लीबिया के लिबलिस शहर के एक
प्रमुख अस्पताल में अलगअलग वार्डों में मरीजों को मुख्य
डाक्टर के आने का इंतजार था। नर्स, कंपाउंडर आदि बेंचों पर
शांति से बैठे थे लेकिन लंबे कद का एक आदमी लंबा चोगा
पहने, चहलकदमी करता हुआ प्रत्येक स्थान और वस्तु का गहराई
से निरीक्षण कर रहा था, तभी अपनी ओर आते बड़े डाक्टर को देख
कर वह व्यक्ति ठिठका।
डाक्टर ने पूछा, "ऐ मिस्टर, कौन हो तुम? यहां क्या कर रहे
हो?"
वह व्यक्ति बोला, "डाक्टर, मेरे पिता बहुत बीमार है।"
इस पर डाक्टर बोला, "बीमार हैं तो उन्हें यहां भरती कराओ।"
"वह बहुत कमजोर हैं। उन्हें यहां लाना संभव नहीं है। आप
चलिए डाक्टर, " उस व्यक्ति ने आदरपूर्वक कहा।
लेकिन डाक्टर ने उसे झिड़क दिया, "क्या बेहूदगी है? मैं
तुम्हारे घर कैसे जा सकता हूं?"
"भले ही रोगी मर जाए, फिर भी आप नहीं जा सकते?" वह व्यक्ति
बोला।
डाक्टर ने उसे डांटते हुए कहा, "ज्यादा बोलने की जरूरत
नहीं है। तुम्हें मालूम नहीं कि तुम किस से बात कर रहे हो।
चीफ सिविल सर्जन से इस तरह बात की जाती है?"
यह सुन कर वह व्यक्ति तिलमिला गया। इस का उस ने सख्ती से
उत्तर दिया, "मैं ने अभी तक तो बहुत शराफत बरती है, लेकिन
मुझे तुम से बात करने का ढंग सीखने की जरूरत नहीं है
डाक्टर । तुम भी नहीं जानते कि तुम किस से बात कर रहे हो।"
अब डाक्टर का पारा चढ़ गया। उसने अस्पताल के वार्ड अटेंडेंट
को पुकार कर कहा, "इस पागल को पागलखाने भिजवा दो।"
जैसे ही अटेंडेंट आगे बढ़ा, उस लंबे व्यक्ति ने अपना चोगा
उतार फेंका। डाक्टर ने देखा, सामने कोई साधारण व्यक्ति
नहीं बल्कि सैनिक वरदी में एक रोबदार कर्नल खड़ा था। अब तो
डाक्टर भी खुद सकपका गया। अपने देश के राष्ट्रपति कर्नल
गद्दाफी को सामने देख कर उस के होश उड़ गए।
कर्नल गद्दाफी ने आदेश दिया, डाक्टर, अब तुम्हारे लिए
लीबिया में कोई जगह नहीं है। मैं एक अस्पताल का नहीं, पूरे
देश का अनुशासित सेनापति और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी हूं। जो
लोग अपना कर्तव्य निभाना नही जानते, उन्हें इस देश में
रहने का कोई हक नहीं।"
राष्ट्रपति के आदेश पर तत्काल अमल हुआ और सबक मिला कि
राष्ट्र सेवा प्रत्येक नागरिक का सर्वोच्च कर्तव्य है।
— जिम्मी मोदी |