विश्व विरासत बना ऋग्वेद
यूनेस्को ने ऋग्वेद की 1800 से 1500 ईसा पूर्व की 30 पांडुलिपियों को सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया है। इस सूची में 37
अन्य दस्तावेज़ भी शामिल किए गए हैं ताकि इन्हें भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जा सके।वेदों को हिंदू धर्म का सबसे पुराना धर्म ग्रंथ माना
जाता है। यह मान्यता है कि वेद मानव सभ्यता के सबसे
पुराने लिखित साहित्यिक दस्तावेज़ हैं।
वेदों की 28 हज़ार पांडुलिपियाँ भारत में पुणे के
'भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट' में रखी हुई
हैं। इनमें से ऋग्वेद की 30 पांडुलिपियाँ बहुत ही
महत्वपूर्ण हैं जिन्हें यूनेस्को ने विरासत सूची में
शामिल किया है।
इस सूची में 37
अन्य दस्तावेज़ भी शामिल किए गए हैं ताकि इन्हें भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जा सके। वेदों को हिंदू धर्म का सबसे पुराना धर्म ग्रंथ माना
जाता है। वैसे ये भी मान्यता है कि वेद मानव सभ्यता के सबसे पुराने लिखित साहित्यिक दस्तावेज़ हैं। वेदों की 28 हज़ार पांडुलिपियाँ भारत में
पुणे के 'भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट में रखी हुई हैं। इनमें से ऋग्वेद की 30 पांडुलिपियाँ बहुत ही महत्वपूर्ण हैं जिन्हें यूनेस्को
ने विरासत सूची में शामिल किया है।
यूनेस्को ने ऋग्वेद के साथ 37और दस्तावेज़ों को इस विरासत सूची में शामिल किया है। इस सूची में दुनिया की पहली फ़ीचर-लेंथ फ़िल्म,
स्वीडन के अल्फ़्रेड नोबेल के परिवार के अभिलेख और दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वाले नेता नेल्सन मंडेला पर चलाए गए मुक़दमे के काग़ज़ात
शामिल हैं।
इन दस्तावेज़ों को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक,
वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की तरफ से बनाए गए'मेमोरी ऑफ़ द वर्ल्ड रजिस्टर' में जगह दी गई है। यूनेस्को के महानिदेशक कूचिरो मत्सूरा ने इन
दस्तावेज़ों को 'मेमोरी ऑफ़ द वर्ल्ड रजिस्टर' में शामिल करने की घोषणा की। मत्सूरा ने कहा कि उन्होंने ' मेमोरी ऑफ़ द वर्ल्ड प्रोग्राम' के तहत बनी
अंतरराष्ट्रीय सलाहकार समिति की सिफ़ारिशों पर अपनी
सहमति दी है।
रजिस्टर में ऐसे दस्तावेज़ों की संख्या
158 तक पहुँच गई है। सन 1992 में दुनिया के
महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों को संरक्षित करने और
विशेषज्ञों को जानकारी उपलब्ध कराने के मकसद से ये
कार्यक्रम शुरू किया गया था। इस कार्यक्रम का
उद्देश्य उन दस्तावेज़ों को भी सुरक्षित रखना है
जिनका अस्तित्व ख़तरे में है।