जप माला के अनोखे तथ्य
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संकलित
जप
माला मंत्रों के उच्चारण की गिनती करने या गिनती याद
रखने का खास यंत्र है। जप माला अनुमन १०८ या २७
मोतियों की होती हैं क्योंकि मंत्र का जाप भी हम १०८
या २७ बार ही करते हैं। जप माला में १०८ या २७ मोती ही
क्यों होते हैं? इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। आइये
जानते हैं - वेदों के अनुसार १०८ अंक का विज्ञान और
अध्यात्म में बहुत अहम महत्व है। वैज्ञानकों के अनुसार
चंद्रमा पृथ्वी से अपने व्यास के १०८ गुना दूरी पे है।
वहीँ सूरज और पृथ्वी के बीच की दूरी भी सूर्य के व्यास
के १०८ गुना है। जप माला में उन १०८ मोतियों के अलावा
भी एक १०९वाँ मोती होता है जो की माला का केंद्र माना
जाता है। यह मोती बाकी सभी मोतियों से आकार में बड़ा
होता है। यह मनका, बीज या मोती माला के प्रारंभ और
समापन को दर्शाता है। इसे सुमिरनी कहते हैं क्योंकि यह
स्मरण कराता है कि एक माला पूरी हो गयी है।
आइये अब जानते हैं की जप माला कितने प्रकार की होती
हैं- जपमाला मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है-
रुद्राक्ष, तुलसी और चंदन। इसके अतिरिक्त रत्न,
स्फटिक, कमल के बीज, वैजन्ती के बीज, और अलग अलग
प्रकार की लकड़ियों की मालाएँ भी पूजा में प्रयोग की
जाती हैं।
रुद्राक्ष जप माला
रुद्राक्ष माला भगवान शिव के मंत्रों में उपयोग की
जाती है। रुद्राक्ष माला के लाभ भी अनेक हैं।
रुद्राक्ष माला के मोती अलग अलग प्रकार के होते हैं।
इनको हम मुख से पहचानते हैं। यह १ से लेकर ३८ मुख के
होते हैं। जब इन मोतियों का सही तरीके से उपयोग किया
जाता है तो यह व्यक्ति के मस्तिष्क और आपके आस-पास की
ऊर्जा को स्वास्थ्य, आनंद, आध्यात्मिक उत्थान,
समृद्धि, रचनात्मकता, सहज क्षमता, इच्छा पूर्ति,
सद्भाव, आकर्षण और आत्म-सशक्तिकरण में विशिष्ट
परिणामों के लिए संरेखित कर सकते हैं। मनोकामना की
पूर्ति के लिये २७ रुद्राक्षों की माला और मोक्ष
प्राप्ति के लिये १०८ रुद्राक्षों की माला जपने की
सलाह दी जाती है।
तुलसी जप माला
तुलसी माला का संबंध भगवान विष्णु के सभी अवतारों के
साथ है, और विशेष रूप से श्री कृष्ण के लिए। इसे आमतौर
पर श्री कृष्ण के मंत्र हरे कृष्ण हरे रामा का जाप
करने के लिए उपयोग में लिया जाता है। यही कारण है की
इसे सबसे शुभ माना जाता है। इस माला को लेकर महा मंत्र
का जाप करने से आत्मा शुद्ध होती है, मन को शान्ति
मिलती है और हम बुरी नज़र से बचते हैं।
चंदन माला
जैसा की नाम से पता चल रहा है, यह माला जिन मोतियों की
बनी हैं वे शुद्ध चंदन की लकड़ियों से बने हैं। चंदन की
लकड़ियाँ, चंदन के वृक्ष से प्राप्त होती हैं और पूजा
तथा अन्य आध्यात्मिक उपचारों जैसे हवन आदि में प्रयोग
की जाती है। जप में इसका उपयोग करने से एकाग्रता में
सुधार होता है। माना गया है कि चंदन शरीर में शीतलता
प्रदान करता है इसलिये चंदन की माला पर जाप करते समय
और बाद में मन को शांति मिलती है।
रत्नों की मालाएँ
रत्न मालाओं पर सामान्य रूप से जप नहीं किये जाते।
इन्हें ग्रहों के दोष के निवारण के लिए घर में रखा
जाता है या इनकी पूजा की जाती है। कभी कभी इन मालाओं
को धारण करने की सलाह भी दी जाती है। सूरज के लिये
माणिक, चंद्रमा के लिये मोती, मंगल के लिये मूँगा, बुध
के लिये पन्ना या जेड, गुरु के लिये पुखराज, सुनैला या
हकीक, शुक्र के लिये हीरा या ओपल, शनि के लिये नीलम,
नील मणि या लाजावर्त, राहू के लिये गोमेद और केतु के
लिये लहसुनिया की माला पहनने का परामर्श दिया जाता है।
लकड़ी की मालाएँ
रत्नों के अत्यधिक मूल्यवान होने के कारण बहुत से लोग
उनकी मालाएँ न तो जप सकते हैं और न ही गले में पहन
सकते हैं। इसलिये अलग अलग प्रकार की लकड़ियों से
ग्रहों की शांति के उपाय भी बताए गए हैं। सूर्य ग्रह
और देवता का जप करने के लिए बिल की लकड़ी की माला का
उपयोग शुभ माना गया है। मंगल ग्रह की शांति के लिए लाल
चंदन की माला से जाप करने की सलाह दी जाती है वहीं बुध
ग्रह के लिए तुलसी की माला से जाप करने का परामर्श
दिया जाता है। बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के लिए
हल्दी, शुक्र के लिये सफेद चंदन और शनि के लिये नीम की
लकड़ी या वैजन्ती के बीजों की माला का उपयोग शुभ माना
गया है। राहू केतु की शांति के लिये तुलसी की माला
पहनने या जपने की सलाह दी जाती है।
स्फटिक की माला
स्फटिक माला एक तरह से क्रिस्टल की तरह ही होती है
परंतु इनका कोई रंग नहीं होता है। जब आप इस माला का
उपयोग करके मंत्रों का जाप करते हैं तो यह आसपास की
नकारात्मक ऊर्जा को सोख लेता है जिससे
मन और मस्तिष्क शांत होता है। यह माला मुख्य रूप से
माँ लक्ष्मी और सरस्वती के मंत्रों का जाप करने के लिए
सर्वोत्तम मानी गयी है। इसे धारण करने से अच्छी नींद
आती है।
कमल के बीज की माला
इसका उपयोग देवी लक्ष्मी और सरस्वती के मंत्रों के जाप
के लिए किया जाता है। कमल के बीज मस्तिष्क को ऊर्जावान
बनाने वाले माने जाते हैं। इसलिये कमल के बीजों से
निर्मित माला से जब कोई व्यक्ति जप करता है, तो उसे
विकास, ज्ञान और धन के अच्छे स्तर का लाभ मिलता है।
देवी देवताओं के लिये माला
भारतीय संस्कृति में पूजा-पाठ का बहुत अधिक महत्व है
और पूजा-पाठ में मंत्र जाप का। अलग-अलग देवी देवताओं
के लिये अनेक प्रकार के मंत्रों का जाप किया जाता है
जिसके लिये विभिन्न प्रकार की मालाओं का प्रयोग किया
जाता है। रुद्राक्ष की माला का प्रयोग विशेष रूप से
भगवान शिव के मंत्रों का जाप करने के लिये किया जाता
है। मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करने के लिए काली
हल्दी या नील कमल की माला का प्रयोग करना है। बगलामुखी
और गणेश की साधना के लिये पीली हल्दी या पुतजीवा (एक
औषधीय पौधा- पुत्रजीवा) की माला के प्रयोग का उल्लेख
मिलता है।
अस्थि माला
हालाँकि यह डरावना मालूम होता है, लेकिन अस्थि माला
सचमुच की हड्डियों से बनी होती है। नेपाल और तिब्बत
में अस्थि माला का आभूषणों और पूजा में व्यापक रूप से
उपयोग किया जाता है और इसे याक, भैंस और बैलों की
हड्डियों से बनाया जाता है। इन क्षेत्रों के लोगों की
आजीविका बहुत हद तक पशुधन पर निर्भर है। अस्थि माला
उनकी परंपरा और जीवन शैली को बरकरार रखती है और उन्हें
उनकी जड़ों की याद दिलाती है। साथ ही, अस्थि माला जीवन
की नश्वरता का प्रतीक हैं। जीवन चलता रहता है चाहे कुछ
भी हो, और इस क्षण को ध्यान और करुणा के साथ जीना
आवश्यक है। अघोरी या तांत्रिक साधुओं द्वारा साँप की
हड्डियों की माला जपने के उल्लेख मिलते हैं। इसके
अतिरिक्त गणेश को प्रसन्न करने के लिये हाथी दाँत की
माला का उपयोग होता है।
२८ अप्रैल २००८
१
दिसंबर २०२२ |