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अन्तर्राष्ट्रीय कृत्या काव्योत्सव- २००८

कृत्या की शुरुआत एक वेब पत्रिका के रूप में २००५ जून से हुई, इसके पश्चातल में कई विचार थे, एक तो उत्तर और दक्षिण के बीच की साहित्यिक खाई को पाटना, दूसरा भारतीय कविता को विश्व पटल में लाना। इस बीच मुझे अपने कुछ विदेशी कवि मित्रों से यह जानकारी मिल रही थी कि भारतीय प्रादेशिक भाषाओं की कविता उन तक तारतम्य या सहज भाव में नहीं पहुँच रहीं हैं। हमारी समृद्ध काव्य परम्परा का प्राचीनतम रूप भी उन तक नहीं पहुँच पा रहा है। कृत्या एक छोटी-सी कोशिश थी। यह कोशिश काफी कुछ ऐसी थी जैसी कि मिथक के अनुसार राम पुल निर्माण में गिलहरी की कोशिश। जब कृत्या पहली बार नेट पर आई उन दिनों नेट पत्रिकाओं का भारत में प्रचलन नहीं के बराबर था। कृत्या को नेट पर देखते ही अय्यप्पा पणिक्कर ने कवितोत्सव मनाने का सुझाव रखा था, जिसमें कविता को अन्य कलाओं के साथ जोड़ा जाए। उनका कहना था कि कविता को अन्य कलाओं से जोड़ने पर ही हम आज के समाज से जोड़ सकते हैं। साथ ही उनका सुझाव था कि कृत्या को हर भाषा के करीब पहुँचना चाहिए, और विदेशी भाषाओं में भी अंग्रेज़ी के अतिरिक्त अन्य देशों की भाषाओं के साहित्य के करीब पहुँचने की कोशिश करनी चाहिए।

अतः कृत्या पत्रिका के जन्म के तुरन्त बाद जून २००५ में पहला कवितोत्सव मनाया गया, जिसमें कावालम पणिक्कर, दत्तन जैसे नामी गिरामी कलाकारों ने भूमिका निभाई। दूसरा कवितोत्सव जम्मू में किया गया, जिसमें अग्निशेखर की अहम भूमिका रही। जनवरी २००७ में कृत्या एक संस्था के रूप पंजीकृत की गई जिसका उद्देश्य और अधिक व्यापक हो गया। पहले दो उत्सवों की सफलता  और विश्व पटल पर कृत्या की लोकप्रियता ने हमें विश्व कवितोत्सव के लिए प्रेरित किया। बिना किसी साधन संसाधन के हमने २१, २२ और २३ जुलाई २००७ के तीसरे कवितोत्सव की तैयारी की।

उत्सव का स्थान था वैलोप्पिल्ली भवन जो कि केरल के प्रसिद्ध कवि के नाम पर परंपरागत मन्दिर शैली में निर्मित है। यह स्थान केरलीय कलाओं की शरणस्थली रहा है। २१ जुलाई को प्रातः १० बजे उद्घाटन सत्र का शुभारंभ हुआ। उद्घाटन केरल के माननीय राष्ट्रपति श्री आर एल भाटिया ने किया और अध्यक्षता की श्रीमती कवयित्री राजकुमारी गौरी लक्ष्मी बाई ने। इस उत्सव में करी १६ विदेशी भाषाओं के कवियों और ३० भारतीय कवियों ने भाग लिया।

हमने अय्यप्पा पणिक्कर के विचार से प्रेरणा लेते हुए इस बार देश की सबसे पुरानी सांस्कृतिक धरा की ओर जाने का विचार बनाया। यह ज़मीन है, प्रेम, युद्ध, हिंसा, स्नेह, भाईचारा और अध्यात्म की, यहाँ ही देश की प्राचीनतम सभ्यता की कर्म भूमि है। यहाँ वीरता का पठ घुट्टी में पिलाया जाता है। ऐसी धरा पर कृत्या उत्सव की परिकल्पना हमारे लिए आनंददायक है। प्रसिद्ध कवि श्री सुरजीत पातर जी प्रादेशिक स्तर पर उत्सव की बागडोर अपने हाथ सँभालने का जिम्मा लिया तो कृत्या का उत्साह चौगुना हो गया। पंजाब आर्ट काउंसलर ने आतिथ्य का भार सँभालने की पहल की। साहित्य अकादमी ने देश की भाषाओं के कुछ प्रमुख कवियों की यात्रा का भार वहन करने का वचन दिया, और भारतीय भाषा संस्थान भी इसी तरह कवि की यात्रा में मदद का वचन दे रही है।

अल्प संसाधन होते हुए भी हमारे हौसले बुलंद हैं। हमने विभिन्न विदेशी भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए श्रेष्ठ कवियों को आमंत्रित किया है। इसके लिए हमें उन देशों की कला अकादमियों ने मदद करने का आश्वासन दिया है। हमारे विदेशी प्रतिनिधियों में प्रमुख हैं- नोर्वे की  ओदविग क्लीव, कैरी क्लीव गुलब्रैंडसन, और बियौर्न गुलब्रैंडसन, इटली की‍ - एलिसा बियागिनी, मैक्सिको से आर्सेली मन्सिला ज्यास और रिको गोन्ज़ालेस, इस्टोनिया से -मारगुस लटिक और ट्रिन सूमेट्स, इसराइल से नईम अरीदी, अमेरिका से -डायर्ड्रे ओ-कोन्नूर, इंगलैण्ड से पीटर वॉग जॉन और एनिम एडो, आइरलैण्ड से जॉन सिद्दीक़, आस्ट्रिया से ईवलिन हॉलोवे , लेबनान से - हनाने आद और उजबेकिस्तान से उक्तमख़ोन ख़ोलदोरोवा। इस तरह हमें विदेश से भी विविध भाषा की कविता का स्वाद मिलने की पूरी संभावना है।

इन कवियों की कविताओं को पंजाबी में अनुदित करने की भी पूरी कोशिश की जाएगी। भारतीय भाषाओं से भी नामी गिरामी कवि हमारे कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएँगे। प्रमुख नाम हैं- रमाकान्त रथ (उड़ीसा), नन्द किशोर आचार्य (हिन्दी), सचिदानन्दन (मलयालम), कृष्ण मूर्ति (कन्नड़), केकि दारुवाला( अंग्रेजी), उदय नारायण सिंह, मैथिली, कुंवर नारायण जी (हिन्दी), सुरजीत पातर (पंजाबी), चन्द्र प्रकाश देवल (राजस्थानी), चन्द्रकान्त देवताले (हिन्दी), अरुण कमल (हिन्दी), मंगलेश डबराल (हिन्दी), रुक्मिणी भाया( अंग्रेजी), दिलीप झावेरी, (गुजराती), अग्निशेखर (कश्मीरी), ममंग दई (अरुणाचल प्रदेश), जीवन नाराह( असम),  रोनिन एस गंगोम ( मणिपुरी), विश्वनाथ प्रसाद सिंह (हिन्दी), शम्भु बादल (हिन्दी), अजमेर रोड़े (पंजाबी- कनाडा), एस एस नूर (पंजाबी), श्री किक्केरि नारायण, पूर्णिमा वर्मन (हिन्दी- दुबई), विजय शंकर (हिन्दी), श्यामला नायर (अंग्रेजी) पंजाबी और हरियाणवी कविता के विशेष पाठ होंगे। इसके अतिरिक्त युवा कवियों को भी मंच दिया जाएगा। कविता पर चर्चा गोष्ठी का भी आयोजन किया गया है।

कवि सम्मेलन के समानान्तर में चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन होगा जिसके संचालक है, " क" पत्रिका के संपादक, कला आलोचक विजय शंकर। अन्य कार्यक्रमों मे सूफी संगीत और पंजाबी लोक संगीत का आनन्द लिया जाएगा। इस तरह हम आगामी काव्योत्सव में कविता का अन्य कलाओं से समावेश और समकालीन प्रासंगिकता और आवश्यकता के विचार को केन्द्र बिन्दु बना रहे हैं।

प्रस्तुति : रति सक्सेना

२७ अक्तूबर २००८

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