प्याज विश्व की सबसे लोकप्रिय
सब्जियों में से एक है। बहुत से भोजनों में यह एक आवश्यक सामग्री में
होता है, इसीलिए सब्ज़ी उत्पादन के आँकड़ों में प्याज़, टमाटर
के बाद दूसरे स्थान पर है। रंगों के आधार पर प्याज़ के बहुत से प्रकार
बाज़ार में देखने को मिलते हैं जैसे लाल, सफ़ेद, पीला, हरा
आदि। हर एक प्रकार के प्याज़ का अपना अलग स्वाद, और अपनी अलग गंध होती
है। पीले तथा लाल प्याज़ में सफेद प्याज़ की तुलना में अधिक
एन्टीआक्सीडेंट तथा फ्लेवेनोइड होते हैं। प्याज़ खरीदते समय
ध्यान रखना चाहिए कि ज़्यादा तीखे तथा गहरे रंग के प्याज़ सेहत की
दृष्टि से ज़्यादा अच्छे होते हैं। प्याज़ सेहत के लिए बहुत
लाभदायक हैं परंतु अति अच्छी नहीं होती। अधिक मात्रा में
प्याज़ खाने से पेट खराब भी हो सकता है।
प्याज़ को बिना रोए छीलना चाहें
तो इसे बहते पानी में छीलें। गरम पानी में एक मिनट प्याज़ को
रखने पर भी बिना आँसू बहाए प्याज़ काटा जा सकता हैं।
प्याज़ की तीखी गंध सल्फर के कारण होती है, जब प्याज़ के
ऊतक
(टिश्यूज़) को काटा जाता है तब पानी में घुलनशील अमीनो एसिड की
एन्जाइम क्रिया के फलस्वरूप यह सल्फर बनता है। गरम करने पर
तथा फ्रीज़ करने पर एन्जाइम की यह क्रिया रुक जाती है इसलिए
प्याज़ का स्वाद और गंध भी बदल जाते है। पके हुए प्याज़ में नमी,
प्रोटीन, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट तथा मिनरल होते हैं। इसमें
पाए जाने वाले मिनरल तथा विटामिन में कैल्सियम, फोस्फोरस,
आयरन, कैरोटीन, थियामीन, राइबोफ्लेविन तथा नियासीन होता है।
प्रति सौ ग्राम प्याज़ में तकरीबन ५१ कैलोरी होती हैं।
प्याज़ औषधीय गुणों से भरपूर
होता है। दादी के नुस्खों में भी प्याज़ का ज़िक्र अक्सर होता
है। मिस्र में प्याज़ को बहुत-सी बीमारियों के इलाज में काम
में लिया जाता था। प्याज़ को भोजन के साथ खाना बहुत लाभदायक है पर कच्चा प्याज़ ज़्यादा फ़ायदा करता है। पके हुए
प्याज़ को पचाना थोड़ा मुश्किल होता है। बहुत-सी
बीमारियों के इलाज के लिए पूरे प्याज़ की बजाए प्याज़ के रस को
काम में लिया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि प्याज़
बलगम को पतला करता है और फिर से उसको बनने से रोकता है। खाँसी,
जुकाम, ब्रोंकाइटिस, इन्फ्लुएंज़ा जैसी बहुत-सी तकलीफों में
प्याज़ दवा के रूप में काम में आता है। शहद तथा प्याज़ के
रस को बराबर मात्रा में मिला कर दिन में तीन-चार छोटी चम्मच हर
रोज़ पीने से बहुत फ़ायदा होता है। कफ से होने वाली बीमारियों
से निजात पाने के लिए यह बहुत सुरक्षित, किफ़ायती तथा
फ़ायदेमंद तरीका है। प्याज़ में बैक्टीरियानाशक
गुण होते हैं। जिसे दाँतों में तकलीफ़ हो वे एक कच्चा प्याज़
प्रतिदिन चबाएँ, इससे बहुत आराम मिलेगा। ऐसा कहते हैं कि कच्चे
प्याज़ को तीन मिनिट तक चबाने से मुँह के अन्दर मौजूद जीवाणु
नष्ट हो जाते हैं।
चीनी लोग प्याज़ को हृदय रोग
से सम्बंधित बीमारियों के इलाज में उपयोग में लेते हैं। प्याज़
में बहुत से आवश्यक तेल तथा कैल्शियम, फोस्फोरस, आयरन,
विटामिन, एलिप्रोपाइल डाईसल्फाइड, कैटेकोल, फ्लेवेनोइड आदि
रसायन भी होते हैं। हृदय रोगियों के लिए यह बहुत लाभदायक होते
हैं। प्याज़ में लसहुन की तरह सल्फाइड भी प्रचुर मात्रा में
होते हैं। सल्फाइड रक्त लिपिड को कम करते हैं तथा रक्त चाप को
नियंत्रित भी करते हैं। भारत में कुछ जाति के लोग प्याज तथा
लसहुन का सेवन नहीं करते हैं। इन लोगों के रक्त में लिपिड का
स्तर ज़्यादा रहता है तथा रक्त में थक्का भी जल्दी बनता है।
प्याज़ प्राकृतिक एन्टीक्लोटिंग एजेंट यानि यह खून को गाढ़ा
होने से रोकता है।
प्याज़ पर हुए कुछ शोध बताते
हैं कि प्याज़ का सेवन करने वाले लोगों में पेट के केंसर का
खतरा आधा रह जाता है। चीनी लोग, जो सबसे ज़्यादा प्याज़ तथा
लसहुन का सेवन करते हैं, में पेट के केंसर का खतरा ४० प्रतिशत
कम होता है।
प्याज़ त्वचा की म्यूकस परत
में रक्त के स्राव को बढ़ाता है। कटे हुए प्याज़ को त्वचा पर
रगड़ने से मस्से भी ख़त्म हो जाते हैं। चोट तथा छालों से होने
वाली जलन में भुने हुए प्याज़ का लेप लगाने से बहुत आराम मिलता
है। इस लेप को लगाने से छाले जल्दी पक जाते हैं। प्याज़ का रस
को प्लम तथा गाजर के रस के मिला कर चेहरे पर लगाने से मुँहासे
ठीक होते हैं। चेहरे के जिस भाग की त्वचा तैलीय है वहाँ कटे
हुए प्याज़ का अंदरूनी भाग रगड़ने से आशाजनक परिणाम दिखते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)
भी बहुत सी बीमारियों जैसे भूख न लगना, सर्दी, जुकाम, दमा
आदि में प्याज़ के उपयोग को समर्थन देता है। प्याज़ वायुनली
में सूजन तथा दर्द को कम करता है। प्याज का रस दमे के
मरीजों में एलर्जी से होने वाली तकलीफ़ को कम करता है। प्याज़ कोलोन में होने वाले
ट्यूमर की वृद्धि को रोकता है। प्याज़ में अच्छी मात्रा में
ओलिगोसैकेराइड होते हैं जो कि कोलोन में नुकसान करने वाले
बैक्टीरिया की वृद्धि को कम करते हैं। |