सात
जुलाई दो हज़ार सात यानि कि 07/07/07 को नेहरू
केंद्र, लंदन में तेजेंद्र शर्मा के कविता सग्रह 'ये
घर तुम्हारा है' का एक अनूठे ढंग का विमोचन हुआ।
आलोचकों या साहित्यकारों के भाषणों के स्थान पर
संग्रह की ग़ज़लें स्वयं संगीत लहरी पर गूँजीं। अन्य
श्रोताओं एवं साहित्यकारों के अतिरिक्त इस कार्यक्रम
के साक्षी बनने के लिए पहुँचे भारत के मशहूर
चित्रकार मकबूल फ़िदा हुसैन।
तेजेंद्र शर्मा की छ:
गज़लों को अपनी (चित्र में बाएं से श्री रजत बागची,
मोनिका मोहता, सी.बी. पटेल एवं तेजेंद्र शर्मा)
मधुर वाणी में पिरोया चार कलाकारों ने। पूनम देव ने
पुस्तक की शीर्षक ग़ज़ल को स्वर देकर श्रोताओं तक
पहुँचाया। जो तुम न मानो मुझे अपना हक़ तुम्हारा है /
यहाँ जो आ गया इक बार वो हमारा है।
युवा संगीतकार एवं
गायक अर्पण पटेल ने महफ़िल में तबलावादक आशिक़ हुसैन
के साथ जुगलबंदी करते हुए तेजेंद्र शर्मा की तीन
ग़ज़लों को शास्त्रीय धुनों में पिरोया। पहली ग़ज़ल के
बोल हैं - अपनों से दूर चल पड़ी अपनों की चाह में /
अंजान कोई मिल गया अंजानी राह में। उनकी आवाज़ की
गहराई पर सभागार तालियों से गूँज उठा जब उन्होंने
तान भरी, थक गया हूँ अब तो मैं, दिन रात की तक़रार
से / गोया टूटा हो मुसाफ़िर, रास्तों की मार से।
पाकिस्तान से लंदन
आ बसे गायक शमील चौहान (जिनकी हाल ही मे सी.डी. जारी
हुई थी) ने अहमद फ़राज़ के चंद अशारों से अपनी बात
शुरू की। उन्होंने तेजेंद्र की पसंदीदा ग़ज़ल सुनाई
घर जिसने किसी ग़ैर का आबाद किया है/ शिद्दत से आज
दिल ने उसे याद किया है। जग सोच रहा था कि है वो
मेरा तलबगार/ मैं जानता था उसने ही बरबाद किया है।
वरिष्ठ गायक
सुरेंद्र कुमार ने अपनी मँझी हुई आवाज़, शास्त्रीय
गायकी और ख़ुश्बुदार अदायगी से समा बाँध दिया। उनके
द्वारा गाई गई तेजेंद्र शर्मा की ग़ज़ल सुन कर श्रोता
कसमसा उठे - बहुत से गीत ख्यालों में सो रहे थे मेरे
/ तुम्हारे आने से जागे हैं कसमसाए हैं।
तबलावादक आशिक
हुसैन साहब ने राकेश दुबे एवं दर्शकों के आग्रह पर
एक बंदिश बजा कर सुनाई, दर्शक बहुत देर तक उस ताल पर
झूमते रहे। कार्यक्रम की शुरुआत में नेहरू सेंटर की
निदेशिका मोनिका मोहता ने सभी श्रोताओं का अभिवादन
करते हुए कार्यक्रम में स्वागत किया। उनके अनुसार
तेजेंद्र शर्मा की कहानियों की तरह उनकी कविताएँ भी
आम आदमी के मन की बात कहती हैं। पुस्तक का विमोचन
करते हुए भारतीय उच्चायोग के मंत्री समन्वय श्री रजत
बागची ने तेजेंद्र शर्मा के चुंबकीय व्यक्तित्व व
सकारात्मक सोच की तारीफ़ करते हुए कहा कि तेजेंद्र इस
देश को अपना देश समझते हैं और उनकी रचनाओं में
ब्रिटेन पूरी शिद्दत से उभर कर सामने आता है। पैंतीस
साल से गुजरात समाचार के संपादक श्री सी.बी.पटेल ने
कार्यक्रम की परिकल्पना की सराहना करते हुए कहा कि
यह एक अनूठा कार्यक्रम है, उन्होंने कहा कि तेजेंद्र
की कविताएँ अपने समय की बात कहती हैं। लोग चालीस साल
ब्रिटेन में रहने के बाद भी इसे अपना मुल्क नहीं मान
पाते। तेजेंद्र की सोच को मैं बधाई देता हूँ। भारतीय
उच्चायोग के हिंदी एवं संस्कृति अधिकारी श्री राकेश
दुबे ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए बीच-बीच में
अपनी टिप्पणियाँ करते हुए तेजेंद्र शर्मा की कविताओं
की विवेचना की। अंत में तेजेंद्र शर्मा ने सभी
उपस्थित श्रोताओं को धन्यवाद कहा।
कार्यक्रम में अन्य
लोगों के अतिरिक्त काउंसलर ज़कीया ज़ुबैरी, श्री सलीम
अहमद ज़ुबैरी, श्री बोद्धिश्वर राय, हुमा प्राईस,
कैलाश बुधवार, उषा राजे सक्सेना, के.बी.एल. सक्सेना,
भानु भाई पंड्या, दिव्या माथुर, कादंबरी मेहरा, वेद
मोहला, गोविंद शर्मा, डॉ. इस्लाम बोस, मुग़ल अमीन,
के.सी. मोहन, गुरपाल सिंह, डा. रावल, तोषी अमृता,
प्रेम मौद्गिल, राज मौद्गिल, उर्मिल भारद्वाज, राज
कुमार, दयाल शर्मा, देविना ऋषि, इंदर स्याल, और युवा
पीढ़ी के सारा, बिलाल और ऋत्विक आदि शामिल हुए।
अतिथियों के लिए स्वादिष्ट जलपान तैयार किया नैना
शर्मा, कुसुम मिस्त्री, जयश्री गांधी एवं दामिनी शाह
ने।
24 जुलाई 2007
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