स्वादिष्ट भारतीय व्यंजन, स्वास्थ्यवर्धक कोल्सलॉ
या चटपटे मंचूरियन पकौड़े, पूरे विश्व में
पत्तागोभी करीब करीब हर प्रकार के भोजन में छाया
रहता है। इसकी पैदावार जितनी आसान है यह पकाने और
पचाने में भी उतना ही आसान है।
पत्तागोभी भी कई प्रकार का होता है। सेवोए, बोक
चोए औऱ नापा पत्तागोभी चीनी व्यंजन में काम आता
है, इसकी पत्तियाँ गहरे हरे रंग की और ढीली बँधी
होती हैं। सेलेरी पत्तागोभी भी बोक चोए प्रकार में
शामिल होता है। हरा पत्तागोभी विशेष रूप से भारतीय
भोजन में प्रयोग किया जाता है। एक लाल, जामुनी रंग
का पत्तागोभी भी होता है जो
सलाद आदि में काम
आता है। ब्रोकोली, फूलगोभी और गाँठ गोभी, ये सभी
पत्तागोभी के परिवार के ही सदस्य हैं।
बंद गोभी या
पत्तागोभी अनेक पौष्टिक खनिज लवण और विटामिन का
स्रोत है। इसमें प्रोटीन, वसा, नमी, फाईबर तथा
कर्बोहाइड्रेट भी अच्छी मात्रा में होता है। खनिज
लवण तथा विटामिन की बात करें तो पत्तागोभी में
कैल्सियम, फास्फोरस, आयरन, कैरोटीन, थायमिन,
राइबोफ्लेविन, नियासिन तथा विटामिन सी भी प्रचुर
मात्रा में होता है। इसमें क्लोरीन तथा सल्फर भी
पाया जाता है और अपेक्षाकृत आयोडीन का प्रतिशत भी
अधिक होता है। सल्फर, क्लोरीन तथा आयोडीन साथ में
मिल कर आँतों और आमाशय की म्यूकस परत को साफ करने
में मदद करते हैं। इसके लिए कच्चै पत्तागोभी को
नमक लगा कर खाना चाहिए।
अपच या कब्ज की परेशानी में पत्तागोभी एक बेजोड़
इलाज की तरह काम करता है। अपने भोजन में सिर्फ
कच्चे पत्तागोभी को बारीक काट लें और उस पर नमक,
नींबू का रस और काली मिर्च लगा कर खाएँ। यह बिना
किसी दुष्प्रभाव के आराम देगी।
पत्तागोभी में अलसर से बचाव के गुण होते हैं।
पत्तागोभी के १८०-३६० मिली रस को दिन में तीन बार
लेने से पाचन तंत्र के ड्यूडेनम भाग में अल्सर की
शिकायत दूर होती है। पत्तागोभी में विटामिन यू
होता हैं जो कि अल्सर अवरोधक माना जाता है। यह
विटामिन पकाने से नष्ट हो जाता है इसलिए बहुत सी
तकलीफों में प्राकृतिक रूप में पत्तागोभी का सेवन
ही लाभ पहुँचा सकता है।
पत्तागोभी में टारट्रोनिक अम्ल होता है, जो शरीर
में शर्करा और कार्बोहाइड्रेट को वसा में बदलने से
रोकता है। इसमें विटामिन सी और विटामिन बी की
मात्रा भी होती है। विटामिन सी मोटापे को कम करता
है और विटामिन बी शरीर के चयअपचय दर को बढ़ाए रखता
है। इसलिए वजन कम करना हो तो पत्तागोभी का सेवन
अधिक करना चाहिए। अपने भोजन का एक भाग पत्तागोभी
के नाम कर दिया जाए तो वजन कम करने में बड़ी ही
सहायता रहेगी। १०० ग्राम पत्तागोभी में करीब २७
कैलोरी होती है। देखा जाए तो १०० ग्राम आटे की
रोटी से २४० कैलोरी मिलती हैं। इसे खाने से
पेट तो भरेगा ही और साथ में कैलोरी भी कम जाएगी।
पत्तागोभी में कम कैलोरी के साथ बहुत अधिक जैविक
गुण होते
हैं। इसमें निहित विटामिन बी तंत्रिका तंत्र को
आराम पहुँचाने में सहायक होता है।
विटामिन ए और ई की उपस्थिति से त्वचा और आँखों से
संबंधित तकलीफों में भी पत्तागोभी बहुत लाभ
पहुँचाता है। छाले, घाव, फोड़े-फुंसी तथा चकत्तों
जैसी परेशानियों में पत्तागोभी के पत्तों की पट्टी
लगाने से बहुत आराम मिलता है। इस काम के लिए
पत्तागोभी की बाहरी मोटी पत्तियाँ बेहतर रहती हैं।
पूरी साबुत पत्तियों को ही पट्टी की तरह काम में
लेना चाहिए। इसकी पट्टी बनाने के लिए पत्तियों को
गरम पानी से बहुत अच्छी तरह धोकर तौलिये से अच्छी
तरह सुखा कर बेलन से बेलते हुए नरम कर लेना चाहिए।
इसकी मोटी, उभरी हुई नसों को निकाल कर बेलने से यह
नरम हो जाएगा। फिर इसे गरम करके घाव पर समान रूप
से लगाना चाहिए। इन पत्तियों को सूती कपड़े में या
मुलायम ऊनी कपड़े में डाल कर काम में ले सकते हैं।
इससे पूरे दिन भर के लिए या रात भर सिकाई कर सकते
हैं। जले हुए पत्तागोभी की राख भी त्वचा की बहुत
सी बीमारियों में आराम पहुँचाता है।
पत्तागोभी में विभिन्न प्रकार के ऐसे तत्व होते
हैं जो उम्र के साथ शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों
से निजात दिला सकते हैं। बढ़ती उम्र की परेशानियाँ
घटाने में बंदगोभी मदद कर सकती हैं। रक्त वाहिनी
में जमाव को रोकने में, गाल ब्लैडर में पथरी की
शिकायत में बंदगोभी में बंद विटामिन सी तथा
विटामिन बी की जोड़ी बहुत सहायता कर सकती है। रक्त
वाहिनियों को
ताकत भी पहुँचाता है।
इसके अनेक गुणों का शरीर पर सकारात्मक असर लाने के
लिए इसका सही प्रकार से सेवन करना बहुत ज़रूरी है।
इसे सलाद की तरह कच्चा खाया जा सकता है या फिर
हल्का सा उबाल कर। चाहें तो इसे पका सकते हैं। पर
बेहतर असर पाना चाहते हों तो पत्तागोभी को इसके
प्राकृतिक रूप में ही खाएँ, क्योंकि इसमें बहुत से
ऐसे तत्व होते हैं जो कि पकाने के बाद नष्ट हो
जाते हैं। कच्चा खाने से यह जल्दी हजम भी होती है।
पत्तागोभी का रस पेट में गैस कर सकता है जिसके
कारण बदहजमी हो सकती है। इसलिए सलाह दी जाती है कि
पत्तागोभी के रस में थोड़ी सी गाजर का रस मिला कर
पीना चाहिए। इससे पेट में गैस या अन्य समस्याएँ
नहीं होंगी। पका हुआ पत्तागोभी या पत्तागोभी की
सब्जी खाने से भी यदि तकलीफ हो तो इसमे थोड़ी हींग
मिला कर पकाएँ। बारिश के समय पत्तागोभी पर कीड़े
भी हो सकते हैं इसलिए पत्तागोभी को अच्छी प्रकार
से धोकर, साफ करके ही काम में लें।
सूप, सब्जी, सलाद या पास्ता, पुलाव, बर्गर, नूडल
किसी भी खाने में इसे डालें। इसकी परतों को खोलते
जाएँ, इसके गुणों को परखते जाएँ और सेहत के लिए
बेहतर पत्तागोभी को अपनाएँ। |