सादे कपड़ों में पुलिस इधर-उधर घूम रही है जनता सभ्य
और शालीन लग रही है सबके अंदर सद्भाव और भविष्य के
लिए शुभ कामनाएँ हैं इस अवसर पर सूरीनाम के
राष्ट्रपति वेनेत्शियान और प्रथम महिला लिज़बेथ
वेनेत्शियान वानेबर्ग तथा उप राष्ट्रपति श्री रतन
कुमार अजोधिया के अलावा सपत्नीक श्री दिग्विजय सिंह
तथा भारतीय संसद सर्वश्री वेदगोपाल रेड्डी आदि ने भी
'माई-बाप' की मूर्ति को माल्यार्पण किया उत्सव
में बालकवि बैरागी, सरला माहेश्वरी, बी
वेंकटेश्वरल्लु, नवल किशोर राय, लेखक हिमांशु जोशी,
कमलेश्वर जी, अशोक चक्रधर, विजय मलहोत्रा, सुनील जोगी
आदि भी इधर उधर
घूम कर उत्सव का आनंद ले रहे हैं।
भीड़ कटती है लोग आगे आगे बढ़ते हैं सूरीनाम सरकार के
सहयोग से भूतपूर्व पंचघर नाथ लछमन के मुख्य पथ के आगे
हिन्दी पथ का उद्घाटन होता है
अब सूरीनाम की विदेश मंत्री मारिया लेवेन्स, शिक्षा
मंत्री श्री वाल्टर सांद्रिमन, श्री दिग्विजय सिंह आदि
सूरीनाम हिन्दी परिषद के नए भवन का उद्घाटन शानदार ढंग
से कर रहे हैं उद्घाटन को यादगार बनाने के लिए परिषद परिसर में नीम
का पेड़ लगाया जा रहा है यह वर्ष 'सूरीनाम हिन्दी
परिषद' के रजत जयंती का वर्ष है।
भारत से आए प्रतिनिधियों ने तीस और बत्तीस घंटों की
यात्रा की है यद्यपि सबके चेहरे पर मदिर मदिर मुस्कान
है परंतु अंदर से सब थके हुए हैं।
औपचारिक रूप से 'सातवें विश्व हिन्दी सम्मेलन' का
उद्घाटन राष्ट्रपति श्री वेनेत्शियान के साथ भारत के
विदेश राज्य मंत्री श्री दिग्विजय सिंह के नैतृत्व में
आए भारतीय शिष्टमंडल, अनेक सांसद, राजनायिक तथा ५०० से
अधिक विश्व भर से पधारे हिन्दी सेवियों के साथ
कांग्रेस हॉल में हो रहा है हॉल खचा-खच भरा हुआ है
बार-बार बजती
तालियों की ध्वनि हर्ष और स्वागत सूचक है भारत के
प्रसिद्ध रेडियो उद्घोषक श्री जसवीर सिंह जी अपने सधी
हुई मधुर वाणी में कार्यक्रम का संचालन करते हैं।
उद्घाटन समारोह में मंच पर पोलैण्ड के प्रो.ब्रिस्की,
सूरीनाम संसद के अध्यक्ष श्री रामदीन सरजू, सम्मेलन के
संयोजक जानकी प्रसाद सिंह, सोहाक के अध्यक्ष अम्ब
कृष्ण नन्दू एवं भारत के राजदूत की उपस्थिति है सूरीनाम के राष्ट्रगान, दीप प्रज्वलन एवं भारतीय
संस्कृत परिषद के छात्रों द्वारा मां सरस्वती की वंदना
के साथ कार्यक्रम का प्रारम्भ हो रहा है विडियो से
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के संदेश का
प्रस्तुतिकरण बड़े पर्दे पर किया जा रहा है।
उद्घाटन समारोह
अन्य देशों के शीर्षस्थ नेताओं के संदेश पढ़े जा रहे
हैं सूरीनाम की सरकार ने डाक टिकट जारी किए हैं उद्बोधन में दोनों देशों के प्रगाढ़ संबंधों और भाषाई
सौहार्द्र के पुराने रिश्तों का उल्लेख बार-बार किया
जा रहा है भारत के राजमंत्री अपने भाषण में कहते हैं
२१ वीं शताब्दी में हिन्दी के समक्ष एक ओर जहाँ अनेक
चुनौतियाँ हैं, वहीं इसके लिए अवसर भी बहुत है उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी का रिश्ता हिन्दी से
जोड़ना अत्यंत आवश्यक है हिन्दी को हम संयुक्त
राष्ट्रसंघ की
सातवीं भाषा बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं मॉरिशस में
विश्व हिन्दी सचिवालय की स्थापना हो ही चुकी है।
पोलैण्ड से आए प्रो.ब्रिस्की का मर्मस्पर्शी उद्बोधन
लोगों के मन को छू रहा है, वे कह रहे हैं, हम जो हैं
भाषा के कारण है भाषा की भूमिका हमारे जीवन में
बुनियादी है विदेशों में हम हिन्दी का व्यवहार मित्र
भाषा के रूप में करते हैं उनके अनुसार हिन्दी भाषा का
प्रयोग दो प्रकार के लोग करते हैं - हिन्दी मातृ भाषी
और हिन्दी मित्र भाषा भाषी श़्रोता करतल ध्वनि से
प्रसन्नता ज़ाहिर कर रहे हैं।
भीड़ फिर कटती है ऊपर हॉल में सूरीनाम के राष्ट्रपति
वेनेत्शियान, श्री दिग्विजय सिंह और उनके नेतृत्व में
आया शिष्टमंडल तथा भारतीय संसद सर्वश्री वेदगोपाल
रेड्डी के साथ कनवेन्शन हाल में 'विश्व हिन्दी पुस्तक
मेला - हमारी धरोहर : हिन्दी हमारी भाषा'
पा्रैद्योगिकी का उद्घाटन करते हैं भूतपूर्व निदेशक,
राज भाषा रेलवे बोर्ड - माइक्रोसॉफ्ट भाषा कन्सल्टेन्ट
श्री विजय कुमार मलहोत्रा जी कम्प्यूटर सेशन और पुस्तक
प्रदर्शनी के बारे में सूरीनाम के राष्ट्रपति
वेनेत्शियान और जनता को विस्तारपूर्वक बताते हैं राष्ट्रपति वेनेत्शियान प्रसन्नतापूर्वक सिर हिलाते
हुए कहते हैं,
'सूरीनाम में भाषा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बहुत
काम है, आशा है भविष्य में हमें आप लोगों का सहयोग और
मार्गदर्शन मिलता रहेगा।' विजय जी मुस्करा कर उनके
विचारों का स्वागत करते हैं नीचे हॉल में कोई अन्य
कार्यक्रम चल रहा है होटल तोरारिका के एनेक्सी में
कॉन्फ्रेन्स की तैयारी हो रही है भीड़ फिर कटती है लोग
बिखरने लगते हैं।
सारे दिन कोई-न-कोई कार्यक्रम चल रहा है लोग
अपनी-अपनी पसंद के कार्यक्रम में रूचि ले रहे हैं कुछ
सैलानी तबियत के लोग हैं सूरीनाम के अन्य पर्यटन के
स्थलों का आनंद लेना चाहते हैं वे चुपचाप कैमरा कंधे
पर लटकाए हॉल में से खिसक लेते हैं।
अशोक चक्रधर होटल तोरारिका के एनेक्सी के एक कमरे में
४ जून से प्रतिदिन 'न्यूज़-बुलेटिन' निकालने के लिए
प्रेस ऑफिस बना चुके हैं अशोक जी और उनके सहयोगियों
को रिपोर्ट तैयार करने और व्यवस्थित होने कुछ आरंभिक
कठिनाइयाँ आ रही हैं कभी फोटो कॉपियर की परेशानी है
तो कभी कम्प्यूटर की तो कभी समय से रिपोर्ट नहीं आ पा
रही है डिजीटल कैमरा का प्रयोग हो रहा है देखते-देखते
धीरे-धीरे सब कुछ व्यवस्थित होने लगता है।
चार डेस्क टॉप कम्प्यूटर, प्रिंटर के साथ कमरे में लग
गए हैं, सभी कम्प्यूटर पर एक साथ काम हो रहा है अशोक
चक्रधर, राजमनी, घनश्याम, अनिल शर्मा कम्प्यूटर पर
बैठे रात-रात भर न्यूज तैयार कर रहे हैं (४ जून से) रिपोर्टर पद्मेश गुप्त और अनिल शर्मा न्यूज़ रूम से
निकल कर मुस्तैदी से फोटो ले रहे हैं और 'रयूटर' की
तरह प्रतिपल का रिपोर्ट न्यूज रूम को भेजते जा रहे
हैं के.बी.एल.सक्सेना जी न्यूज़ रूम का प्रबँधन अपने
हाथ में ले लेते हैं तो सबके खाने-पीने का प्रबँध,
फोटो कॉपी करना, न्यूज़ पेपर को बाइंड करना, डिस्पैच
करना आदि कार्य व्यवस्थित रूप से कुछ स्थानीय लड़कों के साथ
होने लगता है।
कभी-कभी मैं भी न्यूज़ रूम का चक्कर लगा लेती हूँ,
देखती हूँ रात के २.३० बजे हैं, अशोक चक्रधर, अनिल
शर्मा, सक्सेना जी और राजमनी अभी भी न्यूज़ तैयार करने
में लगे हुए हैं अशोक जी चार दिन से सोए नहीं हैं मेरे मन में उनके लिए प्यार और आदर दोनों ही भाव
उमड़ते हैं मैं उनके लिए खाने का कुछ सामान लाती हूँ अशोक जी मेरा मन रखने के लिए एक टुकड़ा उठा कर मुँह
में रख लेते हैं, पर साथ में यह भी कहते हैं,
"उषा जी यदि मैंने भोजन कर लिया तो नींद आने लगेगी,
अभी काम बहुत है।"
काश! मैं उनका हाथ बटा सकती अशोक जी मेरे मन की बात
समझ जाते हैं और कहते हैं आप ज़रा सक्सेना जी का हाथ
बटा दीजिए, इस समय कोई और न्यूज़ पेपर को स्टेपल करने
वाला नहीं हैं और मैं थोड़ी देर सक्सेना जी का हाथ
बटाती हूँ तभी कुछ बालक आ जाते हैं और मेरी छुट्टी हो
जाती है।
होटल के आरामदेह बिस्तर पर मुझे नींद नहीं आती है,
सोचती हूँ यह जो ये लोग इतनी मेहनत कर रहे हैं उसको
कोई मान्यता मिलेगी क्या? फिर सोचती हूँ
'करमण्येवाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन:' ऩ्यूज़ पेपर
बदस्तूर निकल रहा है, न्यूज़ रूम में संतोष की लहर
उठती हैं मंत्री जी का शिष्टमंडल समाचार पत्र से
अत्यंत प्रभावित लगता है मंत्री जी स्वयं एक रात आ कर
लोगों को दिन-रात एक करते देख जाते हैं।
होटल तोरारिका के कॉन्फ्रेंस हॉल में दो सत्र
बराबर-बराबर समांतर कक्ष में चल रहे हैं कक्ष नं.१
में 'विश्व हिन्दी : चुनौतियाँ और समाधान' पर
देश-विदेश के विद्वान चर्चा कर रहे हैं सत्र के बीज
व्याख्यान में रूसी विद्वान वारान्निकोव रूस में
हिन्दी फिल्मों की लोकप्रियता के बाबत बता रहे हैं तो
मॉरिशस के राजनारायण अपने देश में क्रियोल की
लोकप्रियता के कारण चिंता प्रगट कर रहे हैं यू.के.हिन्दी समिति के अध्यक्ष पद्मेश गुप्त बड़ी आशा
से कह रहे हैं विश्व हिन्दी सम्मेलन में पारित
प्रस्तावों को कार्यान्वन के लिए एक स्थाई समिति के
गठन की आवश्यकता है साथ ही वह यू.के.हिन्दी समिति
द्वारा किए जा रहे महत्त्वपूर्ण कार्यों को भी रेखांकित
कर रहे हैं सत्र में पोलैण्ड से आई दानंता स्ताशिक,
हंगरी की मारिया नेज्येशी, उजबेकिस्तान के प्रो.आज़ाद
और सांसद नवल किशोर जी ने अपने-अपने विचार प्रभाव
पूर्ण ढंग से प्रगट कर रहे हैं।
समानांतर सत्र में 'हिन्दी बोलियों और सृजनात्मक' लेखन
पर विस्तृत चर्चा हो रही है नेदरलैण्ड से पधारे मोहन
कांत गौतम अपने बीज व्याख्यान में कह रहे हैं हिन्दी
और उसकी अन्य बोलियों में कोई तनाव नहीं होना चाहिए फिज़ी के प्रो.सुब्रमणियम कह रहे हैं फिज़ी में
राजनीतिक समस्याओं के कारण लोग हिन्दी भाषा पर ध्यान
नहीं दे पा रहे हैं सत्र में भारत की श्रीमती मृदुला
सिन्हा, उषा किरण, श्री मधुकर उपाध्याय, भगवत रावत
नेदरलैण्ड के डा.नारायण मथुरा श्याम नारायण
आदि जोरदार शब्दों में अपने-अपने विचार प्रगट कर रहे
हैं।
तीसरे सत्र में 'हिन्दी पत्रकारिता : नई शताब्दी की
चुनौतियाँ' पर विस्तृत चर्चा चल रही है अनेक वरिष्ठ
पत्रकार उत्तेजना के साथ भाग ले रहे हैं व्याख्यान चल
रहा है डा.महीप सिंह चुनौतियों का संदर्भ लेते हुए कह
रहे हैं लोकप्रिय पत्रिका का विकास हुआ है किन्तु
साहित्यिक व वैचारिक पत्रकारिता नष्ट हो रही है वह कह
रहे हैं जब मॉरिशस और सूरीनाम जैसे हिन्दी बहुल देशों
में हिन्दी का कोई अखबार नहीं निकल रहा है तो विश्व
स्तर पर हिन्दी पत्रकारिता कैसे विकसित होगी डा.वेद
प्रकाश वैदिक बीजव्याख्यान में कहते हैं हमें अंग्रेजी
की निर्धारित भूमिका को तोड़ना होगा तो पाचजन्य के
संपादक कहते हैं हिन्दी के नाम पर करोड़ो रुपए कमाने
वाले अखबारों के कोई संवाददाता पड़ोसी देशों में नहीं
भेजे जाते हैं हिन्दी अखबार अंग्रेजी अखबारों के
शीर्षकों का धड़ल्ले से प्रयोग करते हैं पत्रकार श्री
ओम थनवी, मॉरिशस के वीरसेन जागासिंह, मध्य प्रदेश के
रामशरण जोशी, सूर्यकांत बाली, श्री शंभुनाथ सिंह, श्री
मनोहर पुरी आदि अपने-अपने विचार उत्तेजक और
प्रेरणादायक शब्दों में अभिव्यक्त कर रहे हैं लोग
तरूण विजय द्वारा वितरित विस्फोटक लेख पर आपत्ति प्रगट
कर रहे हैं सत्र के अध्यक्ष श्री प्रभाष जोशी, पूंजी
प्रेरित भूमंडलिकरण के बजाए श्रम के भूमंडलिकरण के
प्रयास पर ज़ोर दे रहे हैं और कह रहे हैं संचार तथा
प्रौद्योगिकी के विस्फोट के युग में हिन्दी की भूमिका
पर विशेष विचार करना आवश्यक है।
कल की तरह आज फिर विभिन्न कक्षों में सत्र चल रहे हैं
एक सत्र चुन कर मैं वहाँ थोड़ी देर बैठती हूँ पर मन
कुछ और जानने सुनने को कर रहा है अत: मैं एक सत्र से
दूसरे सत्र में चुपचाप जा कर बैठ जाती हूँ कुछ नोट्स
लेती हूँ फिर सोचती हूँ आज सत्रों में न बैठ कर कुछ
लोगों से बात चीत की जाए अथवा पत्रकारों और मिडिया
द्वारा चल रहे इंटरव्यू का ही ज़ायज़ा लिया जाए मीडिया
सेन्टर में आयोजित पत्रकार सम्मेलन में विदेश मंत्रालय
के सचिव जे.सी.शर्मा एक उत्तेजक प्रश्न के उत्तर में
कह रहे हैं, सातवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन, भारत और
सूरीनाम संबंधों में एक नए अध्याय का आरंभ है सूरीनाम
में रहनेवाले ९० प्रतिशत लोग हिन्दी का प्रयोग करते
हैं इसलिए सम्मेलन के आधारभूत संरचना में कमियाँ होते
हुए भी यहाँ के लोगों के हिन्दी और संस्कृति के प्रति
लगाव को देखते हुए ही हमने यहाँ सम्मेलन आयोजित करने
का निर्णय लिया है वे कह रहे हैं यहाँ के दूतावास में
मात्र ५ अधिकारी हैं फिर भी इस आयोजन में कुछ ऐसी
उपलब्धियाँ हुई हैं जो उल्लेखनीय हैं इसी बीच 'भारतीय
संस्कृत संबंध परिषद' की महानिदेशक सूर्यकांति
त्रिपाठी जी दिख जाती हैं, उनकी उपस्थिति अत्यंत
महत्त्वपूर्ण हैं सांस्कृतिक कार्यक्रम गीत-संगीत,
नाटक, नृत्य, सभी कलात्मक आयोजनों के पीछे उनके चयन और
उनकी सूझ-बूझ की दिशा-निदेश है सूर्यकांति त्रिपाठी
जी अत्यंत सहज-सरल किन्तु प्रभावशाली गरीमामयी सौम्य
महिला हैं जो स्वयं नहीं बोलती, उनकी उपस्थिति बोलती
है बात-चीत के दौरान सूर्यकांति त्रिपाठी जी अत्यंत
सधे हुए शब्दों में कहती हैं, सम्मेलन भारत-सूरीनाम के
बढ़ते हुए सांस्कृतिक और भाषाई संबंधों का प्रतीक
है।
मीडिया हाल से बाहर निकलती हूँ तो पुष्पिता जी व्यस्त
सी कुछ लोगों को कुछ समझाती-कहती हुई तेज़ी से निकल
जाती है पुष्पिताजी सातवें विश्व हिन्दी सम्मेलन की
सूरीनामी संयोजक है उनके ही घर आदरणीय विद्यानिवास
मिश्र जी और प्रभात जी ठहते हुए हैं सोचती हूँ
पुष्पिता जी कैसे इतने सारे काम एक साथ कर लेती है मेहमान नवाज़ी, सम्मेलन का संयोजन और उत्कृष्ट लेखन
उनकी तीन पुस्तकें सूरीनाम की कथा कहती हैं जो सम्मेलन
की सूरीनाम स्मारिका हैं।
उन्हीं के
पीछे-पीछे मैं भी हाल में पहुँचती हूँ हॉल के लंबे
रिसेप्शन टेबल पर कार्यक्रम के सूचनापत्र, भारतीय
'सांस्कृतिक सम्बंध परिषद द्वारा प्रकाशित स्मारिकाओं
की प्रतियाँ, गगनांचल के दो भाग, पुष्पिता जी द्वारा
संकलित पुस्तकें तथा बहुत सी पत्र-पत्रिकाएँ जो इस
अवसर के लिए विशेषकर प्रकाशित की गई है, रखी है फिजी
के भारतीय उच्चायोग से सहायता के लिए आई मोहिनी
हिंगोरानी जी अपने सहयोगियों के साथ यहाँ का कार्यभार
पिछले चार रोज़ से संभाल रही हैं उनके जिम्मे बहुत
सारे काम है वही रिसेप्शनिस्ट हैं वही लोगों का
रजिस्ट्रेशन कर रही हैं, वही लोगों को स्वागत बैग आदि
भी दे रही हैं लोग उनसे उलझ पड़ते हैं वह थक भी जाती
है तो भी
मुस्कराते हुए लोगों को स्मारिका की प्रतियाँ पकड़ा
देती हैं।
गत मेज़ के सामने 'प्रभात प्रकाशन' के प्रभात जी
अपने पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाते हैं पुस्तकें
प्रदर्शन और बिकने के लिए आई हैं प्रभात जी थोड़ी देर
के लिए लघु-शंका निवारण के लिए प्रसाधन कक्ष में जाते
हैं, लौटने पर पाते हैं, वहाँ से सभी पुस्तकें जा चुकी
हैं वह अचंभित खड़े रह जाते हैं बाद में पता चला
सम्मेलन में आए हुए लोगों ने उन पुस्तकों को स्मारिका
और नि:शुल्क समझ अपनी थैलियाँ भर ली!! मैंने प्रभात जी
से जब इस हादसे के लिए दु:ख प्रगट किया तो उन्होंने
मुस्कराते हुए कहा, "नहीं, कोई बात नहीं, पुस्तकें थीं
अच्छा है जो लोग ले गए हैं वे पढ़ेंगे, तो हिन्दी का
प्रचार होगा।"
प्रभात जी के अच्छे-सुंदर संस्कारों और प्रसन्न-स्वभाव
को मैंने मन-ही-मन नमन किया
दिन में एक ही साथ भिन्न-भिन्न कमरों में सत्र चल रहे
हैं आज मुझे भी अपना पर्चा पढ़ना है विषय हैं
'भारतवंशी बहुल देशों में हिन्दी की स्थिति' मंच पर
उत्तरप्रदेश विधान सभा अध्यक्ष श्री केसरीनाथ
त्रिपाठी, आदरणीय विद्यानिवास मिश्र जी, कमल किशोर
गोयंका जी आदि बैठे हुए हैं, मैं मंच पर आलेख पढ़ने
आती हूँ, गोयंका जी कहते हैं आपके पास दो मिनट का समय
हैं, मैं इसरार करती हूँ मुझे पाँच मिनट चाहिए ग़ोयंका
जी के साथ अध्यक्ष जी भी मुस्करा कर हामी भर देते हैं,
श्रोता ताली बज़ा कर मेरा उत्साह बढ़ाते हैं मुझे अपनी
चिंता जोरदार शब्दों में श्रोताओं और हिन्दी के
समर्थकों तक पहुँचानी हैं मातृभाषा को लेकर मेरी बहुत
सी चिंताएँ हैं किन्तु देवनागरी यानी लिखित हिन्दी के
प्रति मेरी चिंता बहुत गहरी है देवनागरी धीरे-धीरे घर
की देहरी से उठती जा रही है यदि भाषा संकलित नहीं
होती, लिखी नहीं जाती है तो उसका दस्तावेज़ कैसे
रहेगा? विश्वजाल (इंटरनेट) बात-खिड़की (इंटरनेट-चैट)
पर हिन्दी रोमन में लिखी जाती है भारत के बड़े शहरों
में विदेशों में पत्र-व्यवहार, बही खातों में,
पढ़ने-लिखने, सब में अंग्रेजी का प्रयोग दिनों-दिन
बढ़ता जा रहा है
यदि हम सतर्क नहीं हुए तो हिन्दी भविष्य में संस्कृत
की तरह पुस्तकालयों की ही शोभा बढ़ाएगी लोग मेरी चिंता
से सहमत है मुझे अनुभूति होती है।
शाम को भी लगातार कोई-न-कोई उच्चकोटि का सांस्कृतिक
कार्यक्रम चल रहा है आई.सी.सी.आर. अपने उत्कृष्ट
चुनिंदा कलाकारों और कार्यक्रम को ले कर आई है वस्तुत:
आई.सी.सी.आर. की चयन समिति बधाई की पात्र हैं।
उत्साही लोग सभी जगह पहुँचने का प्रयास करते हैं कई
कार्यक्रम छूट जाते हैं लोग आपस में परिचर्चा कर के
उसके बारे में जान लेते हैं नृत्य-नाटिका, नाटक,
शास्त्रीय संगीत, गज़ल, कवि-सम्मेलन आदि का उत्कृष्ट
मंचन हो रहा है सूरीनामी जनता बड़ी संख्या में
प्रतिदिन के कार्यक्रम देखने आती हैं हर रोज़ दर्शकों
की संख्या बढ़ रही है कबीर का मंचन अत्यंत सजीव
और लोकप्रिय रहा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन दिन
में कई-कई बार स्थानीय टेलीविजन पर दिखाया और रेडियो
पर सुनाया जा रहा है सम्मेलन की सफलता इन्हीं बातों से
आँकी जा सकती है।
अंतिम शाम विश्व मंच पर कवि-सम्मेलन आयोजित किया जा
रहा है कवि-सम्मेलन के लिए कवियों के नाम का चयन-भार
युवा गजेन्द्र सोलंकी को दिया गया है गजेन्द्र जी
लिस्ट बना रहे हैं कुछ फेर बदल होता है नन्दन जी को
संचालन सौंपा जाता है, नंदन जी अपना भार सोम ठाकुर को
दे देते हैं सोम ठाकुर जी संचालन करते हैं लगता है कवि
सम्मेलन रात भर चलेगा तकरीबन ३० कवि मंच पर बैठे हैं
सोम जी ने कवियों पर समय का बँधन लगा दिया था हॉल सुधी
श्रोताओं से
खचाखच भरा हुआ है।
मंच से विभिन्न रस की कविता पढ़ी जाती है गजेन्द्र
सोलंकी वीररस की रचनाएँ सुनाते हैं तो कंुवर बेचैन जी
श्रृंगार रस की सुनाते हैं, तो राजस्थान से आए मयूर जी
अत्यंत दार्शनीक कविता सुर में सुनाते हें मृदुला
सिन्हा भोजपुरी का गीत सुनाती हैं मध्यप्रदेश से आई
कवियित्री स्त्री-विमर्श की कविता सुनाती हैं मैं
अपनी एक छोटी सी गज़ल सुना कर मंच से उतर आती हूँ और
आराम से बैठ कर अन्य कवियों के गीतों गज़लों का
रसस्वादन करती हूँ साथ ही श्रोताओं को ताली बज़ाने और
वाह! वाह! करने के लिए उकसाती हूँ जनता कविता बड़े
प्रेम से सुन रही है किंतु सुर-संगम और शब्दों की
जादुगरी में ऐसी खो जाती है कि दाद देना, ताली बजाना
भूल जाती है।
विश्व हिन्दी सम्मेलन की अंतिम
सुबह की चहल-पहल ज़रा दूसरे तरह की है प्रसन्नता के साथ कुछ
अवसाद भी मन के अंदर उथल-पुथल कर रहा है कमरों के अंदर सूटकेस
में कपड़े रखे जा रहे हैं, जाने की तैयारी के साथ कुछ छुटते
जाने का अहसास भी हो रहा
है।
आज संसार के
श्रेष्ठ हिन्दी साहित्यकारों और विद्वानों को सम्मानित करने का
पर्व है चित्रा मुद्गल, कमलकिशोर गोयंका, सूर्यकांति त्रिपाठी
आदि कार्यकर्ता और अन्य संयोजक अत्यंत व्यस्त हैं सम्मान-पत्र, स्मारिका, स्मृति-चिन्ह, दुशाला आदि सब सबकुछ
अच्छी तरह मंच के पास आयोजित होना चाहिए कहीं कुछ त्रुटि न रह
जाए सब कुछ सहजता सरलता और स्वाभाविक रूप से सम्पन्न होना
चाहिए भारत के १० वरिष्ठ साहित्यकार सम्मानित हो रहे हैं विदेशों से १५ हिन्दी के समर्थक, शिक्षक, साहित्यकार, विद्वान
और पत्रकार आदि सम्मानित हो रहे हैं लंदन से बी.बी.सी हिन्दी
सेवा की अध्यक्षा सुश्री अचला जी को श्रेष्ठ पत्रकारिता के लिए
सम्मानित किया जा रहा है यू.के.से आए सभी लोग हर्षित हैं हम
सबने अपने-अपने कैमरे तैयार कर रखे हैं।
सम्मान
कार्यक्रम आरम्भ हो रहा है, एक के बाद एक श्रेष्ठ विद्वान मंच
पर आ रहे हैं भारत के विदेश राज मंत्री श्री दिग्विजय सिंह जी
तथा सूरीनाम के उपराष्ट्रपति उन्हें सम्मानित कर रहे हैं विद्वानों के सम्मान में सम्मान-पत्र पढ़े जा रहे हैं उन्हें
शाल ओढ़ा कर स्मारिका दी जा रही है भाषण, बधाई और विदाई तीनों
का ही समा बँध रहा है।
समारोह का समापन हुआ इन पाँच
अद्भुत दिनों में आपस में स्नेह संबंध ऐसा
बना कि लोग संपर्क कायम रखने के लिए विज़िटिंग कार्ड, ई-मेल
एड्रेस, फोन नम्बर ले और दे रहे हैं कुछ लोग अत्यंत भावुक हो
रहे हैं बार-बार गले मिल रहे हैं बार-बार एक-दूसरे को
मित्रतापूर्ण प्रशंसासूचक शब्दों में कह रहे हैं कि इस प्रगाढ़
मैत्री की उष्मा जीवन पर्यंन्त रहेगी प्रेम का यह स्थाई भाव
सदा बना रहेगा सूरीनाम विश्व हिन्दी सम्मेलन की संयोजक
पुष्पिता जी अत्यंत भावुक हो उठती है, वह अपनी रुलाई नहीं रोक
पाती है, मेरा कंधा उनके आँसुओं से भीग उठता है मेरे गले में
भी गुठली अटक जाती है कैसे समेटूँ इतना स्नेह, इतना प्यार
आ़स-पास खड़े न जाने कितने लोगों की आँख भीग जाती हैं लोग
हमारी पीठ थपथपाते हैं पुष्पिता जी न जाने कितने लोगों को
विचलित कर देती हैं।
ये पाँच दिन,
ये अद्भुत पाँच दिन इ़न पाँच दिनों में कितना कुछ मिला है,
ज्ञान मिला, साहित्य मिला, दर्शन मिला, सहयोग मिला, प्यार
मिला, सौहार्द्र मिला और साथ में ढेरों दोस्त मिलें सम्मेलन
ने विश्व भर के हिन्दी प्रेमियों की एक कड़ी बनाई हैं जो
चिंतन, साहित्य और कला के 'लिंक' से जुड़ी है सूरीनाम के
सम्मेलन की उपलब्धि है, विश्व हिन्दी बंधुत्व की अमर कड़ी है
व़ास्तव में सूरीनाम 'श्री राम' का देश है कभी भोले-भाले
भारतवासियों को झांसा देने के लिए यह बात कही थी डच सरकार ने आज हमारे सूरीनामी परिवारों ने इसे सचमुच ही श्री राम का देश
बना दिया है कई-कई समुंदर पार कर के लोग आए हैं और एक मंच पर
बैठे हैं यह कितनी बड़ी उपलब्धि है हम अपने देश में नहीं मिल
पाते हैं और सूरीनाम में न केवल मिलें दिन रात एक ही रस
'हिन्दी के प्रेम संसार के रस' में पगे रहें, सराबोर रहें ज़य
हिन्द! जय हिन्दी भाषा!
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