(माइक पर अरुणा बेन
पटेल। मंच पर श्री रमेश पटेल प्रेमोर्मि, श्री राम
प्रसाद जोशी, श्री बुद्ध देव कंसारा, श्री प्रभात
देव भोजक)
कथा यू.के. एवं
नवकला ने सिंधी हॉल, केंटन में एक अनूठी संगीतमयी
शाम का आयोजन किया जिसमें लंदन के वरिष्ठ गुजराती
एवं हिंदी कवि श्री रमेश पटेल प्रेमोर्मि की रचनाओं
को ब्रिटेन के स्थानीय कलाकारों ने प्रस्तुत किया।
रमेश जी की कविता एवं गीतों की धुने भोजक बंधुओं ने
बनाईं। सभी गायक श्री राम प्रसाद जी के विद्यार्थी
हैं।
इसी कार्यक्रम में
रमेश पटेल प्रेमोर्मि की रचनाओं की सीडी स्नेहनु
सांनीध्य का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम के दौरान
श्री राम प्रसाद जी, बुद्धदेव कंसारा एवं प्रोफ़ेसर
जगदीश भाई दवे का शॉल इत्यादि से सम्मान किया गया।
बुद्धदेव कंसारा 1958 से ब्रिटेन में तबला वादन कर
रहे हैं।
रमेश पटेल ब्रिटेन
के एकमात्र कवि हैं जो कि हिंदी और गुजराती दोनों
भाषाओं में गीत विधा को जीवित रखे हुए हैं। उनके
गीतों में आज भी कृष्ण की बाँसुरी और राधा के प्रेम
की अनुभूति प्राप्त होती है। आज जबकि कविता एकरस हो
कर रह गई है जिसमें भ्रष्टाचार, शोषण समाज की
कुरीतियों के अतिरिक्त कुछ भी और सुनाई नहीं देता,
रमेश पटेल प्रेमोर्मि अपने गीतों में भक्ति रस एवं
शृंगार रस पिरो रहे हैं। रमेश पटेल प्रेमोर्मि के
हिंदी गीतों का संग्रह गीत मंजरी एवं 9 भाषाओं में
कविता संग्रह 'हृदय गंगा' पहले प्रकाशित हो चुके
हैं।
संचालन करते हुए
अरुणा बेन पटेल ने टिप्पणी की, "रमेश भाई सुबह
प्रभात से पहले उठ जाते हैं। सूर्य की किरणों के
साथ-साथ कविता उनके हृदय से प्रवाहित हो कर पन्नों
पर पहुँच जाती है। उनके गीतों में संगीत इस कदर बसा
रहता है कि जिस गति से कविता उतरती है उसी गति से
भोजक जी उनको संगीतबद्ध कर देते हैं।"
:
नैना पटेल
24 अगस्त 2007
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