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जुलाई 2007 को हिंदी
महोत्सव न्यूजर्सी, यू.एस.ए. म़ें नई पत्रिका
वैश्विका का लोकार्पण विश्वविख्यात योगाचार्य बाबा
रामदेव जी के कर कमलों से संपन्न हुआ। पत्रिका के
संपादक सुरेशचंद्र शुक्ल शरद आलोक गत
27 वर्षो से विदेशों
(नॉर्वे) में हिंदी का प्रचार प्रसार कर रहे हैं तथा
नार्वे से प्रकाशित द्विभाषी (हिंदी-नार्वेजीय)
द्वैमासिक पत्रिका स्पाइल-दर्पण का सन
1988 से संपादन कर रहे
हैं और हिंदी के सुपरिचित लेखक हैं।
इस अवसर पर हिंदी
महोत्सव के संयोजक देवेंद्र और रचिता सिंह ने बधाई
देते हुए इसकी सफलता की कामना की। वरिष्ठ लेखक माणिक
वर्मा ने आशा व्यक्त की कि यह पत्रिका दीर्घायु होगी
और अन्य पत्रिकाओं की तरह जल्दी ही बंद नहीं होगी।
जाने-माने चिंतक, लेखक और चित्रकार बाबा मौर्या ने
कहा कि यह विदेशों में भारतीय संस्कृति की पताका
फहराएगी। न्यूयार्क में भारतीय संस्कृति का
प्रचार-प्रसार करने वाली पूर्णिमा देसाई ने कहा कि
हम वैश्विका को सहयोग देंगे क्योंकि यह विदेशों में
प्रवासी भारतीयों का सांस्कृतिक मंच बन सकता है।
न्यूयार्क में
हिंदी का स्कूल चलाने वाले डॉ. राज गुप्ता एवं सुमन
गुप्ता जी ने कहा कि आशा है कि वैश्विका हमारी
संस्कृति को देश-विदेश में बचाने का कार्य करेगी।
जयपुर में मीडिया के प्रोफ़ेसर संजीव भानावत ने कहा
कि सुरेशचंद्र शुक्ल के नेतृत्व में वैश्विका हिंदी
पत्रकारिता में नये आयाम देगी।
विश्व हिंदी सम्मेलन की स्थानीय समिति के सदस्य शेर
बहादुर सिंह ने कहा कि यह पत्रिका हमारे के लिए
जरूरी है। पेल्सवेनिया, यू.एस.ए. के सुधीर आर्य ने
कहा कि पत्रिका वैश्विका के लिए हमारे द्वार खुले
हैं। ओजस्वी कवि गजेंद्र सोलंकी और कवयित्री अनीता
सोनी ने भी बधाई दी।
हिंदी महोत्सव का विस्तार से समाचार शीघ्र ही
पढ़ेंगे।
शेर बहादुर सिंह,
न्यूयार्क
24 जुलाई 2007
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