१५ नवंबर २००८, दिल्ली के
हिंदी भवन में सायं ६:०० बजे
दिशा फ़ाउंडेशन द्वारा ‘दस्तक नई पीढ़ी की’ नाम से एक कवि
सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम हिंदी
कवि-सम्मेलन मंच के लिये नई प्रतिभाओं की खोज के एक प्रयास
के रूप में आयोजित किया जाता है और इसमें देश भर से चुने
गए १५ युवा कवि काव्य-पाठ करते हैं। देश के प्रतिष्ठित कवि
और प्रतिष्ठित व्यक्ति श्रोताओं की पंक्ति में बैठकर इन
कविताओं का रस-आस्वादन करते हैं। सुविख्यात हास्य कवि
जैमिनी हरियाणवी तथा वीररस के कवि कृष्णमित्र जी ने मुख्य
अतिथि के रूप में कार्यक्रम में भाग लिया और कवियों का
मार्गदर्शन किया। इस बार श्रोताओं में जिन महानुभावों ने
नई पीढ़ी को सुना, उनमें श्री जगदीश मित्तल जी, रमेश
अग्रवाल जी, सत्यभूषण जैन जी, मदन जिंदल जी, श्याम जाजू
जी, रोशन कंसल जी, भूपेन्द्र कौशिक जी जैसे जाने माने
व्यक्तित्व और धर्मचंद अशेष, गजेंद्र सोलंकी, सरिता शर्मा,
प्रवीण शुक्ला, वेद प्रकाश वेद, रसिक गुप्ता, सतीष सागर
जैसे लोकप्रिय कवि उपस्थित थे।
कार्यक्रम का प्रारंभ वीर चक्र विजेता कर्नल
तेजेंद्र पाल त्यागी के ओजस्वी भाषण से हुआ। जय हिंद और
भारत माता की जय के नारों से पूरा हिंदी भवन गूँजा तो पूरे
कार्यक्रम की धारा ही राष्ट्र-भक्ति की ओर मुड़ गई। युवा
कवयित्री पद्मिनी शर्मा ने सरस्वती वंदना पढ़कर कवि सम्मेलन
का आरंभ किया और कुमार वैभव ने माँ भारती की वन्दना की।
उनके गीत "सृष्टि तेरे रूप को है माँ स्वयं सिंगारती / मैं
हृदय से कर रहा हूँ माँ तुम्हारी आरती" को श्रोताओं ने खूब
सराहा। इसके पश्चात सौरभ भारद्वाज ने समसामयिक घटनाओं पर
व्यंग्य करते हुए लोकतंत्र की वर्तमान स्थिति पर अपनी रचना
प्रस्तुत की। पद्मिनी शर्मा ने स्कूली बच्चों के मनोभावों
को अपने गीत का विषय बनाया, तो बबिता अग्रवाल ने कन्या
भ्रूण हत्या जैसी कुरीतियों पर प्रकाश डालते हुए सार्थक
रचना पढ़ी। कुलदीप आज़ाद ने अपनी ग़ज़लों के माध्यम से संबंधों
में बढ़ रही मतलब परस्ती पर प्रकाश डालते हुए कहा- “उसके
किरदार का अहम हिस्सा है, मैं उसके चेहरे का नक़ाब मांगता
कैसे”। जितेंद्र प्रीतम ने मन को छूते हुए संवेदनाओं से
भरे शेर पढ़े। उनका ये शेर- "वो जिसके दायरे में साँस ना ले
पाते हों रिश्ते / सज़ा है, चारदीवारी है वो आंगन नहीं
होता" श्रोताओं ने दिल से सराहा। कुमार पंकज का प्रेमगीत
से माहौल में रूमानी रंग बिखेरे तो बलजीत तनहा, स्पर्श
जैन, अनीश भोला और प्रबल पोद्दार ने हास्य की फुलझड़ियों से
श्रोताओं को गुदगुदाने की सफल कोशिश की। शेखर अग्रवाल और
मंच का संचालन कर रहे श्रीकांत श्री ने ओज की श्रेष्ठ
रचनाओं से क्रांति की हिलोर पैदा की।
इस अवसर पर पिछले वर्ष के पन्द्रह युवा कवियों
की कविताओं का एक संकलन भी लोकार्पित किया गया। कार्यक्रम
के संयोजक राजेश चेतन और दिशा फाउंडेशन की अध्यक्ष ऋतु
गोयल ने बहुत बारीकी से कार्यक्रम को सँजोया और बताया कि
इस कार्यक्रम के माध्यम से उनका एकमात्र उद्देश्य नई
प्रतिभाओं को आगे लाना है, ताकि देश और समाज का अनवरत
विकास हो सके। |