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जनवरी २००८ को भारतीय नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम के तत्वावधान में आयोजित
लेखक गोष्ठी में स्थान वाइतवेत, ओस्लो में तीसरा विश्व हिंदी सम्मेलन मनाया गया।
ध्यान रहे तीन वर्ष पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने घोषणा की थी कि १० जनवरी को
प्रति वर्ष विश्व हिंदी दिवस के रूप मनाया जाएगा। नॉर्वे में पहला विश्व हिंदी दिवस
भारतीय दूतावास ने तथा दूसरा और तीसरा विश्व हिंदी दिवस भारतीय नार्वेजीय सूचना एवं
सांस्कृतिक फोरम के तत्वावधान में लेखक सुरेशचंद्र शुक्ल की अध्यक्षता में बहुत
धूमधाम से मनाया गया। तीसरे विश्व हिंदी
दिवस पर लेखक गोष्ठी संपन्न हुई जिसमें काव्यपाठ करने वालों में माया भारती, शाहेदा
बेगम, राय भट्टी, इंगेर मारिये लिल्लेएंगेन, इंदरजीत पाल और सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद
आलोक' प्रमुख थे और बच्चों के हिंदी पठन-पाठन पर प्रकाश डाला संगीता एस सीमोनसेन ने
जो हिंदी स्कूल में बच्चों को हिंदी पढ़ाती हैं। ओस्लो स्थित गुरुद्वारे के
कार्यकारिणी के सदस्य बलबीर सिंह ने कहा कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है और पंजाबी
मेरी मातृ भाषा है। शरद आलोक ने कहा कि हिंदी विश्व में सबसे ज़्यादा बोली जाने
वाली तीसरी बड़ी भाषा है। उन्होंने आवाहन किया कि हिंदी के लिए आप अपना हर संभव
सहयोग दें और आशा व्यक्त की कि हिंदी एक दिन संयुक्त राष्ट्र संघ में स्वीकृत भाषा
के रूप में स्थान प्राप्त करेगी। उन्होंने कहा कि वे गत १९ वर्षों से हिंदी पत्रिका
स्पाइल-दर्पण का संपादन कर रहे हैं और सन २००७ में नार्वे से प्रकाशित मात्र दो
पत्रिकाओं 'स्पाइल-दर्पण' और वैश्विका के संपादक हैं परंतु जब प्रोत्साहन की बात
आती है तब सिफ़ारिशी लोग नंबर मार ले जाते हैं। शरद आलोक ने कहा कि यह अच्छा है कि
भारत में आम परिवारों के बहुसंख्यक बच्चे और विदेशों में प्रवासी बच्चे हिंदी बहुत
चाव से सीख रहे हैं जो हिंदी के भविष्य की उज्जवल कामना है। हिंदी आम आदमी की भाषा
है यही इसकी सबसे बड़ी शक्ति है।
- माया भारती |