किसी सुरमयी शाम
में घंटाघर की गूंजती हुई स्वरलहरियों के संगीतमय
सान्निध्य और ऊँचे चित्ताकर्षी निदारोस चर्च के सुस्पष्ट
दिखाई देते पवित्र क्रॉस, साथ ही
शांत बहती निदेलवा के जल में पड़ती उसकी परछाईं के बीच
गाँवनुमा ट्रांधाईम में आप कहीं भी अपनी सुध-बुध खो सकते
हैं। हल्की हिलकोरे लेती हुई नदियाँ, हरी-भरी घाटियाँ, हरे
घास के मैदानों में बिछे पुष्पों के गलीचे, शांत द्वीपों
के समूह, स्वर्णमयी अनाजों के मैदान, सच्चे दिल इंसान,
समुद्री फिर्योद का मनमोहक दृश्य और हिमकणों से आच्छादित
धरती के उज्ज्वल-धवल रूप के बीच बसा यह शहर किसी स्वर्गलोक
में होने का अहसास कराता हुआ आपको आनंद के समंदर में डुबकी
लगाने को विवश कर देगा। नार्वे की पहली राजधानी होने के
गौरव से अभिभूत सपनों जैसे ट्रांधाईम नगर का आकर्षण कुछ
ऐसा ही है।
नार्वे के त्रोंदेलाग काउंटी में स्थित इस शहर का बहुमूल्य
आभूषण है-
स्कैंडनेविया का दूसरा सबसे बड़ा मध्यकालीन कैथेड्रल। इस ऐतिहासिक निदारोस चर्च को संत ओलॉव की
समाधि पर बनाया गया है। ओलॉव के मरने के लगभग एक वर्ष
बाद उन्हें संत की उपाधि दी गई। १२१७ ईस्वी में यह स्थान
धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में समूचे यूरोप में
प्रसिद्ध हो गया। जहाँ एक ओर विभिन्न वाद्ययंत्रों के
अनोखे रिंगवे संगीत संग्रहालय और निदेलवा नदी पर बने 'गेमेल
ब्रीरुवा' सेतु का वास्तुशिल्प दर्शनीय है वहीं दूसरी ओर
मुख्य रेलवे स्टेशन के पास छोटे से द्वीप मुन्कहोलमेन में
समय बिताना अत्यंत आनन्ददायक। दूरसंचार के उद्देश्य से
बनाया गया १२० मीटर ऊँचा तिहोल्त टॉवर, नॉर्वे का इकलौता
ऐसा टॉवर है जिसमें ७४ मीटर की ऊँचाई पर बने घूमते हुए रेस्तरां में बैठकर हम पूरी ट्रांधाईम की खूबसूरती का
अवलोकन कर सकते है। राजमहल से सटे पीछे की ओर स्थित
स्टीफ्टस पार्क, लीव एरिक्सन का स्मारक चिह्न, क्रिस्तियेन्सन फोर्ट और ९९७
ईस्वी में इस शहर को बसाने
वाले शक्तिशाली वाइकिंग राजा ऑलाव ट्राइगवेसन का स्मारक
चिह्न नगर के पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
गर्मी के सुहावने मौसम में, जब सूखे पेड़ों से नवीन
सुकोमल किसलय फूटने लगते है, घास के मैदान के हरे कैनवस
पर सुन्दर पुष्पों की सज्जा प्रकृति द्वारा उकेर दी जाती
है और हवाओं में मीठी गुलाबी गुनगुनाहट उभरने लगती है तब
भी, जैकेट व छतरी को पीठ पर लादे बिना अगर घूमने को निकल
पड़े तो कभी भी अचानक घेर लेनेवाली घटाओं के फुहार से आप
बच नहीं सकते। ठंड के दिनों में अगर हल्के स्वेटर और जैकेट
में आ गए तो यह आपकी भारी भूल है क्यों कि ठंड से अकड़ सकते
हैं। वैसे सर्दियों के मौसम का नज़ारा बहुत ही मनभावन होता
है। शहर में आप कहीं जा रहें हों, उस वक्त प्रकृति
द्वारा आसमान से बरसाए जा रहे रुईनुमा श्वेत नर्म फाहे,
हिमाच्छादित धवल समग्र धरती, बर्फ से ढके पहाड़ और
पेड़ों की पत्तियों पर टिका हिमकण सुखद अहसास देता हुआ
प्रतीत होगा।
पतझड़ के महीनों में नार्वेजियन विश्वविद्यालय के पास
ग्लॉसहॉगेन की पथिकाओं से गुजर रहें हों तो ऐसा
प्रतीत होगा मानों स्वर्ग-लोक की अप्सराएँ बारी-बारी से
हरे, लाल, नारंगी से पीले होते हुए सतरंगी फूलों की वर्षा
कर रही हो। इसके बदलते रंग-रूप तो फूलों से भी ज्यादा
खूबसूरत नज़र आते हैं जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता।
समूची सड़कें शायद आपके आगमन के लिए ही इन खूबसूरत
पत्तों से भर कर राह निहार रही होती हैं।
यूरोप के अन्य शहरों की तरह यहाँ की रातें भी रंगीन होती
हैं। नाइट क्लबों में जाकर बल्ब की रंगीनियों के बीच,
जोड़े हैं तो ठीक नहीं तो अपने-अपने जोड़े ढूँढ़ते ये लोग
शायद, मदिरापान कर नृत्य करते हुए ही ज़िन्दगी को हसीन
बनाने में यकीं रखते है। आश्चर्य नहीं अगर 'पंजाबी बैंड'
की देशी धुनों पर समूचा डिस्कोथेक झूम रहा हो। मॉन्दाग
यानी सोमवार से ही सप्ताहांत का इंतज़ार करने वालों के लिए
तो काश! सुबह हो ही नहीं, सिर्फ रातें ही रातें हों!
परंतु, यहाँ तो यह भी संभव लगता है। अक्तूबर से मार्च के
महीनों में काफी देर से सुबह होती है और दिसंबर में तो दिन
सिमटकर मात्र ३-४ घंटे का हो जाता है। फिर अप्रैल से
सितंबर तक रातें धीरे-धीरे सिकुड़कर ३-४ घंटे की हो जाती
है। आर्कटिक वृत के दक्षिण होने से आप मध्यरात्रि का सूरज
तो नहीं देख सकते लेकिन रात के बारह बजे तक रौशनी होने से
दिन का अहसास जरूर कर सकते हैं। अगर आप मध्य रात्रि का
सूरज देखना चाहते हैं तो थोड़ा और उत्तर जाना पड़ेगा। यानी
आर्कटिक वृत के उत्तर की ओर।
अगर आप खाने-पीने के ज्यादा शौकीन नहीं, तो 'ब्रेड' और
'चीज' से ही नार्वेजियनों की तरह सारी जिन्दगी चल सकती है।
शहर के नार्वेजीय रेस्तराओं में समुद्री मछलियों सीपियों,
रेंडियर या इल्क के मांसाहारी व्यंजनों के अतिरिक्त
पिज़्ज़ा,
बर्गर आदि चीज़ें भी मिल जाती है। समुद्र नजदीक होने से
मछलियाँ काफी मिलती है, किंतु यहाँ की नदियों में
मिलनेवाली सेलमन मछली के स्वाद का जवाब नहीं! ये आपको यहाँ पुन: आने को विवश कर देगी। और हां, मलाईदार केक तथा आईसक्रीम के कहने ही क्या! मांस-मछलियों के साथ मदिरा का
प्रयोग भी खूब होता है। जहाँ तक रोजमर्रा की ज़रूरतों का
सवाल है तो अलग-अलग दूकानों में जाने की जरूरत नहीं। रेमा,
रिमी या बुनप्रिस जैसे डिपार्टमेन्टल स्टोर में खाने की
सामग्री के साथ-साथ अगर आप बियर पीने का शौक रखते हैं
तो उसी दूकान में मिल जाएगी।
भारतीय भोजन का शौक है, तो निराश होने की जरूरत नहीं।
यहाँ के मुख्य बाजार में २०-२५ वर्ष पहले बसे पंजाबी लोगों
द्वारा चलाए जा रहे कई भारतीय रेस्तराँ मिल जाएँगे। इसके
अतिरिक्त वियतनामी और चीनी रेस्तराँ भी हैं जहाँ एशियाई
भोजन का आनन्द लिया जा सकता हैं। यहाँ रह रहे प्रवासी
भारतीय और अन्य एशियाई लोग, खाने की वस्तुओं की खरीदारी
वियतनामी या इराकी लोगों द्वारा चलाई जा रही कुछ दूकानों
से करते हैं। ट्रांधाईम की हृदयस्थली 'ट्रांधाईम तार्ग' से
कपड़े या अन्य
वस्तुओं की खरीदारी आँख बंद कर, की जा सकती
है। निश्चिंत रहें, नकली माल नहीं मिलेंगे।
घूमने के लिए यातायात और ट्रैफ़िक की व्यवस्था काफी
व्यवस्थित और समयबद्ध है। बसें हर १५ मिनट पर मिल जाती
हैं। इसके साथ-साथ ट्रेन, वायुयान और जलयानों की व्यवस्था
भी काफी अच्छी है जिसके द्वारा विश्व के किसी शहर में जाया
जा सकता हैं। नॉर्वे में वायुयान और बस के भाड़े में खास
अंतर नहीं है इसलिए लोग वायुयान से यात्रा करना अधिक पसंद
करते हैं। आमतौर पर लोग घूमने के काफी शौकीन हैं।
छुट्टियों का सदुपयोग वे इसी काम में करते हैं। शहर की एक
महत्वपूर्ण बात, पैदलयात्री हैं तो व्यस्त समय में भी यहाँ
की सड़कों पर बने 'जेब्रा 'क्रोसिंग' पर आप बेधड़क जा
सकते हैं। किसी तरह की अनहोनी के लिए बिल्कुल निश्चिंत
रहें। गाड़ियाँ आपको जाते देखकर खुद ही रुक जाएँगी। ऐसा
आदर आपको सारे यूरोप या दुनिया में कहीं नहीं मिलेगा। अगर
घूमते-घूमते थक जाएं और नहाने की इच्छा हो जाए तो हिमदाल
या पीरबादेन के स्वीमिंग हॉल में नहा सकते हैं लेकिन कुछ
क्रोनर आपको देने होंगे। पैसे के बगैर तो यहाँ आप पानी भी
नहीं पी सकते ।
अक्तूबर से मार्च महीनों में आप कभी भी आ जाएँ,
हिमाच्छादित ट्रांधाईम के आकाश में हो रहे जादुई दृश्य को
देखकर निश्चय ही आप अपना सुधबुध खो बैठेंगे! आकाश में
बिखरी रंग बिरंगी किरणों की सतरंगी छटाएँ, एक साथ थिरकती
और अठखेलियाँ करती हुई जब प्रकाश नृत्य प्रस्तुत करती हैं
उस समय कैसा महसूस होता है उसको देखे बिना नहीं जाना जा
सकता। विश्वास करना मुश्किल होता है कि ये स्वप्न नहीं
हकीकत है। वैज्ञानिक शब्दावली में 'आरॉरा बोरियोलिस' के
नाम से जाना जाने वाले उत्तरीय
प्रकाश की ये इन्द्रधनुषी रंगीनियाँ शीत ऋतु की साफ और अंधेरी रातों में अक्सर दिखाई
दे जाती है।
कल्पना कीजिए, कहीं घूम रहें हों तभी आपको कोई एशियाई
नज़र आ जाए! कितनी प्रसन्नता होगी अपने लोगों को देखकर!
ट्रांधाईम का प्रत्येक छठा व्यक्ति विद्यार्थी है और
उनमें एशियाई छात्रों की अच्छी संख्या है। यह जानकर आपको
खुशी होगी कि प्रवासी नागरिकों और नार्वेजियन सरकार के
बीच के संपर्क समिति की अध्यक्षा इस शहर में रहनेवाली
भारतीय मूल की एक महिला ही हैं। यहाँ नार्वेजियन विज्ञान
एवं तकनीकी संस्थान (एन टी. एन. यू ) से जुड़े भारत सहित
१०० से अधिक देशों के अधिकांश छात्र और शोधार्थी शहर के मोहोल्ट संकुल या इसी के नजदीक रहते हैं। सिर्फ छात्रों
द्वारा ही यहाँ ९० करोड़ नार्वेजियन क्रोनर खाने, रहने
बसने और अन्य सुविधाओं में खर्च किये जाते हैं। १९१० ई०
में स्थापित एन टी. एन. यू. विश्व के १८८ विश्वविद्यालयों
के साथ शैक्षिक और शोध कारणों से जुड़ा है। यहाँ की
१,४५००० लाख जनसंख्या में २० हज़ार विद्यार्थी हैं।
मान लीजिए कल आपकी परीक्षा होने वाली है किन्हीं कारणों
से आपकी नींद नहीं खुली। जब आप उठते हैं तो पता चलता है
परीक्षा तो हो गई होगी तो कैरियर को लेकर अधिक परेशान होने
की कोई जरूरत नहीं। परीक्षा यहाँ फिर कभी बाद में भी दे
सकते हैं। विश्वास मानिए, हमारे देश की तरह यहाँ छात्रों
के मन को झकझोरने वाली स्थिति नहीं आती। है न यह
आश्चर्यजनक बात!
संपूर्ण नॉर्वे की तरह ट्रांधाईम में भी लोगों द्वारा
नार्वेजीय भाषा बोली जाती है किंतु विदेशियों के साथ
अंग्रेजी संपर्क भाषा का काम करती है। इसलिए आप इस भाषा
द्वारा आवश्यक जानकारी ले सकते हैं। यहाँ कुछ लोग अपनी
भाषा और अंग्रेज़ी के अतिरिक्त फ्रेंच, जर्मन एवं अन्य
स्कैंडनेवियाई देशों की भाषाएँ भी जानते हैं इसलिए
पर्यटकों में इन देशों के लोग खूब दिखाई दे जाएँगे। इतनी
भाषाएँ बोलने का मतलब यह नहीं कि नार्वेजीय लोग विदेशी
भाषा के प्रति आकृष्ट हैं। वास्तविक कार्य-व्यवहार में तो
यहाँ नार्वेजीय भाषा के अतिरिक्त कोई दूसरी भाषा का साधारण
प्रवेश भी दिखाई नहीं देगा।
बुनाद यहाँ की सुन्दर और रंगीन राष्ट्रीय पोशाक है जिसे
लोग राष्ट्रीय दिवस के आयोजन के समय अवश्य पहनते हैं। १७
मई को सारे लोग अपने रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधान में नज़र
आते हैं और सभी अपने रिश्तेदारों और मित्रों के साथ
राष्ट्रीय दिवस मनाते हैं। राष्ट्रीय दिवस के दिन स्कूली
बच्चे बैंड बाजे के साथ परेड करते हैं, इसके साथ विभिन्न
संस्थाएं भी परेड का आयोजन करती है। तकरीबन सभी लोग परेड
देखने आते हैं। इस दिन की भीड़ देखने लायक होती है। अगर
मौसम इजाजत दे तो स्टूडेन्ट विलेज में बाहर बहुत बड़ी
पार्टी की जाती है।
ट्रांधाईम की स्थानीय 'रोजनबॉर्ग फुटबॉल टीम' यूरोप की
अच्छी टीमों में जानी जाती है। यहाँ कई बार चैंपियन लीग
हुआ है जिसमें आठवीं चैंपियन लीग नीलस आर्ने इगेन के समय
को फुटबॉल का स्वर्णयुग माना जाता है। विश्व में साईकिल
लिफ्ट का चलन सबसे पहले ट्रांधाईम में ही शुरू हुआ।
महिलाओं के लिए हैन्डबॉल खेल की अच्छी व्यवस्था है। यह खेल
यहाँ निदारहॉलेन में सामान्यतया अक्तूबर से मार्च महीने
के बीच खेला जाता है। स्की के बिना तो इस नगर की बात अधूरी
है। विश्व स्की चैंपियनशिप के लिए बिमारका में बना 'स्कीजंप', हर नार्वेजीय आपको गर्व के साथ दिखाने ले जाएगा। शहर
में आइस हॉकी क्लब भी है। यहाँ के बाजार में धूम रहें हों
और आपका मन मूवी देखने का हो जाता है तो ट्रांधाईम के
प्रिन्सेन गाता और ओलॉव ट्राईगवेसन गाता के पास के हॉल
में देख सकते हैं। स्टूडेन्ट सैमफुन्दे में कन्सर्ट देख
सकते हैं जो अक्सर शुक्रवार और शनिवार को होते हैं इसके
अलावा ओलॉव हॉल, निदारोस चर्च में भी कन्सर्ट का आयोजन
समय-समय पर किया जाता है।
यहाँ की एक खासियत है। पुलिस स्टेशन से लेकर अस्पताल और
यहाँ तक कि ट्रेन में भी बच्चों का काफी ध्यान रखा जाता है
और बच्चों के खेलने का अलग से स्थान बनाया जाता है। सर्दी
के दिनों में बच्चों के खेलने के लिए लगभग हर परिवार में
मुख्य घर के साथ सटा हुआ छोटा सा घर होता है जिसे नार्वेजियन लोग 'दुक्के हुस' कहते हैं।
यहाँ सामान्यतया
माता-पिता दोनों ही नौकरी पर जाते हैं इसलिए बच्चों को
बहलाने के लिए बार्नहेगे या बाल क्रीड़ागृह तो है ही लेकिन
इसके अलावा जगह-जगह पर प्ले सेन्टर भी है जहाँ बच्चे अपनी
मां के साथ जा सकते हैं। विभिन्न देश के बच्चों के
साथ-साथ, बच्चों की माँएँ भी आपस में मिलती हैं। इसके साथ
महिला क्लब भी है जहाँ विभिन्न देशों की महिलाओं से मिला
जा सकता है। यह विशेषतया प्रवासी महिलाओं के लिए अधिक
अच्छा है क्यों कि उनके खाली समय का सदुपयोग विभिन्न
सभ्यताओं और संस्कृतियों को जानने में जाता है जो एक
आह्लादकारी अनुभव है। सामान्यतया मंगलवार को बच्चों का
क्लब होता है और वृहस्पतिवार को
महिलाओं का।
नॉर्वे के लोग समय के अति पाबंद हैं, अगर इन्होंने आपको
१० बजे का समय दिया है और भूलवश भी आप १०:०५ पर आए, तो
उम्मीद नहीं रखिए की वो आपको मिल जाएँगे। सप्ताह भर
नियमबद्ध तरीके से काम करने के बाद के बाद सप्ताहांत
धमाकेदार शोर और शराब के साथ अवश्य मनाते हैं। होटल में
जाने का रिवाज कम ही है, अक्सर ये बार्बेक्यू पार्टियाँ
करना अधिक पसंद करते हैं। अपना टेन्ट और जरूरत का समान
लेकर किसी झील या सुरम्य पहाड़ी स्थल पर जाकर छुट्टियाँ
मनाते हैं। जहाँ तक व्यक्तिगत जिन्दगी का सवाल है एशियाई
लोगों से भिन्न है और वे आजाद ख्य़ाल है। यह महिला
प्रधान समाज है और सारे स्कैन्डनेविया में महिलाओं की
स्थिति अच्छी है। दफ्तर से लेकर बसें चलाने तक के काम में
महिलाएँ मिल जाएँगी। लोग किसी काम को बड़ा या छोटा नहीं
मानते। वे सफ़ाई पसंद हैं और हर जगह सफ़ाई का खासतौर से
ध्यान रखते हैं।
इधर-उधर बिखरे हुए कचरे आपको कहीं नहीं दिखेंगे। हर तरह के
कचरे के लिए अलग-अलग डब्बे की व्यवस्था है।
अन्य यूरोपीय देशों की तरह ही ट्रांधाईम में भी क्रिसमस,
ईस्टर, लेबर डे और एसेनसनडे मनाया जाता है। क्रिसमस के एक
दिन पहले खाने की सारी वस्तुएँ ख़रीदनी होती हैं, क्यों कि
दूकानें एक सप्ताह के लिए बंद हो जाती हैं। अगर इस समय आप
यहाँ हैं और कोई आपका नार्वेजियन मित्र है तो उसके यहाँ
जाकर इस त्योहार अनुभव और आनंद लेना नहीं भूले। क्रिसमस के
४० दिन बाद इस्टर का उत्सव आता है जिसे पॉस्के भी कहते हैं।
यहाँ भारतीय छात्रों की संस्था 'इंडियन स्टूडेंट फोरम'
प्रमुख पर्र्वत्योहारों को आयोजित करती है। ट्रांधाईम
शहर के मोहोल्ट छात्र संकुल मे रह रहे सभी भारतीय परिवार
के साथ आयोजन में शामिल होते हैं। अगर आप पर्व-त्योहार
वाले मौसम में आ जाएँ तो मोहोल्ट में जरूर आएँ, हम सभी
आपके आगमन के लिए पलकें बिछाए तरह-तरह के व्यंजन के साथ
इंतजार में खड़े मिलेंगे। आएँगे न? |