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सलाद में छुपा स्वास्थ्य
क्या आप जानते हैं?
  • अच्छी तरह से धुले और पानी सूखे हुए सलाद के पत्ते को फ्रिज में हवाबंद डिब्बे में करीब ५-६ दिन तक रख सकते हैं।
  • ऐसा अनुमान है कि प्रति अमरीकी व्यक्ति औसतन ११ पौंड सलाद के पत्ते का प्रति वर्ष सेवन कर लेता है।
  • सलाद की आइसबर्ग प्रजाति की तुलना में रोमन सलाद में विटामिन सी लगभग छः गुना तथा विटामिन ए आठ गुना आधिक होता है।
  • सलाद के पत्ते के बाहर की ज्यादा हरी पत्तियों में अंदर की पत्तियों की तुलना में अधिक पोषक होते हैं। इसलिए उन्हें ज़रूर खाना चाहिए।
  • सलाद के पत्ते वनस्पति में पाये जाने वाले हीमोग्लोबिन का बहुत अच्छा स्रोत हैं।
सलाद में डलने वाली सब्जियों में सलाद के पत्ते का नाम शायद सबसे पहले आता होगा। पत्तागोभी की तरह दिखने वाली इस सब्जी के कई सारे गुण हैं जिनसे हम लोग शायद अनभिज्ञ होंगे। सलाद के पत्ते की पैदावार करीब २५०० वर्षों से की जा रही है। खासकर रोम के लोग इसकी विभिन्न प्रकार की प्रजातियों को उगाते थे परंतु अब एशिया व यूरोप के लोग भी रुचि लेते हैं। सलाद के पत्ते की लगभग सौ से ज़्यादा किस्में उगाई जाती हैं। परंतु मुख्यतः चार प्रकार के - बटरहैड, क्रिस्पहैड, लीफ तथा रोमेन- सलाद के पत्ते होते हैं।

सलाद के पत्ते पाचन में सहायक होते हैं तथा यकृत ( लिवर) के लिये भी लाफदायक होते है। इसके सेवन से हृदय की बीमारियाँ तथा आघात की संभावना कम हो जाती है। कुछ शोधों में यह भी पता चला है कि यह कैंसर में भी फायदा करता है।

सलाद के पत्तों में कैल्सियम, फोस्फोरस, आयरन, केरोटीन, थियामीन, राईबोफ्लेविन, नियासीन तथा विटामिन सी जैसे कई विटामिन तथा मिनरल काफी अच्छी मात्रा में होते हैं। इसके अलावा प्रोटीन, वसा, फाईबर, कार्बोहाइड्रेट भी मौजूद होता है। कैलोरी की दृष्टि से यदि देखा जाए तो लगभग १०० ग्राम सलाद के पत्तों में २१ कैलोरी होती हैं। सलाद के पत्ते खरीदते समय ध्यान रखना चाहिए कि पत्ते ताज़ा, हरे रंगवाले तथा थोड़ा जानदार हों यानी नर्म और मुरझाए हुए न हों। गुच्छे की पत्तियाँ थोड़ी खुली या ढीली हों क्यों कि बंद पत्ते वाले सलाद के गुच्छे में सूरज की किरणें अंदर तक नहीं पहुँच पाती जिससे उसमें विटामिन की मात्रा कम रहती है। सलाद के पत्ते जितने अधिक हरे होंगे उसमें विटामिन की मात्रा उतनी ही ज्यादा होगी।

सलाद के पत्ते में रोगनाशक क्षमता होती है। दिमाग़, तंत्रिका तंत्र या नर्वस सिस्टम तथा फेफड़ों (लंग्स) के लिए सलाद के पत्ते बहुत अच्छे होते हैं। सलाद के पत्ते का रस ठंडा तथा ताज़गी भरा होता है। हरी पत्तियों वाले सलाद के पत्ते के रस में मैग्नीशियम की अच्छी मात्रा होने के कारण यह मांसपेशियों तथा दिमाग़ के लिये फायदेमंद माना जाता है। सलाद के पत्ते के रस को गुलाब के तेल के साथ मिला कर माथे पर मालिश करने से बेहतर नींद आती है तथा सिर दर्द में भी आराम मिलता है। इसमें सेल्यूलोज भी होता है जिससे यह पाचन को ठीक करता है तथा कब्ज की शिकायत को भी दूर कर सकता है।

इसका एक बहुत उम्दा गुण यह है इसमें लेक्टुकेरियम मौजूद होता है जो दिमाग़ को ताज़गी देने के साथ साथ नींद को बढ़ाता है। इससे उन लोगों को बहुत आराम मिलता है जिन्हें इन्सोम्निया या नींद न आने की बीमारी है। इसके बीज के रस को पीने से तनाव दूर होता है तथा बेहतर नींद आती है।

शरीर में लोहे की कमी को पूरा करने के लिये यह बहुत अच्छा पोषक है और ऐसा माना जाता है कि इसमें मौजूद आयरन या लौहतत्व, किसी अन्य अकार्बनिक लोहे की बजाय, शरीर में बहुत आसानी से ग्रहण हो जाता है। स्नायुतंत्र की कई बीमारियों में सलाद के पत्ते का रस एक चम्मच गूसबेरी रस के साथ यदि हर रोज़ पिया जाए तो बहुत फायदा करता है।

गर्भावस्था के दौरान भी सलाद के पत्ते खाना बहुत लाभदायक होता है। कम कैलोरी में इससे ज़्यादा ख़ुराक मिल जाती है। विशेष रूप से इसमें मौजूद फोलिक एसिड, जिसकी गर्भावस्था के समय तथा बाद में भी शरीर को आवश्यकता रहती है, अच्छी मात्रा में पाया जाता है। फोलिक एसिड मेगालोब्लास्टिक एनिमिया को रोकता है। तथा जिनमें बार बार गर्भपात की संभावना रहती है उन्हें भी कच्चे सलाद के पत्ते खाने की सलाह दी जाती है। कच्चे सलाद के पत्ते खाने से महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्टेरोन होरमोन के स्राव पर भी प्रभाव पड़ता है।

भोजन के तुरंत बाद सलाद के पत्ते चबाने से दाँतों की बहुत सी बीमारियों जैसे गिंगिविटिस, पायरिया, हेलीटोसिस, स्टोमेटिटिस आदि से निजात मिल सकती है। जिह्वा पर उपस्थित स्वादग्राही तंतुओं तथा इनेमल के क्षय में भी रूकावट पड़ती है। प्रतिदिन आधा लीटर सलाद के पत्ते तथा पालक के रस को पीने से बालों का झड़ना भी कम होता है।

सलाद के पत्ते को उपयोग में लेने से पहले हमेशा हर पत्ती को अच्छे तरह धोकर व पोंछकर काम में लेना चाहिए जिससे उसके ऊपर लगा पानी पूरी तरह निकल जाए। सलाद के पत्ते को काटने की बजाए हाथ से ही तोड़ कर काम में लेना चाहिए जिससे उसके किनारे भूरे होने से बच जाते हैं।

--अर्बुदा ओहरी

१३ अप्रैल २००९

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