३१ जुलाई २००८ को
वाइतवेत ओस्लो में भारतीय नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम की ओर से प्रेमचंद
जयंती मनाई गई। कार्यक्रम में सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने प्रेमचंद के जीवन पर
प्रकाश डाला। इस अवसर सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', शाहेदा बेगम, माया भारती,
राजकुमार भट्टी, वासदेव और अलका भरत, संगीता शुक्ला सीमोनसेन ने कहानियाँ पढ़ीं और
अपने विचार व्यक्त किए। अनुपम शुक्ल और करिश्मा ने हास्य व्यंग्य भरे अनुभव सुनाए।
इंगेर मारिये लिल्लेएंगेन और लीव एवेनसेन ने अपनी नार्वेजीय कविताएँ पढ़ी।
गत पाँच वर्षों से नॉर्वे की भारतीय सांस्कृतिक
संस्था 'भारतीय-नार्वेजीय सूचना और सांस्कृतिक फोरम' द्वारा प्रेमचंद जयंती मनायी
जा रही है जिसमें प्रवासी लेखकों के अतिरिक्त नार्वेजीय लेखकों और नेताओं ने हिस्सा
लिया है। नार्वे में यहाँ की भाषा नार्वेजीय में प्रेमचंद साहित्य का अभाव है।
नॉर्वे में नार्वेजीय-हिन्दी शब्दकोश भी नहीं है। ३१ जुलाई २००६ को मेरे निवास पर
जब प्रेमचंद जयंती मनाई गई थी तब नॉर्वे में प्रेमचंद के साहित्य को प्रसारित करने
और उनके साहित्य को नार्वेजीय भाषा में प्रकाशित करने के लिए प्रयास की बात पर ज़ोर
दिया गया था। इस बार फिर से यह बात दोहराई गई।
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' |