विगत 19 नवंबर 2007 को सुप्रसिद्ध लेखिका डा.
अरुणा सीतेश का दिल्ली के संत परमानन्द अस्पताल में निधन हो गया। वे काफी समय से
अस्वस्थ चल रही थीं।
अंग्रेज़ी की प्राध्यापिका और प्रख्यात शिक्षाविद
डॉ. अरुणा सीतेश पिछले 10 वर्षों से दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित
इन्द्रप्रस्थ महिला कालेज में प्रधानाचार्या के पद पर कार्यरत थी।
डा. अरुणा सीतेश जानी-मानी कथाकार थी।
चांद
भी अकेला है, वही सपने, कोई एक अधूरापन, लक्ष्मण रेखा और छलांग उनकी कुछ प्रसिद्ध
कृतियाँ हैं। इनमें से ‘छलांग’ कहानी-संग्रह
अपने समय में काफी चर्चित रहा। देश-विदेश में उन्हें अनेक पुरस्कार, सम्मान तथा
फैलोशिप प्रदान हुए, जिसमें उत्तर-प्रदेश हिंदी संस्थान का महादेवी पुरस्कार तथा
दिल्ली सरकार का अखिल भारतीय साहित्य परिषद सम्मान प्रमुख हैं। वे ‘प्रतिभा इंडिया’
पत्रिका की संपादिका भी थी।
1945 जन्मी डॉ. अरुणा सीतेश ने इलाहाबाद
विश्वविद्यालय से 1965 में अंग्रेज़ी साहित्य में एम. ए. किया और स्वर्ण पदक भी
प्राप्त किया। 1970 में उन्होंने यहीं से डी. फ़िल की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद
वे दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज में प्राध्यापिका के पद से उन्होंने अपने
कार्य-जीवन का प्रारंभ किया। बाद में वे क्रमशः रीडर तथा प्राधानाचार्या के पद पर
आसीन हुईं।
वे सुप्रसिद्ध साहित्यकार सीतेश आलोक की पत्नी
थीं।