लंदन, 20 जुलाई 2007
कथा यू.के. का तेरहवाँ अंतर्राष्ट्रीय इंदु शर्मा
कथा सम्मान आज हाउस ऑफ लार्ड्स में आयोजित एक
गरिमामय समारोह में भारत की युवा लेखिका महुआ माजी
को उनके पहले उपन्यास मैं बोरिशाइल्ला के लिए प्रदान
किया गया। उन्हें यह सम्मान ब्रिटेन के आंतरिक
सुरक्षा मंत्री टोनी मैकनल्टी ने प्रदान किया। इस
अवसर पर लॉर्ड तरसेम किंग, भारतीय उच्चायोग में
मंत्री (समन्वय) रजत बागची, नेहरू सेंटर की निदेशक
मोनिका कपिल मोहता, पाकिस्तान की लेखिका नीलम अहमद
बशीर सहित बड़ी संख्या में कई भाषाओं के लेखक
पत्रकार उपस्थित थे। इसी अवसर पर ब्रिटेन में बसे
हिंदी लेखक को दिया जाने वाला आठवाँ पद्मानंद
साहित्य सम्मान डॉ. गौतम सचदेव को उनके कहानी संग्रह
साढ़े सात दर्जन पिंजरे के लिए दिया गया।
मुख्य अतिथि के पद
से बोलते हुए श्री. टोनी मैक्नलटी ने हिंदी में भाषण
शुरू करते हुए जीवन के हर क्षेत्र में शब्द की सत्ता
को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद से लड़
रही हमारी इस दुनिया में एक दूसरे को समझने के लिए
सार्थक शब्द ही हमारा साथ देंगे। आज हमें संवाद की
सबसे ज़्यादा ज़रूरत है। साहित्य, चाहे किसी भी भाषा
में लिखा जाए, यह हमें सहिष्णुता, प्रेम और एक दूसरे
के प्रति समझदारी सिखाता है। उन्होंने स्वीकार किया
कि कथा यू.के. का यह आयोजन इस दिशा में एक सार्थक
पहल है और यह ब्रिटेन में विभिन्न जातीय समुदायों के
बीच संवाद बनाने की कोशिश है।
भारतीय मूल के
ब्रिटिश लार्ड तरसेम किंग ने विभिन्न भाषाओं के साथ
अपने अनुभव बाँटते हुए कहा कि हम यहाँ ब्रिटेन में
अरसे तक प्राइमरी स्कूलों में हिंदी की पढ़ाई के लिए
कोशिश करते रहे हैं जबकि यहाँ की सरकार माध्यमिक
स्तर पर हिंदी पढ़ाने की बात कहती रही। ये बात अलग
है कि आज इस देश की भारतीय पीढ़ी हिंदी पढ़ने के लिए
तैयार नहीं है। हमें अपने स्तर पर इस दिशा में
प्रयास करने होंगे। भाषा ही तो जोड़ने का काम करती
है। इससे दोनों देशों को भी आपस में और निकट लाने
में मदद मिलेगी।
इस अवसर पर अपनी
बात कहते हुए नेहरू सेंटर की निदेशक मोनिका मोहता ने
कहा कि हम सब के लिए ये अत्यंत हर्ष की बात है कि
जहाँ एक ओर संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को प्रवेश
दिलाने की बात हो रही है, हमारी परिचित संस्था कथा
यू.के. ने एक वर्ष पहले ही ब्रिटेन के हाउस ऑफ
लार्ड्स में हिंदी का परचम लहरा दिया था। कथा यू. के
इसके लिए बधाई की हकदार है। उन्होंने महुआ माजी को
'मैं बोरिशाइल्ला' जैसे महत्वपूर्ण उपन्यास के लिए
बधाई देते हुए कहा कि हाल ही के इतिहास पर कोई बड़ी
रचना लिख पाना इतना आसान नहीं होता लेकिन इन्होंने
चार वर्ष के कठिन परिश्रम के साथ असंभव को संभव कर
दिखाया है।
श्री रजत बागची ने
महुआ माजी के चयन पर कथा यू.के. को बधाई देते हुए
कहा कि वे इस देश में अपने सीमित साधनों से कई बरसों
से हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार की मशाल जलाए हुए
हैं। उन्होंने आगे कहा कि विदेशों में बसे भारतीयों
की पहली पीढ़ी तो अपनी भाषा और संस्कृति से जुड़ी
हुई है लेकिन दूसरी-तीसरी पीढ़ी के लिए इस दिशा में
काम करने की ज़रूरत है। हम अपनी संस्कृति और कलाओं
तक अपनी भाषाओं के ज़रिये ही पहुँच सकते हैं।
कथा यू.के. के
महासचिव एवं कथाकार तेजेंद्र शर्मा ने मेहमानों का
स्वागत करते हुए कहा कि पिछले तेरह वर्षों से कथा
यू.के. सक्रिय रूप से इन सम्मानों का आयोजन कर रही
है। अब तक इस सम्मान से चित्रा मुद्गल, संजीव, ज्ञान
चतुर्वेदी और असगर वजाहत जैसे लेखकों को सम्मानित
किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि कथा यू.के. का
उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी भाषा एवं
साहित्य को प्रतिष्ठित करना है।
महुआ माजी ने अपने
उपन्यास का चयन किए जाने के लिए कथा यू.के.का आभार
मानते हुए कहा कि हाउस ऑफ लार्ड्स में सम्मानित होना
मेरे लिए एक सपने के सच होने की तरह है। 'मैं
बोरिशाइल्ला' की रचना प्रक्रिया पर बात करते हुए
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम को
अपने पहले ही उपन्यास का विषय बनाने का कारण था कि
मैं नई पीढ़ी के लिए उसे एक दृष्टांत के रूप में पेश
करना चाहती थी कि आज बेशक पूरी दुनिया में सारी
लड़ाइयाँ धर्म के नाम पर ही लड़ी जा रही हैं, लेकिन
सच तो ये है कि सारा खेल सत्ता का है। ये लड़ाइयाँ
अब बंद होनी चाहिए।
तेजेंद्र शर्मा ने
मैं बोरिशाइल्ला के दो महत्वपूर्ण अंशों का पाठ करके
समाँ बाँध दिया। दिल्ली से विशेष रूप से पधारे अजित
राय ने महुआ माजी के मानपत्र का पाठ किया। डॉ. गौतम
सचदेव की कहानी 'अकेले पथ का जंगल' का सरस पाठ किया
गोविंद शर्मा ने जबकि उनका मानपत्र पढ़ा यॉर्क के
डॉ. महेंद्र वर्मा ने। कार्यक्रम का संचालन भारतीय
उच्चायोग के हिंदी और संस्कृति अधिकारी राकेश दूबे
ने किया।
मुंबई से आए सूरज
प्रकाश ने इन सम्मानों की प्रक्रिया की जानकारी दी।
ख़राब मौसम और (अंडरग्राउंड) ट्रेन व्यवस्था के अस्त
व्यस्त होने के बावजूद कार्यक्रम में बड़ी संख्या
में साहित्यकार और साहित्यप्रेमी मौजूद थे।
कार्यक्रम में भारत से श्रीमती निर्मला सिंह और
श्रीमती लीना मेहेंदले, श्री महेद्र राजा जैन, डॉ.
सत्येद्र श्रीवास्तव, डॉक्टर दीप्ति दिवाकर, डॉ.
नज़रुल बोस, डॉ. महिपाल और जय वर्मा, एअर इंडिया के
शैलेद्र तोमर, श्रीमती दिव्या माथुर, प्रेम मौदगिल
और राज मौदगिल, साजी पॉल, आनंद कुमार, मंजी पटेल
वेखारिया आदि की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय
रही।
24 अगस्त 2007
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