वनि और
चित्र के साथ हिंदी सीखना अब आसान हो गया है। यह सुविधा
मल्टी मीडिया कार्ड MMC द्वारा उपलब्ध हो गई है। इस मोबाइल
पॅकेज की सहायता से देवनागरी अक्षरों की पहचान, पढ़ना,
सुनना, हिंदी शब्दों का उच्चारण, व्याकरण, व्हिडीओ क्लिप,
हिंदी अनुवाद, हिंदी-अंग्रेज़ी शब्दकोष आदि सुविधाएँ
मोबाइलधारक को मैत्रीपूर्ण शैली में प्राप्त हो गई है। यह
मोबाइल प्रबोध मल्टिमीडिया कार्ड सी-डैक से प्राप्त किया
जा सकता है।
सी-डैक के जिस्ट लैब ने
सेल्यूलर फ़ोन्स में भारतीय भाषाओं के लिए तकनीक का विकास
किया है। मोबाइल हैंडसेट द्वारा भारतीय भाषाओं में
एस.एम.एस. तथा ई-मेल, भेजा जा सकता है। सभी भारतीय भाषाओं
की लिपि ब्राह्मी लिपि पर आधारित है। सभी भारतीय भाषाएँ
स्वराधित होने के कारण मोबाइल हैंडसेट के की-बोर्ड द्वारा
किसी भी भारतीय भाषाओं में एस.एम.एस. भेजा जा सकता है।
इस्की (ISCII) मानक के अनुरूप फाँट्स का निर्माण किया गया
है। यूनिकोड के मुकाबले इस्की पर आधारित पाठ्य संकलन के
लिए बहुत कम जगह लगती है। अंतर्राष्ट्रीय मानक यू.टी.एफ.,
यूनिकोड के अनुरूप मोबाइल सॉफ्टवेअर बनाया गया है। सैमसंग,
मोटोरोला, सोनी हरीक्सन आदि कंपनियों ने सी-डैक जिस्ट के
साथ करार किया है। सैमसन के सी.डी.एम.ए. आधारित भारतीय
भाषाओं से संपन्न मोबाइल हैंडसेट बाज़ार में उपलब्ध हो गए।
मोबाइल पर विदेशी
पर्यटकों के लिए अंग्रेज़ी-हिंदी शब्दकोश, अनुवाद, विडियो
आदि सुविधा उपलब्ध हो गई है। इसमें पर्यटन, बाज़ार,
सामाजिक प्रसंग पर अनेक हिंदी के विकल्प उपलब्ध किए गए
हैं।
मोबाइल सेवा के अंतर्गत
WAP 07, 3-जी तकनीक पर आधारित मल्टीमीडिया सेवाएँ जैसे
मल्टीमीडिया मैसेजींग सर्विस (MMS), व्हिडियो मैसेजिंग,
संगीत, गेम, समाचार, चित्रपट, मनोरंजन आदि सेवाओं का
आस्वाद मोबाइल इंटरनेट द्वारा किया जा रहा है। मोबाइल के
क्षेत्र में संचार, मीडिया तथा मनोरंजन व्यवसायों का मिलाप
हो गया है। इसलिए अब संबंधित सॉफ़्टवेअर कंटेंट डेवलपर्स,
उपकरण निर्माता, विपणन तथा विज्ञापन का क्षेत्र बहुत तेज़ी
से विकसित हो रहा है। भारत में हिंदी फ़िल्मों तथा हिंदी
गीतों ने हिंदी भाषा का प्रसार आम आदमी तक किया है। विश्व
में बॉलीवुड की फ़िल्मों की लोकप्रियता बढ़ रही है। भारतीय
संगीत तथा चित्रपट व्यवसाय के लिए अब मोबाइल फ़ोन धारक
महत्वपूर्ण घटक बन गया है। ध्वनि, चित्र के साथ-साथ भारतीय
भाषाओं की लिपि का भी विकास बाज़ार की माँग के अनुरूप
मोबाइल सेवा में धीरे-धीरे बढ़ जाएगा। मोबाइल हैंडसेट के
लिए अब भारतीय भाषाओं में ई-बुक, ई-समाचार, ई-बैंकिंग,
ई-कॉमर्स आदि सेवाएँ उपलब्ध होने के आसार दिखाई देने लगे
हैं।
GSM Association ने
मोबाइल उत्पादकों के लिए बहुभाषिक सुविधाएँ प्रदान करने के
लिए विश्वस्तर पर कुछ तकनीकी बाध्यता घोषित की है। विश्व
स्तर पर किसी भी मोबाइल उत्पादक कंपनी को बहुभाषा सहायता
के लिए सिफ़ारिश ड्राफ्ट-TN (TWG 130/01), बहुभाषी सहायक
मोबाइल उपकरण निर्माण करने के लिए (TWG 133/01r1) का
अनुपालन करना होगा। जीएसंएम असोसिएशन ने जीएसएम ऑपरेटर्स
तथा जीएसएम मोबाइल उपकरण उत्पादकों के लिए एक नियम प्रणाली
PRD TW.12तैयार की है। हमें यह देखना होगा कि भारतीय
भाषाओं के अनुरूप इन मोबाइल उपकरण की तकनीकी बाध्यता पूरी
हो रही है या नहीं। यूनिवर्सल सर्विस फंड के प्रावधान के
अनुसार ग्रामिण क्षेत्र के नेटवर्क का विकास किया जाएगा।
इस फंड में अमेरिकन डॉलर 1.12 मिलियन की राशि उपलब्ध
है। जिसमें अबतक 73 प्रतिशत राशि का वितरण होने बाकी है।
भारत में अनेक विदेशी मोबाइल कंपनियाँ अपना नेटवर्क बढ़ा
रही है। इस यूनिवर्सल सर्विस फंड के प्रावधान का उचित
फ़ायदा भारत सरकार ने उठा कर मोबाइल सेवा में भारतीय
भाषाओं को उचित सम्मान करना चाहिए।
24 जुलाई
2007 |