फ़िल्म जगत के जाने-माने
कलाकार बलराज साहनी अपनी विख्यात फ़िल्म "दो बीघा ज़मीन"
तैयार कर रहे थे। उसमें उनकी भूमिका एक रिक्शा चालक की थी।
वह ठहरे पढ़े-लिखे शहरी, रिक्शा-चालक होता है, बेपढ़ा
देहाती। वह सोचने लगे कि उनकी भूमिका कहीं दर्शकों को बनावटी
न लगे। अत: उन्होंने उसकी परीक्षा करने का एक अनोखा ढंग
निकाला।
उन्होंने
रिक्शा-चालक के कपड़े पहने और इधर-उधर घूमते हुए एक पान वाले
की दुकान पर पहुँचे। थोड़ी देर तक एक ओर को चुपचाप खड़े रहने
के बाद उन्होंने पनवाड़ी से देहाती भाव-भंगिमा में कहा,
"भैया, सिगरेट का एक पैकेट देना।"
पनवाड़ी ने निगाह उठाकर देखा, सामने एक आदमी खड़ा है, जिसके
सिर पर एक अंगोछा लिपटा है और बदन पर देहाती आदमी के कपड़े।
उसने उसे दुतकारते हुए कहा, "जा-जा, बड़ा आया है सिगरेट लेने
वाला!"
बलराज साहनी को उसके
व्यवहार से बड़ी खुशी हुई और उन्हें भरोसा हो गया कि वह बड़ी
खूबी से रिक्शा-चालक की भूमिका अदा कर सकेंगे।
कहने की आवश्यकता नहीं कि वह फ़िल्म बड़ी सफल हुई और उसका
श्रेय मिला रिक्शा-चालक की भूमिका निभाने के लिए बलराज साहनी
को। |