ककड़ी ग्रीष्मकाल में बहुतायत में मिलने वाली एक
प्रमुख वनस्पति है। यह प्रायः फाल्गुन या चैत्र
मास में बोई जाती है। इसकी बेल खूब लम्बी फैलती
है। ककड़ी के फूल पीले रंग के होते हैं। कच्ची
अवस्था में ककड़ी खूब नरम-हरे रंग की तथा रोएँदार
होती है। बढ़ने पर श्वेत व पीली हो जाती है तथा
पकने पर विशेष लालिमा युक्त पीली पड़ जाती है।
कहीं-कहीं यह ककड़ी वर्षा ऋतु में भी होती है,
किन्तु वर्षा व शरद ऋतु की रोगकारक मानी जाती है,
कहा भी है- ‘सर्वाः कर्कटिका वर्षा शरदि जाता न
हिताः’ (नि. रत्नाकर)। ग्रीष्म व हेमन्त में होने
वाली ककड़ी विशेष रुचिकारक, पित्तनाशक व हितकारी
होती है।
अनेक भाषाओं में-
संस्कृत में इसे कर्कटी-हस्तिदंतफला-मूत्रफला तथा
हिन्दी में ककड़ी व तर काकड़ी कहते हैं। मराठी में
काकड़ी, वालुक, गुजराती में काकड़ी तथा बांग्ला में
कांकुर आदि नामों से जाना जाता है। अंग्रेजी में
इसे कुकुम्बर तथा लेटिन में ‘क्युक्युमिस
युटिलिस्सिमस’ कहते हैं।
आयुर्वेदमतानुसार-
ककड़ी
मधुर-शीतल-रुचिकारक-मूत्रल-तृप्तिकारक-पुष्टिदायक
तथा मूत्रावरोध-दाह-पित्त, रक्त विकार तृषा-शोष,
जड़ता-वमन, श्रम आदि नाशक है। मधुमेह में लाभकारी
है, किन्तु अधिक सेवन से यह भारी, अजीर्ण कारक,
वातज्वर कारक तथा कफ कारक होती है।
रासायनिक तत्व-
ककड़ी के रासायनिक संगठन में ९६.४ प्रतिशत पानी, ०.३ प्रतिशत प्रोटीन,
०.१ प्रतिशत वसा, २.८
प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, ०.०१ प्रतिशत कैल्शियम,
०.०३ प्रतिशत फॉसफोरस तथा लौह प्रति सौ ग्राम में
१.५ मिली. ग्राम विटामिन बी. प्रति सौ ग्राम ३०
इ.यू. विटामिन सी प्रति सौ ग्राम ७ मिलीग्राम तथा
विटामिन ए नाम मात्र को रहता है।
सौंदर्य सुझाव-
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चेहरे की सफ़ाई
और चमक बढ़ाने के लिए ककड़ी के दो चम्मच रस
में चार बूँद नीबू का रस व चुटकी भर पिसी हुई
हल्दी को मिला कर बनाए गए लेप को चेहरे और
गर्दन पर लगाने से चेहरे की चिकनाई दाग धब्बे
और रूखापन सभी दूर हो जाते हैं।
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ककड़ी का रस
प्रतिदिन पीने से चेहरे से मुहाँसे, कील, दाग
और धब्बे धीरे-धीरे मिट जाते हैं। प्रतिदिन
सुबह खाली पेट ककड़ी का जूस पिया जाए तो चेहरे
का सौंदर्य बढ़ जाता है।
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ककड़ी के रस का
लगातार सेवन करते रहने से बालों का असमय पकना
और झड़ना बिल्कुल बंद हो जाता है। कच्ची ककड़ी
के रस को नहाने से पहले बालों पर लगाया जाए और
कुछ देर में धो लिया जाए तो बाल स्वस्थ हो
जाते हैं, जड़ें मजबूत होती हैं और इनका झड़ने
का सिलसिला बंद हो जाता है।
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ककड़ी, पालक और
गाजर की समान मात्रा का जूस तैयार कर पीने से
बालों का तेजी से बढना प्रारंभ हो जाता है।
औषधीय उपयोग-
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कच्ची ककड़ी में
आयोडीन होता है, अतः यह घेंघा रोग पीड़ित
व्यक्ति के लिए लाभदायक होती है। इसको कुचलकर
रस निकालकर पीने से यह अधिक लाभ करती है। इसके
रस से हाथ मुँह धोने से फटते नहीं हैं। मुख पर
सौंदर्य आता है। ककड़ी खाकर तुरन्त भोजन नहीं
करें, जब ककड़ी पच जाए तभी भोजन करना चाहिए।
ककड़ी कतर कर खिलाने से शराब का नशा उतर जाता
है। ककड़ी काट कर सूँघने से बेहोशी में राहत
मिलती है।
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वजन कम करने के
इच्छुक व्यक्ति इसे अधिक मात्रा में खा सकते
हैं ककड़ी सामान्यतः कच्ची खाई जाती है इसे
हमेशा छिलका बिना उतारे खाना चाहिए।
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ककड़ी में
पोटोशियम तत्व मिलता है। अतः इसका रस उच्च तथा
निम्न रक्तचाप में लाभदायक है। वातरोग में
ककड़ी के साथ गाजर का रस मिलाकर पीने से लाभ
मिलता है। गर्मियों में ककड़ी के बीजों को
ठण्डाई के साथ घोंटकर पीने से गरमी के विकारों
को दूर करने में सहायता मिलती है।
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गर्भिणी के उदर
शूल: ककड़ी के जड़ १ तोला को १ पाव दूध व १ पाव
जल के मिश्रण में कुचल कर मिला दें, फिर
मंदाग्नि पर पकाएँ दुग्ध मात्र रहने पर
सुखोष्ण पिलाने से लाभ होता है।
२८
अप्रैल २०१४