मुम्बई महानगर की प्रमुख महिलाओं की सामाजिक संस्था ''
पंचम'' ने शुक्रवार को शानदार तरीके से पाँच सितारा होटल ताज
प्रेसीडेंट मे हिंदी का परचम लहराया। अवसर था पंचम बाज़ार के
उद्घाटन समारोह का। सेवाभावी संस्थाओं के लिये आयोजित पंचम
बाज़ार में हस्तशिल्प, डिज़ाइनर परिधानों, आभूषणों और खानपान
के १०५ स्टाल ख़ुद महिलाओं ने महिलाओं के लिए लगाए थे।
शुक्रवार को बारिश के बावजूद मेले में भारी तादाद में
महिलाएँ मौजूद थीं। आमतौर से पाँच सितारा होटल में होने वाले
कार्यक्रमों में अँग्रेज़ी का ही बोलबाला रहता है, मगर यहां
पंचम की अध्यक्ष रानी पोद्दार ने माइक पकड़ते ही जमकर हिंदी
में स्वागत भाषण किया। इसका असर यह हुआ कि सारे अतिथियों ने
भी हिंदी में ही भाषण किया। बाज़ार का उद्घाटन मुम्बई की
शेरिफ इंदु साहनी ने किया। प्रमुख अतिथियों में शामिल थीं -
पूर्व केंद्रीय मंत्री जयवंतीबेन मेहता, अभिनेत्री एवं
गायिका इला अरुण, रंगकर्मी डॉली ठाकुर, पुलिस महानिदेशक ए।
एन। राय की पत्नी मोना राय, पुलिस आयुक्त की पत्नी श्रीमती
एस। गफूर, पूर्व मिसेज वर्ल्ड प्रियंका बत्रा और अभिनेत्री
शिल्पा मेहता। ख़ास बात यह थी कि महिलाओं के इस मेले में
पुरुषों के लिये 'नो एंट्री' थी । सिर्फ़ एक ही पुरुष
कवि-शायर देवमणि पांडेय को बतौर अतिथि कवि बुलाया गया था।
जैसे ही वो माइक पर आए इला अरुण ने छेड़ा- '' इतनी सुंदर
महिलाएँ एक साथ बैठी हैं पहले हमारी तारीफ़ में कुछ हो जाए''।
देवमणि जी ने फ़ौरन एक शेर सुना दिया -
क्या बताएँ आपसे मिलकर मुझे कैसा लगा
आईना देखा तो खुद को आज मै अच्छा लगा
फिर जवाबी कार्रवाई करते हुए
उन्होंने कहा कि आजकल इला जी ऐसे रियल्टी शोज़ में जज बन रहीं
हैं जहाँ पाँच रूपए के एसएमएस से सिंगर बनाए जाते हैं।
देवमणि जी ने इंडियन आइडल अभिजीत सावंत पर कटाक्ष किया तो
काफ़ी तालियाँ बजीं -
पाँच रूपए के एसएमएस ने कैसा खेल दिखाया है,
फ़िल्म जगत के बड़े बड़े सिंगर का होश उड़ाया है
अपने देश के पीएम को भी जितने वोट नही मिलते,
उससे ज़्यादा वोटों से अभिजीत जीतकर आया है
इस पर इला जी ने कहा कि मैंने तो बड़ी मेहनत से फ़िल्म जगत को
काज़ी जैसा सिंगर दिया है। देवमणि जी ने चुटकी ली कि आठ आठ
रियल्टी शो हो चुके हैं। इनके विजेता कहाँ गए -
इक शो से कितने लोग मालामाल हो गए,
घर जाके अन्नू मलिक और दरबार सो गए
संगीत के इस युद्ध में जो नंबर वन बने,
वो लोग जाने कौन सी गलियों में खो गए
इस पर इला जी ने सफाई दी कि इसमें उनका दोष नहीं है। जवाब
में देवमणि जी ने कहा कि दोष तो उन लोगों का है जिन्होंने
प्रतिभागियों को झूठे सपने दिखाए। कैसे कैसे जज हैं और कैसे
कैसे कमेंट। ज़रा बानगी देखिए -
म्यूज़िक के रियल्टी शो में निर्णायक हैं भप्पी दा,
ये पालिसी है झूठ को सच का लिबास दूँगा
फ़िल्में नहीं हैं पास में पर कहते हैं सभी से,
अपनी फ़िलम में तुमको गाने का चांस दूँगा
कुल मिलाकर एक कलाकार और एक शायर की इस नोक-झोंक में दर्शकों
को काफ़ी आनंद आया। देवमणि जी ने पंचम संस्था की अध्यक्ष रानी
पोद्दार की इसके लिये विशेष तारीफ़ की कि संस्था के सभी
कार्यक्रम हिंदी में ही सम्पन्न होते हैं। उन्होंने हिंदी के
सम्मान में उर्दू के शायर खामखाह हैदराबादी का शेर उद्धृत
किया-
अगर हों फूल तो डाली भी भली लगती है,
शक्ल अच्छी हो तो काली भी भली लगती है
प्यार के बोल भले लगते हैं हर भाषा में,
अगर हो हिंदी में तो गाली भी भली लगती है
उल्लेखनीय है कि पंचम संस्था पिछले पच्चीस सालों से सामाजिक
कार्यों में लगी है।यह संस्था नेत्रहीनों के लिये एम्बुलेंस,
टाटा अस्पताल के लिये मेटाडोर वैन, भाभा अस्पताल के लिये बेड
दान करने के साथ ही मुम्बई शहर के ग्यारह स्थानों पर
पदयात्रियों के लिये पेयजल उपलब्ध करा रही है
महरिष गुंजार समिति द्वारा
आयोजित विमोचन व काव्य गोष्ठी
श्री
आर पी शर्मा "महरिष" जी की "मेरी नज़र में" एवं श्रीमती देवी नागरानी के ग़ज़ल
संग्रह "दिल से दिल तक" , डॉ॰अंजना संधीर द्वारा संपादित "प्रवासी आवाज़" इन तीनो
पुस्तकों का लोकार्पण ११ मई , रविवार २००८ शाम ४ बजे, आर डी नैशनल कालेज के
कॉन्फ्रेन्स रूम में संपन्न हुआ। कार्य दो सत्रों में हुआ पहला विमोचन, दूसरा काव्य
गोष्टी।
प्रथम सत्र
में अध्यक्ष रहे श्री राम जवाहरानी (चेयर परसन-सहयोग फौंडेशन) ,श्री नँदकिशोर
नौटियाल (कार्याध्यक्ष-महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादेमी एवं संपादक नूतन
सवेरा), श्री आर। पी शर्मा (पिंगलाचार्य)।श्री मा।ना। नरहरी ( वरिष्ठ शायर व
समीक्षक )और श्री गणेश बिहारी। किसी अनिवार्य कारण श्री राम जवाहरानी समय पर न आ
सके, अध्यक्षता का स्थान ग्रहण किया श्री मधुप शर्मा जी ने जो एक उत्तम ग़ज़लकार
हैं, और उन्होंने आर पी शर्मा "महरिष" की पुस्तक मेरी नज़र में का लोकार्पण
किया।श्री गणेश बिहारी "तर्ज़" ने देवी नागरानी जी के ग़ज़ल संग्रह दिल से दिल तक
का विमोचन किया। डॉ॰अंजना संधीर द्वारा संपादित "प्रवासी आवाज़" का विमोचन डॉ॰
सुशीला गुप्ता (हिंदुस्तानी प्रचार सभा की मानंद शोध निर्देशिका एवं संपादक-
हिंदुस्तानी ज़ुबान) ने किया। अपने विचारों को व्यक्त करते हुए सुशीला जी ने मात्र
दिवस को मद्धे नज़र रखते हुए एक प्रसंग बताया जिससे मां और ममता के महत्व को
रेखांकित किया। म।ना। नरहरी ने देवी नागरानी को मात्र दिवस और उनके खुद के जन्म दिन
की मुबारकबाद देते हुए उनका परिचय दिया। महरिष जी ने नागरानी जी की इस पुस्तक को
आलोचक दृष्टि से देखते हुए खूब सराहा और बधाई स्वरूप इस मौके के लिये अपनी ग़ज़ल
पढ़ी। कुतुबनुमा की संपादक डॉ॰ राजम पिल्लै ने मेरी नज़र में को अपनी नज़र से परखते
हुए महरिष जी के व्यक्तित्व व उनकी रचनात्मक अनुभूति पर अपने विचार प्रस्तुत किये
और देवी जी के प्रयास को भी सराहा। अवसर की नज़ाकत को देखते हुए श्री खन्ना
मुज़फ़्फ़रपुरी ने अपनी रचनाओं के पहले चंद मुक्तक देवी जी के लिये जन्म दिन की
बधाई के तौर पढ़े। देवी नागरानी ने प्रवासी साहित्य पर रौशनी डालते हुए कहा "वह दिन
दूर नहीं जब प्रवासी साहित्य देश की प्रमुख धारा के साथ मिलजुलकर व्रुद्धि,
सम्रद्धि और विश्वास के वेग के साथ प्रविष्टि पा लेगा" । समारोह का कार्यक्रम सफलता
पूर्वक संपन्न हुआ। पहले सत्र में संचालान का भार श्री अनंत श्रीमाली ने अपने ढंग
से खूब निभाया, जिसके लिये वो धन्यवाद के पात्र हैं
द्वतीय सत्र
में संचालान की बागडोर श्री जयप्रकाश त्रिपाठी जी ने बड़ी ही रोचक अंदाज़ से संभाली।
श्री मुरलीधर पांडेय संयोजक रहे और सरस्वती वंदना उन्होंने प्रस्तुत की। इस कार्य
के और समारोह मे वरिष्ठ साहित्यकार व मेहमान थेः श्री धनराज चौधरी, श्री गिरिजा
शंकर त्रिवेदी, जनाब माहिर जी, दीनानाथ शर्मा, श्री गोपीचंद चुघ, अनिल गहलोत, श्री
टी. मनवानी आनंद, श्री उदासीन साहिब, प्रभा कुमारी, प्रो. शोभा भंभानी, हरी व पायल
नागरानी, देवीदास व लता सजनानी, उषा जेसवानी, नंदलाल थापर, प्रो. लखबीर वर्मा और
श्रीमती जे. जोशी. कविता पाठ में शरीक रहे मुख्य अतिथि श्री गणेश बिहारी,
तर्ज़, मधुप शर्मा, म. ना. नरहरी साहब, देवी नागरानी, लोचन सक्सेना, श्री शिवदत्त
अक्स, गीतकार कुमार शैलेंद्र जी, श्री रमाकांत शर्मा, श्री संजीव निगम, मरियम
गज़ला, ज़ाफर रज़ा, नीरज कुमार, जनाब अहमद वसी, कवि कुलवंत, श्री राम प्यारे
रघुवंशी जी, डॉ. शैलेश वफा, नंद हिंदूजा आनंद, रोचल नागवानी, श्री अरविंद राही,
श्री विजय भटनागर, भैरवानी जी, कपिल कुमार, रेखा किंगर, नीरज गोस्वामी, कपिल कुमार,
प्रेमलता त्रिपाठी, आर्य भूषण, मोना अल्वी, शिल्पा सोनटके व अन्य कई रचनाकार व
साहित्यकार, जिन्होंने अपनी अपनी रचनाओं का पाठ किया और महफिल को शब्द सरिता से सजा
दिया। श्री नंदकिशोर नौटियाल (कार्याध्यक्ष-महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी
एवं संपादक नूतन सवेरा) ने महरिष जी व देवी नागरानी को बधाई दी। देवी नागरानी जी ने
मुख्य अतिथियों का स्वागत किया और अंत में आभार प्रकट किया।