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एमरी विश्वविद्यालय, एटलांटा में हिंदी-उर्दू कवि गोष्ठी

विश्व की कोई दो भाषायें कदाचित ही एक दूसरे के इतनी निकट होंगी जितनी कि हिंदी तथा उर्दू हैं। मिलकर वह आज विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषायें हैं। 21 अप्रैल की शाम को 'हिंदी-उर्दू साँझे बोल' कार्यक्रम के अंतर्गत एक सफल कवि-गोष्टी संपन्न हुई। इसमें 30 व्यक्तियों ने हिंदी तथा उर्दू की कविताओं का पाठ किया। अधिकतर प्रस्तुत रचनायें स्वरचित रहीं।

एमरी विश्वविद्यालय के 'व्हाइट-हाल' में आयोजित इस कार्यक्रम की संयोजिकायें सुश्री मंजु तिवारी, जो एमरी में हिंदी की प्राध्यापिका हैं, तथा सुश्री संध्या भगत थीं। अध्यक्षता प्रोफेसर भूदेव शर्मा ने की।

आयोजिकाओं ने एक नया प्रयोग किया। कार्यक्रम के आरंभ में चौदहवी सदी से वर्तमान के कुछ प्रसिद्ध कवियों-शायरों को भेष बना कर उनकी चुनी हुई रचनाओं को सस्वर प्रस्तुत किया गया। इसमें कबीर (नरेश वाचस्पति), मीराबाई (सुपर्णा पाठक), मिरज़ा गालिब (श्याम कदले), बहादुरशाह जफ़र (श्याम तिवारी), तथा सुभद्रा कुमारी चौहान (संध्या भगत) दर्शकों के मध्य सजीव हो उठे। इससे एक बड़ा ही ह्रदयस्पर्शी वातावरण भी बन गया। बाद में उपस्थित कवि-कवयित्रियों, शायरों-शायराओं ने अपनी-अपनी रचनाओं से उपस्थित श्रोताओं का मनोरंजन किया।

प्रस्तुत करने वालों के वर्ग में, भारत एवं पाकिस्तान से आए चिकित्सक, इंजीनियर, अध्यापक-प्राध्यापक, कंप्यूटर विशेषज्ञ, विभिन्न धंधों के व्यापारी, तथा गृह-स्वामिनी महिलायें रहीं। रचनाकारों को श्रोताओं का खुलकर प्रोत्साहन तथा अनुग्रह प्राप्त हुआ। 150 से भी अधिक उपस्थित व्यक्तियों ने अपनी सजीव भाषा में विभोर होकर अमेरिकी जीवन में अपने देश की हवा में साँस लेने का निसर्गीय आनंद उठाया। कुछ रचनाओं ने गुदगुदाया, कुछ ने हँसाया तो कुछ मार्मिक रचनाओं ने पलकों को नम भी किया। आयोजन की सफलता की कदाचित एक नाप यह भी है कि 3 घंटे के इस कार्यक्रम में सभी श्रोता अपने-अपने स्थानों पर मंत्र-मुग्ध बने बैठे रहे।

रचनाओं को प्रस्तुत करने वाले नाम हैं-
सर्व सुश्री सुदर्शन बाहरी, मनोरमा पंडित, मंजू तिवारी, संध्या भगत, मधुर गुप्ता, प्रमिला धीरेंद्र, अलका राय, शिल्पा अग्रवाल, चंद्रवती शर्मा, इंदु विरमानी, निशि शर्मा, फरजाना भरमल, रेहाना अंजुम, सदफ फारुखी, रुखसाना वसीम, तथा सर्वश्री कुश कुमार, ओम अरोरा, अमिताभ शर्मा, मिहिर लाल, भूदेव शर्मा, नरेश वाचस्पति, गौतम गोयल, अशोक गोयल, हँसमुख फिफ्दरा, विजय निकोर, अपूर्व श्रीवास्तव, नवल परवल, श्याम मेहतानी, जहाँगीर राठौर, एवं शाहिद सैयद।

एटलांटा में जहाँ हिंदी-उर्दू भाषा-भाषियों की अच्छी संख्या है, यह अपना तरह का पहला प्रयास था। दोनों आयोजिकाओं को समाज तथा एमरी विश्वविद्यालय का खुल कर सहयोग मिला। दोनों आयोजिकाओं के अपने-अपने पति (श्याम तिवारी एवं अनिल भगत)  एवं दो-दो पुत्र (अंकित तिवारी एवं निहित तिवारी तथा गंधर्व भगत एवं कार्तिकेय भगत) आगंतुकों का ह्रदय से स्वागत करते मिले। एमरी विश्वविद्यालय की 'साउथ ऐशियन-स्टडीज़ प्रोग्राम' की अध्यक्ष प्रोफ़ेसर दीपिका बाहरी तथा कार्यक्रम संयोजिका एंजी ब्रेबेर ने, उदार ह्रदय से विश्वविद्यालय की ओर से, उपस्थित सभी व्यक्तियों के सायंकालिक भोजन की व्यवस्था की।

इस प्रकार के कार्यक्रम जो मनोरंजन के साथ, साहित्य सृजन, सामाजिक सौहार्द और साँझी संस्कृति के सहज पोषक हैं, कि बहुत आवश्यकता है। सब उपस्थित व्यक्तियों का मंजु तिवारी एवं संध्या भगत से यह आग्रह रहा कि वह भविष्य में इस विधा को आगे बढाएँ। उनके संपर्क सूत्र हैं
mtiwar2@emory.edu. 770-962-2669,  kakhaga@hotmail.com, 770-780-1770,

भूदेव शर्मा
24 मई2007

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