उपकार का बदला
- रघुविन्द्र यादव
दीपक को जलते देखकर भागते हुए अन्धकार ने
कहा-"तुम जिन के लिए रातभर अपना बदन जलाकर मुझे भगाते हो वे कृतघ्न भोर
होते ही तुम्हें उठाकर सड़क पर फेंक देते हैं। फिर क्यों उनके लिए अपने को
तिल-तिल जलाते हो?"
दीपक बोला- "बात तो तुम्हारी ठीक है, मगर तुम तस्वीर का एक पहलु देखते हो।
मुझे जलाने से पहले वे मेरी प्यास घी या तेल से शांत करते हैं और फिर बाती
से मेरा मिलन करवाते हैं। इस प्रकार पहले वे मुझ पर उपकार करते हैं और
हमारे कुल की मर्यादा है कि हम उपकार के बदले अपना सर्वस्व कुर्बान कर देते
हैं।"
१ अक्टूबर २०२२ |