यह उद्गार प्रख्यात व्यंगकार प्रेम
जनमेजय ने कमला गोइन्का फाउंडेशन द्वारा 'स्नेहलता गोइन्का व्यंग्य भूषण
पुरस्कार-२००८' ग्रहण करने के बाद किए। प्रेम जनमेजय ने एक महत्वपूर्ण घोषणा
करते हुए कहा, ''प्रत्येक बुजुर्ग होती पीढ़ी का कर्तव्य होता है कि युवा पीढ़ी की
मात्र आलोचना न करे अपितु उन्हें दिशा देने के प्रयास भी करे। बहुत समय से मन था कि
युवाओं में सार्थक व्यंग्य लेखन को बढ़ावा देने के लिए युवा सम्मान आरंभ किया जाए
परंतु आर्थिक अभाव आड़े आ जाते थे। गोइन्का फाउंडेशन का आभार कि नेक काम के लिए
उन्होंने एक लाख रुपए का आर्थिक आधार दे दिया है और मुझे विश्वास हे कि इस आधार को
सहारा देने वाले और हाथ भी अपनी गति से आ जाएँगे तथा जल्दी ही व्यंग्य के क्षेत्र
में युवा पुरस्कार आरंभ किया जा सकेगा।'
सुप्रसिद्ध लेखिका श्रीमती सूर्यबाला को उनके
कहानी संग्रह 'इक्कीस कहानियाँ' के लिए 'रत्नीदेवी गोइन्का वाग्देवी सम्मान २००८'
प्रदान किया गया। डॉ. सूर्यबाला ने इस अवसर पर कहा, ''निष्ठा और समर्पण के साथ
साहित्य का निर्माण किया जाना चाहिए, किसी दबाव में नहीं। उन्होंने कहा कि मैं
कहानियाँ भी लिखती हूँ और व्यंग्य भी, परंतु व्यंग्यकार मुझे व्यंग्य लेखिका नहीं
मानते हैं और कहानीकार मुझे कथा लेखिका नहीं मानते हैं।''
वरिष्ठ पत्रकार एवं 'नवनीत' के संपादक श्री
विश्वनाथ सचदेव की अध्यक्षता में आयोजित इस समारोह में डॉ. प्रेम जनमेजय को
पुरस्कार स्वरूप एक लाख रुपए नगद एवं श्रीमती सूर्यबाला को इकत्तीस हज़ार रुपए नगद
के साथ शाल, स्मृति चिह्न, श्रीफल तथा पुष्पगुच्छ प्रदान किया गया। समारोह में
साहित्यकार वेदराही मुख्य अतिथि तथा प्रसिद्ध मीडियाकर्मी मुकुल उपाध्याय विशिष्ट
अतिथि के अतिरिक्त वरिष्ठ पत्रकार एवं 'महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी' के
कार्याध्यक्ष श्री नंदकिशोर नौटियाल, मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के
प्रभारी डॉ. करुणाशरण उपाध्याय, नवभारत के फीचर संपादक शत्रुघ्न प्रसाद, सूर्यभानू
गुप्त, यज्ञ शर्मा, सुरेश कांत, हरीश पाठक, अशोक बिंदल, देवमणि पांडेय, किशन शर्मा,
राजम पिल्लै, अचल गोइन्का, ललिता गोइन्का, कैलाश जाटवाला, विदित कुंद्रा, नेहा सहित
राज्य के अनेक प्रख्यात साहित्यकार मीडियाकर्मी एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
प्रबंध न्यासी श्री श्यामसुंदर गोइन्का ने सब का
स्वागत करते हुए तथा संस्था का परिचय देते हुए चार अन्य पुरस्कारों- रामनाथ गोइन्का
पत्रकारिता शिरोमणि पुरस्कार, गीतादेवी गोइन्का हिंदी-तेलुगू अनुवाद पुरस्कार', 'रमादेवी
गोइन्का सारस्वत साहित्य सम्मान तथा डॉ. हिरण्यमय युवा साहित्यकार पुरस्कार, की
घोषणा की। इस अवसर पर वरिष्ठ रचनाकार डॉ. नरेंद्र कोहली को
उनके व्यंग्य विधा में विशिष्ट योगदान के लिए 'गोइन्का व्यंग्य साहित्य सारस्वत
सम्मान' से सम्मानित किया गया। डॉ. नरेंद्र कोहली ने कहा, ''साहित्य का लक्ष्य है
जीवन के महान, उदात्त एवं साहित्यिक पक्ष का चित्रण करना। आज साहित्य अपनी भूमिका
विस्मृत कर रहा है। आज उदात्त गुणों के विकास की आवश्यकता है।'' इस अवसर पर डॉ.
नरेंद्र कोहली ने डॉ. गिरिजाशंकर त्रिवेदी द्वारा संपादित त्रैमासिक पत्रिका 'हास्यम
व्यंग्यम्' का लोकार्पण भी किया।
समारोह अध्यक्ष श्री विश्वनाथ सचदेव ने की। इस अवसर पर संपत सरल द्वारा संचालित एक व्यंग्य
गोष्ठी का आयोजन भी किया गया जिसमें सूर्यभानु गुप्त, श्यामसुंदर गोइन्का
सूर्यबाला, प्रेम जनमेजय, आसकरण अटल, आदि ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। पुरस्कार समिति के संयोजक श्री कन्हैयालाल सराफ ने
कार्यक्रम का दक्षतापूर्ण ढंग से संचालन व अपनी चुटीली व्यंग्य शैली में आभार
प्रदर्शन किया।
प्रस्तुति-
कैलाश जाटवाला |